दादा साहब फाल्के अवॉर्ड सिनेमा का सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान है. इसे पाना हर कलाकार का सपना होता है. लेकिन मॉडल निकिता घाग ने पिछले साल मिला अपना दादा साहब फाल्के इंटरनेशनल अवॉर्ड लौटा दिया है. आइए जानते हैं उन्होंने ऐसा क्यों किया है.
मिलते-जुलते नामों पर रोक लगाने के लिए खोला मोर्चा
दादा साहब फाल्के के नाम से मिलते-जुलते कुछ और अवॉर्ड भी दिए जाते हैं जो दादा साहब फाल्के नहीं होते. ऐसे अवॉर्ड के खिलाफ मॉडल निकिता घाग ने मोर्चा खोला है. उनका कहना है कि दादा साहब फाल्के के नाम पर चल रहे इस गोरखधंधे का पर्दाफाश किया जाना बहुत जरूरी है. उन्होंने दादा साहब का सम्मान बनाए रखने के लिए सूचना और प्रसारण मंत्रालय से इस पुरस्कार से मिलते जुलते नामों पर रोक लगाने की मांग भी की है.
नई पीढ़ी को अपने फैसले समझ-बूझकर लेने चाहिए
निकिता घाग ने अंतरराष्ट्रीय मॉडलिंग दुनिया में बड़ा नाम कमाया है. तकरीबन सभी अंतरराष्ट्रीय सुंदरता उत्पादों के लिए मॉडलिंग कर चुकीं हैं. वह करीब नौ सालों से जानवरों की देखभाल करने वाली संस्था 'दावा इंडिया' चला रहीं हैं. निकिता चाहती हैं कि नई पीढ़ी को अपने फैसले समझ बूझकर लेने चाहिए और इस तरह के पुरस्कारों से दूर रहना चाहिए जो किसी राष्ट्रीय पुरस्कार के नाम का फायदा उठाने के लिए ही बनाए जाते हैं. निकिता का मानना है कि उनके जैसे तमाम नए कलाकारों को पता ही नहीं होता कि दादा साहब फाल्के के नाम पर भारत सरकार सिनेमा का सर्वोच्च सम्मान राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के रूप में देती है.
अच्छे काम के लिए हमें मिलता है पुरस्कार
निकिता का कहना है कि किसी भी अच्छे काम के लिए हमें पुरस्कार मिलता है तो इससे हमें और बेहतर करने की प्रेरणा मिलती है. सराहना ही किसी अच्छे सामाजिक कार्य का सबसे बड़ा पुरस्कार है लेकिन मुझे मिले 'दादा साहब फाल्के' पुरस्कार के पीछे एक पूरा सिस्टम काम कर रहा है. यह मुझे बीते तीन-चार दिनों में ही पता चला है.
रणबीर कपूर और आलिया भट्ट से अवॉर्ड लौटाने की अपील
निकिता ने रणबीर कपूर और आलिया भट्ट से भी अपील की कि वे अपना नकली 'दादा साहब फाल्के अवॉर्ड' लौटाएं. उन्होंने कहा, मैं इस साल दादा साहब फाल्के इंटरनेशनल अवॉर्ड स्वीकार करने वाले एक्टर्स आलिया और रणबीर से अपील करती हूं कि वे यह नकली अवॉर्ड लौटाएं ताकि दुनिया को पता चल सके कि इस नाम की पवित्रता क्या है और इस नाम से जुड़े सिनेमा के सबसे बड़े राष्ट्रीय सम्मान की हम सभी परवाह करते हैं. नई पीढ़ी को समझाने की जिम्मेदारी उन लोगों पर है जिन्हें दुनिया अपना आदर्श मानती है.