Lucknow: कौन हैं मनोज भावुक, जिन्हें फिल्मफेयर और फेमिना ने भोजपुरी साहित्य और सिनेमा में उल्लेखनीय योगदान के लिए किया सम्मानित

Bhojpuri Icons-Reel & Real Stars Celebration में पद्मभूषण शारदा सिन्हा को लोक संगीत के लिए, संजय मिश्रा को प्राइड ऑफ भोजपुरी मिट्टी, मनोज तिवारी को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड और रवि किशन को ओटीटी और सिनेमा के लिए सम्मानित किया गया.

फिल्मफेयर और फेमिना ने मनोज भावुक को किया सम्मानित
gnttv.com
  • लखनऊ,
  • 18 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 11:51 PM IST
  • लखनऊ में भोजपुरी आइकॉन्स-रील एंड रीयल स्टार्स समारोह का हुआ आयोजन
  • शारदा सिन्हा, मनोज तिवारी, रवि किशन और संजय मिश्रा को भी किया गया सम्मानित 

लखनऊ के रमादा में 16 जुलाई 2023 को फिल्मफेयर और फेमिना की ओर से संयुक्त रूप से भोजपुरी आइकॉन्स-रील एंड रीयल स्टार्स समारोह का आयोजन किया गया. इसमें भोजपुरी के जाने-माने लेखक, फिल्म समीक्षक और भोजपुरी सिनेमा के इतिहासकार मनोज भावुक को भोजपुरी साहित्य और सिनेमा में किए गए उल्लेखनीय योगदान के लिए सम्मानित किया गया. मनोज को यह सम्मान फेमिना की प्रधान संपादक अंबिका मट्टू व दक्षिण के निर्देशक विक्रम वासुदेव ने संयुक्त रूप से प्रदान किया. इस अवसर पर पद्मभूषण शारदा सिन्हा को लोक संगीत के लिए, संजय मिश्रा को प्राइड ऑफ भोजपुरी मिट्टी, मनोज तिवारी को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड और रवि किशन को ओटीटी और सिनेमा के लिए सम्मानित किया गया.

1998 से लिख रहे हैं भोजपुरी सिनेमा का इतिहास 
तस्वीर जिदंगी के (भोजपुरी गजल संग्रह) व चलनी में पानी (भोजपुरी कविता-संग्रह) मनोज भावुक की चर्चित पुस्तकें हैं. मनोज भोजपुरी सिनेमा के इतिहास पर पिछले 25 वर्षों से लिख रहे हैं. वर्ष 2000 में ही भोजपुरी सिनेमा के प्राचीन इतिहास (1962-2000) पर किताब लिख ली थी. इनेक लेख धारावाहिक रूप में कई पत्र-पत्रिकाओं में छपते रहे हैं. कई लोगों ने सिनेमा पर किए अपने शोध व पीएचडी में मनोज भावुक के रिसर्च को ही आधार बनाया है. पेंग्विन से भोजपुरी सिनेमा पर छपी अभिजीत घोष की अंग्रेजी किताब में भी भावुक के तमाम सिनेमा-लेखों व शोध-पत्रों का जिक्र है. 'भोजपुरी सिनेमा के संसार'  नाम की साढ़े चार सौ पृष्ठों की यह किताब पिछले साढ़े तीन साल से भोजपुरी-मैथिली अकादमी, दिल्ली के पास प्रकाशनाधीन है. इसमें मनोज ने 1931 से लेकर 2019 तक के भोजपुरी सिनेमा के सफर पर बात की है.  

फिल्मों में अभिनय भी किया है और गीत भी लिखे हैं
सौगंध गंगा मईया के और रखवाला नामक फिल्म में मनोज भावुक ने अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज की है. इसके अलावा बहुत सारे टीवी सीरियल और डॉक्यूमेंटरी में भी काम किया है. मनोज बिहार आर्ट थियेटर, कालिदास रंगालय, पटना के टॉपर रहे हैं. मेहंदी लगा के रखना नामक एक फिल्म में मनोज का गीत खूब वाइरल हुआ 'अँचरा छोड़ा के चल काहे दिहले एतना दूर ए माई'.  मनोज ने भोजपुरी के लगभग सभी चैनलों में वरिष्ठ पदों पर काम किया है और विविध विषयों कार्यक्रम बनाए हैं.      

बोले-सपना हुआ साकार
मनोज भावुक कहते हैं कि भोजपुरी इंडस्ट्री फिल्म फेयर और फेमिना तक पहुंच गई. यही आपने आप में बड़ी उपलब्धि है.  फिल्मफेयर एवं फेमिना की ओर सम्मान मिलना बड़ी बात है. मैं अपने आप को सौभाग्यशाली समझता हूं. भोजपुरी साहित्य और सिनेमा, खासकर इतिहास लेखन के लिए पहली बार किसी फिल्म अवार्ड शो में मुझे सम्मानित किया गया है जबकि दो दशक से भी अधिक समय से मैं इस इंडस्ट्री से जुड़ा हूं. सभी आयोजक व स्टार्स मेरे काम को जानते हैं लेकिन यहां कलम की कीमत नहीं है. हालांकि मैं तो कलम के साथ कैमरा वाला भी हूं. भोजपुरी इंडस्ट्री का शायद ही कोई बड़ा कलाकार होगा जिसका मैंने साक्षात्कार नहीं किया हो. इस सम्मान के लिए फिल्मफेयर और फेमिना के प्रति शुक्रगुजार हूं. यह सम्मान भोजपुरी भाषा व भोजपुरी भाषियों को समर्पित है.        

इतने सम्मान से हो चुके हैं सम्मानित
मनोज भावुक यूके और अफ्रीका में इंजीनियरिंग की नौकरी को छोड़कर पूरी तरह से भोजपुरी के विकास के लिए प्रतिबद्ध और समर्पित हो चुके हैं. मनोज को भारतीय भाषा परिषद सम्मान (2006), पंडित प्रताप नारायण मिश्र सम्मान (2010),  भिखारी ठाकुर सम्मान (2011), राही मासूम रजा सम्मान (2012), परिकल्पना लोक भूषण सम्मान, नेपाल (2013 ), अंतरराष्ट्रीय भोजपुरी गौरव सम्मान, मॉरिशस (2014), गीतांजलि साहित्य एवं संस्कृति सम्मान, बर्मिंघम, यूके (2018 ), बिहारी कनेक्ट ग्लोबल सम्मान, दुबई (2019 ), कैलाश गौतम काव्यकुंभ लोकभाषा सम्मान (2022) जैसे अनेक प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाजा जा चुका है.  

भोजपुरी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए कई देशों की कर चुके हैं यात्रा
मनोज भावुक की अभिनय, संचालन एवं पटकथा लेखन में गहरी रुचि है. भोजपुरी जंक्शन नामक पत्रिका (ई-पत्रिका) का वह संपादन भी करते हैं. वह विश्व भोजपुरी सम्मेलन की दिल्ली और इंग्लैंड इकाई के अध्यक्ष रहे हैं. विश्व के लीजेंड्स को समर्पित अचीवर्स जंक्शन के निदेशक हैं. कई पुस्तकों के प्रणेता हैं. भोजपुरी भाषा और साहित्य के प्रचार-प्रसार के लिए मनोज ने विश्व के कई देशों की यात्रा की है. मनोज जी टीवी के लोकप्रिय रियलिटी शो सारेगामापा (भोजपुरी) के प्रोजेक्ट हैड रहे हैं.  

बिहार के सिवान जिले के हैं निवासी
मनोज बिहार के सिवान जिले के कौसड़ गांव के रहने वाले हैं. इनके पिताजी स्वर्गीय रामदेव सिंह हिंडाल्को रेणुकूट, उत्तर प्रदेश के प्रथम मजदूर नेता रहे हैं. बड़े पिताजी जंग बहादुर सिंह आजादी के तराने गाने के लिए जेल जाने वाले 103 वर्षीय सुप्रसिद्ध देशभक्त लोक गायक हैं.
 

 

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