Imtiaz Ali At JLF 2025: 9वीं क्लास में फेल होना मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा टर्निंग प्वाइंट, ​असफलता ने मुझे सिखाया... ठोकर खाकर ही बढ़ा जाता है आगे, इम्तियाज अली ने जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में कही ये बात 

JLF 2025:  फिल्म निर्देशक इम्तियाज अली ने जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में अपने जीवन से जुड़े दिलचस्प किस्से सुनाए. उन्होंने 9वीं क्लास में फेल होने को अपनी जिंदगी का टर्निंग प्वाइंट बताया.

Film Director Imtiaz Ali (Photo: Instagram)
रिदम जैन
  • जयपुर,
  • 03 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 11:36 PM IST
  • इम्तियाज अली ने फिल्म, संगीत और अपने करियर को लेकर खुलकर की बात
  • जेएलएफ में जयपुर से जुड़ाव को लेकर साझा किए दिलचस्प किस्से

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2025 (JLF 2025) में मशहूर फिल्म निर्देशक इम्तियाज अली (Film Director Imtiaz Ali) ने शिरकत की. इसमें उन्होंने फिल्म, संगीत से लेकर अपने करियर तक के बारे में खुलकर बातचीत की. उन्होंने अपने जीवन से जुड़े दिलचस्प किस्से सुनाए. अपनी फिल्म निर्माण की प्रक्रिया, बचपन के संघर्ष और सिनेमा के बदलते स्वरूप पर विचार साझा किए.

मुझे इम्तियाज जी नहीं, बस इम्तियाज कहो​
सेशन की शुरुआत में जब लोगों ने उन्हें इम्तियाज जी कहा तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि मुझे बस इम्तियाज कहो. इम्तियाज जी सुनकर ऐसा लगता है कि यह किसी और का नाम है. यदि किसी फिल्म मेकर की आलोचना होती है या उस पर पत्थर फेंके जाते हैं, तो वह उसी के नाम पर होना चाहिए.

...तो इसी के चलते अपने सपनों को पूरा करने की हिम्मत जुटा पाया
इम्तियाज अली ने अपनी स्कूली शिक्षा के दिनों को याद करते हुए बताया कि 9वीं कक्षा में फेल होना उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा टर्निंग प्वाइंट था. उन्होंने कहा कि इस असफलता ने मुझे सिखाया कि जिंदगी में ठोकरें खाकर ही आगे बढ़ा जाता है. इसी के चलते मैं अपने सपनों को पूरा करने की हिम्मत जुटा पाया. उन्होंने अपने बचपन की यादें ताजा करते हुए कहा कि उनके घर के पास एक थिएटर था. कई बार थिएटर का दरवाजा आधा खुला रहता था, जिससे मैं स्क्रीन का सिर्फ एक हिस्सा देख पाता था. कभी अमिताभ बच्चन की नाक दिखती थी, तो कभी रेखा के कान. जब मैंने फिल्म निर्देशन शुरू किया तो यह अनुभव भी मेरे काम आया.

जयपुर से है मेरा पुराना नाता ​
इम्तियाज अली ने बताया कि उनका जयपुर से पुराना जुड़ाव है. मेरे थिएटर के पास जयपुर हेयर कटिंग सैलून था, जहां लोग मिथुन की तरह बाल कटवाते थे. मैं उन्हें देखता था और इस तरह जयपुर से मेरा कनेक्शन बना.

जैसी फिल्में लोग देखेंगे, वैसी ही फिल्में बनेंगी​
सिनेमा और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को लेकर उन्होंने कहा कि आज का सिनेमा दर्शकों की पसंद के हिसाब से बन रहा है. यह डेमोक्रेसी है, जैसी फिल्में लोग देखेंगे, वैसी ही फिल्में बनेंगी. वहीं, बायोपिक बनाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि अभी बायोपिक बनाने में इंटरेस्टेड नहीं हूं, लेकिन अगर कभी बनाया तो अमीर खुसरो पर बनाऊंगा.

मैं फिल्मों के सीक्वल में विश्वास नहीं करता​
इम्तियाज अली से जब पूछा गया कि क्या वे ‘जब वी मेट’ का सीक्वल बनाएंगे तो उन्होंने साफ कहा कि मैं फिल्मों के सीक्वल बनाने में विश्वास नहीं करता. लेकिन कोई ऐसी कहानी आई, जिसे दर्शक भी देखना चाहें तो इस पर जरूर सोचूंगा.

फिल्मों के प्रति हिंदुस्तानियों की दीवानगी है अलग
इम्तियाज अली ने कहा कि सिनेमा हर हिंदुस्तानी के जीवन का हिस्सा है. मैं लकी हूं कि मैंने वो दौर देखा जब सिनेमा हॉल का माहौल अलग ही होता था. लोग फिल्मों को लेकर बेहद एक्साइटेड होते थे. उन्होंने बताया कि उनके कुछ रिश्तेदारों के सिनेमा हॉल थे, जहां वे जाया करते थे. मुझे देखना अच्छा लगता था कि फिल्म चलाने के लिए रील्स कैसे लोड होती हैं और वे कैसे चलती हैं. शायद वहीं से फिल्मों के प्रति मेरा लगाव बढ़ता चला गया.

सच्चाई से काम करने पर सफलता जरूर मिलती है
अपनी सफलता के बारे में बात करते हुए इम्तियाज अली ने कहा कि यदि व्यक्ति सच्चाई से काम करता है तो उसे सफलता जरूर मिलती है. उन्होंने कहा कि सफलता की कोई गारंटी नहीं होते, इसलिए बस अपना काम ईमानदारी कीजिए. अपने आप को किसी भी सफलता, असफलता के बोझ से मुक्त कीजिए. जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2025 में इम्तियाज अली ने न केवल अपने फिल्मी सफर के अनुभव साझा किए, बल्कि यह भी बताया कि सिनेमा सिर्फ एक माध्यम नहीं, बल्कि एक कला है जो समय के साथ बदलती रहती है.

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