ये कहानी मिस्र की है. जिसमें एक महिला खाना खाने के बाद अपने कपड़े किसी मर्द के सामने उतार रही है, और वो पुरूष उस महिला का पति नहीं है. महिला के कपड़े उतारते ही वो आदमी उस महिला को बताता है कि वो समलैंगिक है. ये अरब मुल्क में नेटफ्लिक्स पर आने वाली पहली ऐसी फिल्म है. जिसमें इस तरह की कहानी दिखाई गई है. इसी फिल्म के एक सीन में एक पिता अपनी बेटी को कहता है कि वो शादी से पहले फिजिकल रिलेशनशिप बनाने के लिए पूरी तरह से आजाद है.
अब इसी फिल्म को लेकर विवाद जोरों पर है. जाहिर है अरब समाज के लोग इस फिल्म को इस्लाम के उसूलों के खिलाफ बता रहे हैं. लेकिन असल सच्चाई तो ये है कि ये फिल्म समाज के पीछे की सच्चाई को बयान कर रहा है. इस फिल्म में ये बताने की कोशिश की गई है कि असली जिंदगी में बंद दरवाजों के पीछे क्या होता है.
इस बेहद ही विवादित फिल्म का नाम है अशब वाला आज़, जिसका मतलब है नो डियर फ्रेंड्स. यह फिल्म इतालवी हिट परफेक्ट स्ट्रेंजर्स का एक अरबी ट्रांस्लेशन है. फिल्म की कहानी सात दोस्तों की एक डिनर पार्टी से शुरू होती है. आगे ये सातों एक दूसरे से अपना सब कुछ शेयर करने को तैयार होते हैं, अपना फोन, अपने सीक्रेट यहां तक की अपने रिश्तों को भी और ये सब एक गेम के मुताबिक होता है. आगे इस फिल्म में समलैंगिकता को भी दिखाया गया है. अरबी भाषा में बनी इस फिल्म में वैसे तो कोई नंगापन नहीं है, मोटे तौर पर खाने की मेज पर सभी दोस्त आपस में बात करते हैं.
फिल्म के बारे में 37 साल की एल्हम का कहना है कि मुझे ये फिल्म एक नॉर्मल इंग्लिश फिल्म की तरह लगी, हालांकि ये फिल्म अरबी भाषा में है इसलिए एसे अपनाना बड़ा अजीब अनुभव है. इसके अलावा समलैंगिक रिश्तों को इस फिल्म में दिखाना एक तरह का झटका है, हम लोग तो अपनी असली जिंदगी में शादी से पहले समलैंगिक रिश्तों को नहीं अपनाते.
मिस्र में गैरकानूनी है समलैंगिकता
आपको बता दें कि मिस्र में समलैंगिकता गैरकानूनी है. प्यू रिसर्च सेंटर ने 2013 के एक रिसर्च में पाया गया कि देश में 95 प्रतिशत लोगों का कहना है कि समलैंगिकता को मिस्र में पूरी तरह से खारिज कर दिया जाना चाहिए, वहीं लेबनान के 80 प्रतिशत लोग ऐसा मानते हैं.
शब वाला आज़ में ज्यादातर कलाकार लेबनानी हैं. फिल्म के बारे में प्रशंसकों का कहना है कि यह रूढ़िवादिता को तोड़ने वाली फिल्म है. आपको बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब अरबी भाषा की किसी फिल्म में समलैंगिक रिश्ते दिखाए गए हैं. साल 2006 में फिल्म द याकौबियन बिल्डिंग में समलैंगिक रिश्तों को दिखाया गया था.
मिस्र की 43 साल की फातिमा कमाल का कहना है कि उन्हें नहीं लगता कि यह समलैंगिक संबंधों को बढ़ावा दे रही है. उन्होंने कहा कि ये फिल्म, " उन मुद्दों को छूती है, जिनका सामना करने से समाज इनकार करता है, लेकिन हकिकत नें ऐसा नहीं होना चाहिए.
मिस्र की सुपरस्टार मोना ज़की पर हंगामा
फिल्म को लेकर जिस बात पर सबसे ज्यादा हंगामा बरपा है वो हैं मिस्र की सुपरस्टार मोना ज़की, मोना जकी पर ही समलैगिंक पुरुष के सामने कपड़े उतारने वाला सीन फिल्माया गया है.
फिल्म समीक्षक खालिद महमूद का कहना है कि मिस्र ने अपनी फिल्मों के जरिए 1960 और 1970 के दशक से ही अच्छी कहानियां कही हैं. यही वजह है कि मिस्र के सिनेमा को पुराना हॉलीवुड भी कहा जाता है. लेकिन अरब में मिस्र की फिल्मों को दिखाना एक बड़ी चुनौती है. लेकिन अब समाज बदल गया है और दर्शक भी, इसलिए इस तरह की फिल्में दिखाना जरूरी है. हमारा काम है कला के जरिए समाज की बुराइयों को दूर करना और हम इसी कोशिश में हैं.