New Delhi: पद्मश्री गीता चंद्रन ने अपने नृत्य कौशल से लोगों का मोहा मन, सनातन के चार पुरुषार्थों धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का किया अद्भुत चित्रण 

गीता चंद्रन एक महान भरत नाट्यम नृत्यांगना, प्रसिद्ध नृत्य निर्देशिका और शिक्षिका हैं. वह नट्य वृक्ष की संस्थापिका हैं. वह पद्मश्री और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित हो चुकी हैं. 

गीता चंद्रन ने दी मंत्रमुग्ध प्रस्तुति
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 13 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 1:33 AM IST
  • गीता चंद्रन ने समागति प्रस्तुत कर बांधा समां
  • नई दिल्ली के चिन्मय मिशन सभागार तालियों से गूंजा

नई दिल्ली के चिन्मय मिशन सभागार में 11 दिसंबर 2023 को विख्यात भरत नाट्यम नृत्यांगना और नृत्य निर्देशिका पद्मश्री गीता चंद्रन ने अपने नृत्य कौशल से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया. चंद्रन ने नाट्य वृक्ष नृत्य संघ की पोषित नृत्य कर्मों का एक शक्तिशाली प्रदर्शन समागति प्रस्तुत किया.

समागति है एक संस्कृत शब्द
समागति एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है एक साथ आना, संघ और एक साथ प्रगति करना. समागति के लिए अपनी नृत्य कर्मों में गीता चंद्रन ने इन विषयों के साथ-साथ सनातन के चार पुरुषार्थों धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का भी अद्भुत चित्रण किया.

नृत्य स्तुति से कार्यक्रम की शुरुआत
कार्यक्रम की शुरुआत नृत्य स्तुति से हुई, जो कि भगवान शिव को श्रद्धांजलि थी. सृष्टि पर जीवन के लिए पांच तत्वों आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी की उत्पत्ति भगवान शिव से हुई थी. नृत्य में इसकी झलक दिखी. गीता चंद्रन कहती हैं कि आधुनिक धर्म है पर्यावरण की ओर ध्यान देना और जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली विनाशकारी घटनाओं को रोकना.

शानदार साझेदारी निभाई
गीता के साथ नृत्य में राधिका कथल, मधुरा भृगुनंदी, श्रुता गोपालन, सोम्या लक्ष्मी नारायणन, आनंदिता नारायणन और यादवी शाखदर-मेनन ने शानदार साझेदारी निभाई. कड़ी मेहनत और उसके फल को नृत्य के माध्यम से व्यक्त किया गया. काम के मूल्य की व्याख्या गीता चंद्रन ने मुथुस्वामी दीक्षितार की एक रचना के माध्यम से की जिसमें माया की स्तुति की गई है. यह नजारा हमारी आंखों से अज्ञानता का पर्दा हटा देता है. अपने नृत्य कर्म तत्व को जोड़ते हुए गीता इस भ्रम के जाल से खुद को मुक्त करने के लिए एक निवेदन के रूप में व्याख्या करती हैं. 

पृथ्वी की मदद की गुहार को सुनने की एक तत्काल आवश्यकता है
इस दर्शन पर जोर देते हुए गीता चंद्रन कहती हैं, समागति सामान्य से परे जाने और असाधारण को अपनाने का निमंत्रण है. यह एकता का नृत्य, आत्माओं की सहमति और हम में से प्रत्येक के भीतर निहित दिव्य चिंगारी का उत्सव है. मैं समागति को एक जागरूकता के रूप में देखती हूं. पृथ्वी की मदद की गुहार को सुनने की एक तत्काल आवश्यकता है, जिसे हमने समागती के माध्यम से दर्शाया है. यह प्रकृति के साथ सद्भाव का नृत्य है, हमारे परस्पर जुड़ाव का एक अनुस्मारक और एक स्थायी भविष्य के लिए कार्रवाई का आह्वान है. मोक्ष की व्याख्या एक उत्सव के रूप में की गई, जहां भगवान और मानव जाति परम सत्य को महसूस करने और धर्म, अर्थ और काम के बंधनों से मुक्ति पाने के लिए एक लौकिक नृत्य में प्रवेश करते हैं. समागति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने के साथ उनसे जुड़े गहरे अर्थ के साथ मंथन करने पर मजबूर किया.

पद्मश्री और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से हो चुकी हैं सम्मानित
गीता चंद्रन एक महान भरत नाट्यम नृत्यांगना, प्रसिद्ध नृत्य निर्देशिका और शिक्षिका हैं. वह नट्य वृक्ष की संस्थापिका हैं. गीता ने भारत और विदेश में बड़े पैमाने पर प्रस्तुति दी है. वह पद्मश्री और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित हो चुकी हैं. गीता चंद्रन कहती हैं भाव, राग और ताल का अद्भुत समन्वय ही भरतनाट्यम को अन्य शास्त्रीय नृत्यों से अलग पहचान दिलाता है. वह कहती हैं नृत्य एक कला है, सतत् अभ्यास से ही इसे सीखना संभव है. 

 

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