Millets in Bollywood: सिर्फ खाने नहीं बल्कि बॉलीवुड की फिल्मों के लिए भी सुपरफूड रहे हैं मिलेट्स, डायलॉग्स से लेकर गानों तक में निभाई है अहम भूमिका

Millets को भारत में सिर्फ खाया ही नहीं जाता है बल्कि हिंदी सिनेमा से भी इनका गहरा रिश्ता है. बहुत सी हिंदी फिल्मों के गानों या सीन्स में आपको बाजरे या ज्वार के खेत दिखेंगे.

Millets (Photo: Wikipedia)
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 04 मई 2023,
  • अपडेटेड 2:09 PM IST
  • मिलेट्स का बॉलीवुड से भी गहरा नाता रहा है
  • दुनिया में मिलेट्स का सबसे बड़ा उत्पादक भारत है

हम सब जानते हैं कि साल 2023 को Internation Year for Millets के रूप में मनाया जा रहा है. खासकर कि भारत में मिलेट्स को लेकर कई तरह से प्रयास किए जा रहे हैं ताकि ये एक बार फिर लोगों की लाइफस्टाइल का हिस्सा बन जाएं. लेकिन आपको जानकर खुशी होगी कि मिलेट्स सिर्फ खाने का हिस्सा नहीं हैं बल्कि इनका बॉलीवुड से भी गहरा नाता रहा है. 

जी हां, बहुत सी फिल्मों में मिलेट्स, विशेष रूप से ज्वार (सोरघम) और बाजरा (मोती बाजरा), कई दशकों से फेमस हिंदी सिनेमा के गानों, डायलॉग्स और सीन्स का हिस्सा रहे हैं. आज हम आपको बता रहे हैं कुछ ऐसी फिल्मों के बारे में जिनमें मिलेट्स का इस्तेमाल हुआ है. 

औरत (1940)
महबूब खान की इस फिल्म के कई दृश्य और गाने ज्वार के खेतों के बीच सेट किए गए थे. संगीत निर्देशक अनिल बिस्वास ने पकी और तैयार फसल को बैकग्राउंड में रखकर कई गाने जैसे 'बोल बोल तू बोलरे, मन के पंछी बोल' आदि फिल्माए. गाने के दौरान किसान भी फसल काटते हैं और 'मोरे अंगना लगा अंबवा के पेड़' को गाते हैं. 

मदर इंडिया (1957)
महबूब खान की फिल्म, मदर इंडिया में भी मुख्य पात्र राधा (नरगिस) और उनके पति शामू (राज कुमार) ज्वार के खेतों में साथी किसानों के साथ 'मतवाला जिया' गाना गाते हैं. बाद में, नरगिस और उनके बच्चे उसी खेत में मेहनत करते हैं और गाते हैं, 'दुनिया में हम आए हैं.' फिल्म जैसे आगे बढ़ती है तो नरगिस और उनके दो बड़े बेटे अनाज की कटाई करते हैं और खुशी से गाते हैं, 'दुख भरे दिन बीते रे भैया.' फिल्म के सबसे प्रमुख सीन्स में भी ज्वार को लेकर कई डायलॉग्स हैं.

तीन देवियां (1965)
इस फिल्म में राज कपूर और नंदा बाजरे के खुले और चौड़े खेत में मक्का खाते हैं और प्यारभरा गीत गाते हैं- 'लिखा है तेरी आंखों में.'

रोटी, कपड़ा और मकान (1974)
मनोज कुमार की ब्लॉकबस्टर फिल्म में देश विरोधी काला बाजारी दिखाई गई है. जिसमें तीन मुनाफाखोर हैं जो इकट्ठा होकर घी, चावल, तेल, गेहूं, साथ ही ज्वार और बाजरा की जमाखोरी करते हैं और फिर उन्हें बढ़ी हुई कीमतों पर बेचते हैं. 

शोले (1975)
शोले फिल्म में जब डाकू गांव में लूट करने जाते हैं तो गांववालों से घरों से अनाज लाने को कहा जाता है. कालिया (विजु खोटे) एक ग्रामीण से कहता है, "आओ, आओ, शंकर। क्या लाये हो,” और वह कहता है, “मलिक, ज्वार लाया हूं." लेकिन कम ज्वार लाने के लिए शंकर को तुरंत गाली दी जाती है और अपमानित किया जाता है.

लगान (2001)
शुरुआत में ही, अमिताभ बच्चन का वॉयसओवर आपको बताता है कि अंग्रेजों को जो टैक्स मिलता है, उसमें गेहूं, चावल और बाजरा शामिल हैं. फिल्म ऐसी जगह पर बेस्ड है जहां बारिश कम होती है और यहां बाजरे की ज्यादा संभावनाएं हैं. 

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, मिलेट्स का दुनिया में सबसे बड़ा उत्पादक भारत है. केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अनुमान के अनुसार, देश 2022-23 में 16 मिलियन टन मिलेट्स का उत्पादन करेगा. इसमें लगभग 98% बाजरा, ज्वार (सोरघम) और रागी (फिंगर मिलेट) होंगे और बाकी छोटे बाजरे होंगे. 

 

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