Pyar hai to hai: एक्टर बनने का सपना लेकर गए थे मुंबई, अब लिख रहे हैं फिल्मों की कहानियां, खुद बना रहे हैं अपनी किस्मत

Mukul sharma: कभी एक्टर बनना चाहते थे मुकुल शर्मा लेकिन आज वह बॉलीवुड में फिल्मों की कहानियां लिख रहे हैं. जानिए कैसे एक मिडिल-क्लास परिवार का बेटा सपनों के शहर में बना रहा है अपनी राहें.

Mukul Sharma
निशा डागर तंवर
  • नई दिल्ली ,
  • 30 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 10:06 AM IST
  • थिएटर के साथ शुरू हुआ सफर 
  • टीवी शो में किया काम 

हाल ही में, प्यार है तो है फिल्म रिलीज हुई है जिसे दर्शक काफी पसंद कर रहे हैं. इस फिल्म से मशहूर गायक हरिहरन के बेटे करण हरिहरन ने अपना एक्टिंग डेब्यू किया है. उनके साथ ही पानी कश्यप भी इस फिल्म से लॉन्च हुई हैं. समीक्षकों का कहना है कि यह फिल्म लव स्टोरी को एक नए नजरिए से पेश कर रही है. 

प्रदीप आर के चौधरी ने इस फिल्म का निर्देशन किया है और दोनों लीड एक्टर्स की एक्टिंग ने भी दर्शकों को प्रभावित किया है. हालांकि, बहुत से लोग इस फिल्म की कहानी से रिलेट कर पा रहे हैं. एक लव-स्टोरी होते हुए भी इसमें एक नयापन है और इसका श्रेय जाता है फिल्म के लेखक, मुकुल शर्मा को. 

एक साधारण से परिवार से आने वाले मुकुल शर्मा पिछले कई सालों से सपनों के शहर मुंबई में दिन-रात मेहनत कर रहे हैं ताकि अपनी एक असाधारण कहानी लिख सकें. कभी एक्टर बनने का सपना लिए मुंबई आए मुकुल शर्मा अब लेखन में अपनी पहचान बना रहे हैं. एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री से उनका रिश्ता एक दशक से ज्यादा पुराना है लेकिन उनकी मेहनत का सही हिसाब मिलना अभी बाकी है और 'प्यार है तो है' फिल्म इसकी बस शुरूआत है. 

अपने अब तक के सफर के बारे में मुकुल शर्मा ने GNT Digital से एक्सक्लूसिव बातचीत की. 

थिएटर के साथ शुरू हुआ सफर 
मुकुल ने बताया कि वह लखनऊ के एक बहुत ही आम परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उनका बचपन बहुत ज्यादा साधारण था और स्कूल के समय तक तो फिल्मी दुनिया उनके ख्यालों में भी नहीं थी. हालांकि, स्कूल के बाद वह धीरे-धीरे थिएटर से जुड़ने लगे और उन्हें एक्टिंग में मजा आने लगा. वह बताते हैं कि उनके सफर में उनके बड़े भाई और बहन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनके बड़े भाई, कपिल शर्मा साहित्य में रूचि रखते थे और लिखते भी थे. उनकी समझ और लेखन का मुकुल पर गहरा प्रभाव पड़ा. 

उनकी बहन, ज्योति शर्मा अपनी पढ़ाई के बाद मुंबई आकर एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में कंटेंट राइटिंग करने लगी थी. जिससे मुकुल को भी मुंबई आकर अपनी राह तलाशने की हिम्मत मिली. मुकुल कहते हैं कि थिएटर करते-करते उन्होंने मन बना लिया था कि वह मुंबई जाकर एक्टिंग में हाथ आजमाएंगे. साल 2011 में मुकुल मुंबई पहुंचे और अपनी पहचान के लिए मेहनत करना शुरू किया. 

टीवी शो में किया काम 
साल 2012 में मुकुल को स्टार प्लस के शो, रूक जाना नहीं में काम करने का मौका मिला. इस शो के दौरान बहुत बार हुआ कि मुकुल स्क्रिप्ट में इंप्रोवाइज करते थे. धीरे-धीरे उनके दिमाग में नई-नई कहानियों ने जन्म लेना शुरू किया और कहीं न कहीं उनके अंदर का लेखक उनकी एक्टिंग पर भारी पड़ने लगा. मुकुल कहते हैं कि उनका लेखन साहित्यिक नहीं बल्कि बहुत नेचुरल रहा. वह अपने आसपास के वातावरण से प्रेरणा लेकर लिखते हैं और जब दूसरे लोगों ने उनकी इस खूबी को सराहना शुरू किया तो उन्हें लगा कि क्या वह लेखन कर सकते हैं. 

उन्होंने बताया कि इस सबके दौरान उन्होंने दो-तीन फिल्में लिखीं. हालांकि, ये उन्होंने अपने लिए लिखी थीं और इन्हें किसी प्रोडक्शन हाउस या फिल्म मेकर को उन्होंने नहीं दिखाया. इसके अलावा, उन्होंने घोस्ट राइटिंग करना शुरू किया. उन्होंने क्राइम पेट्रोल जैसे शोज के लिए एपिसोड्स लिखे. तीन-चार शॉर्ट फिल्में लिखकर शूट कीं, जिनका डायरेक्शन उन्होंने खुद किया. वह कहते हैं कि इन सब कामों से उन्हें अनुभव मिला लेकिन वह पहचान नहीं मिली जो वह तलाश रहे थे. इस बीच उनकी मुलाकात साल 2016 में प्रोड्यूसर, संजीव कुमार से हुई और वह मुकुल की कहानियां सुनकर इंप्रेस हो गए. संजीव कुमार ने उन्हें लव स्टोरी लिखने को कहा. 

कई बार हताश हुए पर निराश नहीं 
मुकुल ने बताया कि साल 2016 में संजीव कुमार से मिलने के बाद उन्हें एक राह नजर आई लेकिन यह सफर इतना आसान नहीं था. प्यार है तो है से पहले उन्होंने लव कांड नामक एक और फिल्म की कहानी लिखी थी. फिल्म बनी भी लेकिन कुछ खास हुआ नहीं. बहुत बार उन्होंने खुद को हारा हुआ महसूस किया लेकिन कभी भी रूकने की नहीं सोची. उनका कहना है कि वह शुरू से जानते थे कि इस इंडस्ट्री में अपना नाम कमाना बिल्कुल भी आसान नहीं है. 

उन्होंने कभी भी एक रात में सफलता पाने के सपने नहीं देखे और इसलिए वह सिर्फ मेहनत पर ध्यान देते रहे. इस बीच उनपर परिवार का भी प्रेशर रहा. किसी भी मध्यमवर्गीय परिवार की तरह उनके माता-पिता भी चाहते थे कि वह सरकारी नौकरी कर लें. लेकिन मुकुल अपने सपनों पर डटे रहे और उनके भाई ने उनका साथ दिया. और अब मुकुल को कई प्रोजेक्ट्स पर काम करने का मौका मिल रहा है. उनका कहना है कि आने वाले समय में हमें उनके कई प्रोजेक्ट्स देखने को मिलेंगे. 

अनुराग कश्यप के हैं फैन 
मुकुल ने आगे बताया कि इंडस्ट्री में वह अनुराग कश्यप के काम के बहुत बड़े फैन हैं. भले ही उनका और अनुराग का लेखन एक-दूसरे से बहुत अलग है लेकिन अनुराग की जो बात उन्हें प्रेरित करती है वह है कि अनुराग अपने कहानियों और अपनी फिल्मों के लिए लड़ जाते हैं. मुकुल का कहना है कि बहुत से लोग समझौता करके आगे बढ़ते हैं लेकिन अनुराग अपनी कहानी के लिए किसी से भी लड़ सकते हैं और यही बात उन्हें अलग करती है. अनुराग के अलावा उन्हें दिबाकर बनर्जी, वसम बाला, और श्रीराम राघवन जैसे लोगों का काम बहुत पसंद है. 

इसके अलावा उन्होंने एक बड़ा ही मजेदार किस्सा बताया. मुकुल ने बताया कि फिल्म का टीजर आने के बाद लोग उनके बारे में जानना चाह रहे हैं और बहुत से लोग उन्हें एक थी डायन फिल्म से जोड़ रहे हैं क्योंकि कई जगह एक थी डायन फिल्म के लेखक के तौर पर उनका नाम लिखा हुआ है. हालांकि, मुकुल ने बताया कि उस फिल्म की कहानी उन्होंने नहीं बल्कि अभिनेत्री कोंकणा सेन के पिता, मुकुल सेन ने लिखी है. नाम समान होने के कारण लोग अक्सर उनसे उस फिल्म के बारे में पूछ लेते हैं और उन्हें इससे कोई एतराज भी नहीं है. 

नेपोटिज्म के सवाल पर क्या बोले
अक्सर फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े लोगों के सामने नेपोटिज्म का सवाल आता रहता है. मुकुल ने इस सवाल पर कहा कि इस बात में कोई दो राय नहीं है कि स्टार किड्स या स्टार फैमिली से जुड़े लोगों को जल्दी और ज्यादा मौके मिलते हैं. लेकिन इस बात को भी कोई नहीं झुठला सकता है कि इंडस्ट्री में काम वही करता है जिसमें टैलेंट होता है. मान लीजिए किसी हीरो-हीरोइन के परिवारजन या जानने वाले को आम लोगों से पहले मौका मिल भी गया, लेकिन वह आगे तक तभी जा पाएगा जब उसमें सच्चा टैलेंट होगा. अगर टैलेंट नहीं होगा तो दर्शक दो दिन में आपको सिर से उतार देंगे. इसलिए वह इस डिबेट में न पड़कर अपने काम पर फोकस कर रहे हैं. 

मुकुल अंत में बस इतना ही कहते हैं कि यह इंडस्ट्री बहुत बड़ा रिस्क है. आपको नहीं पता कि आपका कौन-सा प्रोजेक्ट काम करे और कौन-सा नहीं. लेकिन इस डर से काम करने से नहीं रूका जा सकता है. वह कहते हैं कि अभी वह दो-तीन फिल्मों पर काम कर रहे हैं. कुछ प्रोजेक्ट्स लाइन अप हैं. उन्हें भरोसा है कि अब वह सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं और लोग उनके काम को पसंद करेंगे. 

 

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