ये कहानी समाज में महिलाओं के यौन शोषण के खिलाफ एक आदिवासी छात्रा की रोंगटे खड़े कर देनेवाली लड़ाई के बारे में बताती है. इस फिल्म में बांग्ला सिनेमा के मशहूर कलाकारों ने एक्टिंग की है. हुगली के समाजसेवी सत्यरंजन उर्फ सोना शील ने इस फिल्म का डायरेक्शन किया है.
कहानी क्या है?
अब अगर फिल्म की कहानी की बात करें, तो एक आदिवासी लड़की आंखों में सुनहरे भविष्य के सपने को संजोए हुए शहर में आकर हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करती है. लेकिन उसके हॉस्टल की रूममेट दूसरी लड़की समाज की कुछ नकाबपोश सफेद मुखौटा धारी हाई प्रोफाइल लोगों और नेताओं के हवस और दरिंदगी का शिकार हो जाती है. वह गले में फांसी का फंदा डालकर सुसाइड कर लेती है.
झुमुर- द ट्राइबल गर्ल है फिल्म का नाम
अपनी आंखों के सामने इस दृश्य को देखकर "झुमुर- द ट्राइबल गर्ल " सिनेमा की नायिका अपनी जिंदगी का मकसद बदल देती है. वह निश्चय कर लेती है कि अपनी रूममेट को वह जरूर इंसाफ दिला कर रहेगी. इंसाफ की गुहार लगाते हुए जब वह राज्य के मुख्यमंत्री के पास पहुंचती है तो वह भी उसका साथ नहीं देते. तब लड़की अकेले ही समाज के इन दरिंदों से प्रतिशोध लेने को ठान लेती है.
लड़की के अदम्य साहस और हिम्मत को देखकर उसे व्यापक जनसमर्थन मिलता है. जिसके बाद पुलिस और प्रशासन अभियुक्तों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए बाध्य हो जाती है.
इस फिल्म में बांग्ला चलचित्र जगत के नामी गिरामी हस्तियां अभिनेत्री लावणी सरकार, अभिनेता साहब चटर्जी खराज मुखर्जी, राजेश शर्मा ने अभिनय किया है. सिनेमा में लीड रोल द ट्राईबल गर्ल का है, जिसे नवागता राज्यश्री राजवंशी ने बखूबी निभाया है. इस सिनेमा के निर्माता सत्यरंजन शील ने खुद मुख्यमंत्री के चरित्र में अभिनय किया है.
महिलाएं हैं सशक्त
सत्यरंजन शील बताते हैं कि समाज में महिलाओं को अभी भी कमजोर और अबला माना जाता है. लेकिन वास्तविकता यह है कि महिला पुरुषों की तुलना में किसी चीज में भी कम नहीं है. जब वह किसी अन्याय के खिलाफ लड़ाई करने की ठान लेती है तो दुनिया की कोई भी ताकत उसे हरा नहीं पाती.
सत्यरंजन के मुताबिक, इस सिनेमा को देखकर महिलाओं में काफी हिम्मत और उत्साह का संचार होगा. इस फिल्म से उन्होंने समाज को महिलाओं के खिलाफ अपना नजरिया बदलने का संदेश देने की कोशिश की है. साथ ही जो काम सत्यरंजन वर्षों से समाज सेवा द्वारा नहीं कर पाए उसे काम को वह रूपहले पर्दे पर उतारकर करना चाहते हैं.
राजश्री ने 2 साल तक की जी तोड़ मेहनत
सिनेमा की अभिनेत्री राजश्री राजवंशी ने बताया कि कहानी के किरदार में पूरी तरह से ढलने के लिए उन्होंने 2 साल तक जी तोड़ मेहनत की. मार्शल आर्ट के साथ-साथ तलवारबाजी और लाठीबाजी की ट्रेनिंग ली. कई महीने आदिवासी महिलाओं के साथ बिताए. इस फिल्म में उन्होंने बाकायदा भेड़िए और मानव रूपी भेड़िए से लड़ाई की. उनके मुताबिक, उनकी यह फिल्म आने वाले दिनों में महिलाओं को सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ आवाज बुलंद करने के लिए हौसलाजाही करेगी.
(भोला नाथ साहा की रिपोर्ट)