बॉलीवुड एक्टर रणवीर सिंह (Ranveer Singh) अक्सर अपने अतरंगी कपड़ों को लेकर खबरों में बने रहते हैं. लेकिन इस बार मामला थोड़ा उल्टा है, वे अब कपड़े न पहनने की वजह से सुर्ख़ियों में हैं..अपने न्यूड फोटोशूट के बाद से ही लगातार सोशल मीडिया पर रणवीर सिंह वायरल हो रहे हैं. कुछ लोग इस न्यूड फोटोशूट के सपोर्ट में आए हैं तो वहीं गिने-चुने ऐसे भी हैं जो लगातार एक्टर को ट्रोल कर रहे हैं. इसी कड़ी में मुंबई स्थित एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) ने रणवीर के खिलाफ चेंबूर पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाई है. इस प्राथमिकी में मुंबई पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 292, 293, 509 और सूचना प्रौद्योगिकी (IT Act) अधिनियम के तहत एफआईआर (FIR) दर्ज की है.
गौरतलब है कि हाल ही में रणवीर सिंह ने पेपर मैग्जीन के लिए न्यूड फोटोशूट करवाया था, तस्वीरें सोशल मीडिया पर आने के बाद फोटोशूट को लेकर पक्ष और विपक्ष में लोगों के बयान आने लग.
क्या है शिकायत?
बताते चलें कि मुंबई के एक एनजीओ ने एक्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई है. उन्होंने रणवीर सिंह पर आरोप लगाया है कि एक्टर ने सामान्य रूप से महिलाओं की भावनाओं को आहत किया है. एनजीओ का मानना है कि एक्टर ने अपनी तस्वीरों के माध्यम से उनके सेंटीमेंट्स का अपमान किया है.
इसके आधार पर, पुलिस ने रणवीर सिंह के खिलाफ अलग-अलग आईपीसी की धाराएं लगायी हैं. रणवीर पर आईपीसी की धारा 292 (अश्लील पुस्तकों की बिक्री, आदि), 293 (युवा लोगों को अश्लील वस्तुओं की बिक्री), 509 (महिलाओं की भावनाओं को आहत करना और उनकी गरिमा को ठेस पहुंचाना) लगाई गई है. इसके अलावा उनपर आईटी एक्ट भी लगाया गया है. एफआईआर में कहा गया है कि भारत में "अच्छी संस्कृति" है, लेकिन ऐसी तस्वीरों के कारण सभी की भावनाएं आहत हुई है.
क्या है अश्लीलता?
भारतीय दंड संहिता की धारा 292 में अश्लीलता को अच्छी तरह परिभाषित किया गया है. अगर किसी काम से लोगों की सेक्स को लेकर भावना को भड़काया जाए, उसे अश्लीलता कहा गया है. यह किसी भी रूप में हो सकती है. जैसे किसी किताब में लगी फोटो, अखबार में छपी तस्वीर, या कोई वीडियो भी हो सकती है. इतना ही नहीं व्हाट्सएप पर भी चैट के जरिए भी ऐसा कोई कंटेट भेजना अश्लीलता के दायरे में आ सकता है.
भारतीय कानून नग्नता और अश्लीलता पर क्या कहता है?
रणवीर सिंह के खिलाफ आईपीसी की धारा 293 के तहत भी एफआईआर दर्ज की गई है. इसके तहत 20 साल से कम उम्र के युवक को अश्लील वस्तुएं बेचना दंडनीय अपराध है. वहीं धारा 509 के तहत भी प्राथमिकी दर्ज की गई है, जिसमें महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने की मंशा से शब्द, इशारों या कोई कार्य करने के आधार पर कार्रवाई की जाती है.
इसी तरह सोशल मीडिया पर अश्लील सामग्री पोस्ट करने पर सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67(ए) के तहत कार्रवाई की जाती है. सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67 और 67A अश्लील और यौन सामग्री पर रोक लगाती है.
वहीं धारा 67 के तहत तीन साल तक की कैद और 5 लाख रुपये का जुर्माना रखा गया है. अगर दूसरी बार दोषी पाए जाते हैं तो पांच साल तक की जेल और 10 लाख तक का जुर्माना हो सकता है.
धारा 67A ऑनलाइन यौन सामग्री प्रकाशित करने की सजा से संबंधित है. दोषी पाए जाने पर 10 लाख रुपये तक के जुर्माने के साथ पांच साल तक की सजा हो सकती है.
हालांकि भारतीय कानून के तहत 'अश्लील' और 'अश्लीलता' को स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया गया है. 2014 के एक मामले में अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अश्लीलता के सवाल को उस संदर्भ में देखा जाना चाहिए जिसे लेकर वो तस्वीर दिखाई गई है और वह जो संदेश देना चाहती है.