Who Is C Sankaran Nair: बॉलीवुड के सुपर स्टार अक्षय कुमार (Akshay Kumar) की मचअवेटेड फिल्म केसरी चैप्टर 2 (Kesari Chapter 2) 18 अप्रैल 2025 को वर्ल्डवाइड सिनेमाघरों में रिलीज होने को तैयार है. इस फिल्म को करण जौहर के प्रोडक्शन हाउस धर्मा प्रोडक्शन ने बनाया है. अक्षय कुमार के साथ इस फिल्म में आर माधवन और अनन्या पांडे भी मुख्य भूमिका में हैं. यह फिल्म एक ऐसे देशभक्त की जीवनी पर आधारित हैं, जिन्होंने जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद ब्रिटिश हुकूमत को कोर्ट में घसीथा था. नाइट की उपाधि तक लौटा दी थी. जी हां, हम बात कर रहे हैं सी. शंकरन नायर (C Sankaran Nair) की.
पीएम मोदी भी कर चुके हैं तारीफ
भारत माता के वीर सपूत सी शंकरन नायर की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर तक प्रशंसा कर चुके हैं. अभी हाल ही में पीएम मोदी ने कहा, शंकरन नायर ब्रिटिश सरकार में एक उच्च पद पर थे और एक जाने-माने वकील थे. वे सारी सुख-सुविधाएं भोग सकते थे, लेकिन उन्होंने सब कुछ छोड़कर सच्चाई के लिए खड़ा होना चुना. पीएम मोदी ने कहा, शंकरन नायर केरल से थे, जबकि जलियांवाला बाग घटना पंजाब में हुई, फिर भी उन्होंने इस केस को लड़ा और ब्रिटिश सरकार को अदालत में लाकर खड़ा किया. यही भारत की महानता है- एक भारत, अखंड भारत. उधर, शशि थरूर ने शंकरन नायर की प्रशंसा करते हुए उन्हें 'निडर देशभक्त' बताया था.
कौन थे सी शंकरन नायर
सी शंकरन नायर का पूरा नाम चेट्टूर शंकरन नायर है. इनका जन्म 11 जुलाई 1857 को केरल के मालाबार में हुआ था. उनके पिता ब्रिटिश सरकार में तहसीलदार थे. सी शंकरन नायर ने 1880 में मद्रास उच्च न्यायालय में एक वकील के रूप में अपना करियर शुरू किया था. सी शंकरन नायर ने 1908 तक सरकार के महाधिवक्ता और कार्यवाहक न्यायाधीश के रूप में कार्य किया और 1915 तक मद्रास उच्च न्यायालय में एक स्थायी न्यायाधीश बने. सी शंकरन नायर हमेशा सही के साथ खड़े रहते थे. सी शंकरन नायर ने एक महत्वपूर्ण फैसले में हिंदू धर्म में धर्मांतरण को सही ठहराया.
उन्होंने कहा कि ऐसे धर्मांतरित लोगों को समाज से बाहर नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म में परिवर्तन करने वाले लोग अब अछूत नहीं माने जाएंगे. उनका ये फैसला बहुत मशहूर हुआ. सी शंकरन नायर ने 1919 में भारतीय संवैधानिक सुधारों पर दो असहमतिपूर्ण टिप्पणियां लिखीं, जिसमें उन्होंने भारत में ब्रिटिश शासन की कमियों को बताया और सुधारों के सुझाव दिए. उस समय, किसी भारतीय द्वारा ऐसी आलोचना करना बहुत बड़ी बात थी. ब्रिटिश सरकार ने उनकी कई सिफारिशों को मान लिया. नायर ने 1897 में इंडियन नेशनल कांग्रेस को ज्वाइन कर लिया था. वह सबसे कम उम्र में मलयाली प्रेसिडेंट बनने वाले शख्स बने थे. उन्होंने एक भाषण में विदेशी प्रशासन की मनमानी का जिक्र करते हुए भारत के लिए डोमिनियन स्टेटस के साथ-साथ स्वशासन की मांग की.
ब्रिटिश हुकूमत को दी थी खुली चुनौती
सी शंकरन नायर को 1915 में वायसराय काउंसिल का हिस्सा बनाया गया. इस काउंसिल में शामिल होने वाले वह पहले भारतीय थे. उन्हें ब्रिटिश सरकार ने नाइट की उपाधि दी थी. 13 अप्रैल 1919 को हुए जलियांवाला बाग हत्याकांड ने पूरे देश को झकझोर दिया था. इस घटना विरोध में सी शंकरन नायर ने तत्काल प्रभाव से वायसराय की परिषद से इस्तीफा दे दिया था.
नाइट की उपाधि लौटा दी थी. जलियांवाला बाग हत्याकांड में शामिल जनरल ओ डायर का खुलकर विरोध किया था. उन्होंने "गांधी एंड एनार्की" नामक पुस्तक लिखी, जिसमें ब्रिटिश सरकार की नीतियों की कटु आलोचना की थी. उनकी इस बेबाक अभिव्यक्ति के कारण ब्रिटिश हुकूमत ने उनके खिलाफ लंदन में मानहानि का मुकदमा दायर किया, जिसे सी शंकरन नायर पूरी दृढ़ता और आत्मविश्वास के साथ लड़ा.
अंग्रेज वकील, अंग्रेज जज और अंग्रेज जूरी
सी शंकरन नायर ब्रिटिश साम्राज्य का सामना लंदन स्थित उसके ही न्यायालय में किया, जहां अंग्रेज वकील, अंग्रेज जज और अंग्रेज जूरी शामिल थे. मानहानि का मुकदमा होने के बावजूद इस केस ने ब्रिटिश उपनिवेशवाद के अत्याचारों खास तौर पर जलियांवाला बाग को अंतरराष्ट्रीय जांच के दायरे में ला दिया. हालांकि इस मामले में अदालत ने जनरल ओ डायर के पक्ष में फैसला सुनाया, लेकिन इस मुकदमे ने भारत में ब्रिटिश अत्याचारों की ओर वैश्विक ध्यान दिलाया और औपनिवेशिक प्रतिष्ठान के भीतर गहरे मतभेदों को उजागर किया.
नायर ने जनरल ओ डायर से माफी मांगने के बजाय उसे हर्जाने के तौर पर 500 पाउंड देने का विकल्प चुना. आपको मालूम हो कि करण सिंह त्यागी द्वारा निर्देशित और करण जौहर द्वारा निर्मित केसरी चैप्टर 2 फिल्म द केस दैट शुक द एम्पायर पर आधारित है, जो नायर के परपोते रघु पलात और उनकी पत्नी पुष्पा पलात द्वारा लिखित एक ऐतिहासिक कहानी है. अब देखना है कि यह फिल्म दर्शकों को कितना रास आती है.