क्या है Ramsay Hunt Syndrome, जिस कारण जस्टिन बीबर का चेहरा हो गया पैरेलाइज

जस्टिन बीबर ने अपने इंस्ट्राग्राम अकाउंट पर एक वीडियो डाला है, जिसमें उन्होंने बताया है कि उनके चेहरे का एक तरफ का हिस्सा पैरेलाइज हो चुका है. जिस कारण उनका वर्ल्ड टूर रद्द हो सकता है.

जस्टिन बीबर
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 11 जून 2022,
  • अपडेटेड 2:00 PM IST
  • जस्टिन बीबर को हुआ फेस पैरेलीसिस
  • टोरंटो में होने वाला था पहला कॉन्सर्ट

जस्टिन बीबर को लेकर फैंस में एक अलग तरह के जुनून है. विदेशों ही नहीं भारत में भी जस्टिन के करोड़ों फैंस हैं. हाल ही में जस्टिन एक वर्ल्ड टूर करने वाले थे. उनका पहला कॉन्सर्ट टोरंटो में होने वाला था, लेकिन जस्टिन ने उसे पहले ही खुलासा किया है कि वो चेहरे के पैरालिसिस से जूझ रहे हैं, और वो अपने एक आंख बंद नहीं कर पा रहे हैं. जस्टिन बीबर ने शुक्रवार को इंस्टाग्राम पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में फैंस को बताया कि उन्हें रामसे हंट सिंड्रोम का पता चला है, जिससे आंशिक रूप से उनका चेहरे पैरालाइज हो गया है. 

टोरंटो में होने वाला था पहला कॉन्सर्ट
28 साल के पॉप गायक ने हाल ही में घोषणा की कि वह टोरंटो में अपने पहले स्लेटेड कॉन्सर्ट से कुछ घंटे पहले बीमारी के कारण अपने जस्टिस वर्ल्ड टूर को रोक रहे हैं. जस्टिन ने इंस्टाग्राम पर पोस्ट किए गए अपने वीडियो में कहा, "जैसा कि आप देख सकते हैं, यह आंख नहीं झपका रही है, मैं अपने चेहरे के इस तरफ मुस्कुरा नहीं सकता, यह नॉस्ट्रिल नहीं हिलेगा, मेरा चेहरा एक तरफ से पैरालाइज हो गया है. जो लोग मेरा शो रद्द होने से निराश हैं, उन्हें मैं बता दूं कि मै शारीरिक रूप से सक्षम नहीं हूँ. ये वाकई सीरियस है, जैसा की आप देख सकते हैं." 

क्या है रामसे हंट सिंड्रोम?
रामसे हंट सिंड्रोम नर्व की एक बीमारी है, जो कान के पास चेहरे की नर्व को प्रभावित करता है. जिस कारण चेहरा पैरालाइज हो जाता है. इस बीमारी के कारण न केवल चेहरे और कान के आसपास दर्दनाक चकत्तें पड़ जाते हैं, बल्कि मुंह पैरेलाइज हो जाता है, जिसकी वजह से प्रभावित कान में बहरेपन की गंभीर समस्या का सामना करना पड़ सकता है. ये बीमारी वेरिसेला-जोस्टर वायरस (varicella-zoster virus) के कारण होती है. जब ये वायरस सिर की नस को संक्रमित करता है, तो ये बीमारी होती है. 

क्यों होता है रामसे हंट सिंड्रोम?
रामसे हंट सिंड्रोम उन लोगों में होता है जिन्हें पहले चिकन पॉक्स हुआ है. एक बार जब आप चिकन पॉक्स से ठीक हो जाते हैं, तो वायरस आपके शरीर में रह जाता है. कभी-कभी ये वायरस फिर से सक्रिय होकर दाद, पानी से भरे फफोले के साथ एक दर्दनाक दाने का कारण बनता है. ये एक तरह का दाद है, जो आपके एक कान के पास चेहरे की नर्व को प्रभावित करता है.

कैसे करें इस बीमारी से बचाव?
इसी तरह की बीमारियों के बचाव करने के लिए बच्चों को अब नियमित रूप से चिकन पॉक्स का टीका लगाया जाता है, जिससे चिकन पॉक्स वायरस से संक्रमित होने की संभावना बहुत कम हो जाती है. 50 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों के लिए दाद के टीके भी आते है, जिससे हर किसी को जरूर लगवा लेना चाहिए.

फिलहाल जस्टिन इस बीमारी से बचने के लिए फेशियल एक्सरसाइज कर रहे हैं. उनका कहना है कि, वो इस बीमारी से ठीक होने की हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं. हालांकि अभी उन्हें नहीं पता की वो कब तक ठीक होंगे. फिलहाल इस बीमारी के कारण बीबर भारत नहीं आ पाएंगे. ये तीसरी बार है जब बीबर का भारत दौरा कैंसिल हुआ है. इससे पहले दो बार कोविड महामारी के कारण उनका दौरा कैंसिल हो चुका है.

 

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