Rocketry: The Nambi Effect: जानिए उस भारतीय वैज्ञानिक की कहानी जिसे जासूस घोषित कर दिया गया था, अब माधवन बना रहे फिल्म, इसी हफ्ते होगी रिलीज

आर माधवन की फिल्म रॉकेट्री द नंबी इफेक्ट 1 जुलाई को सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है. इस फिल्म का निर्देशन आर माधवन ने ही किया है. माधवन फिल्म में मुख्य भूमिका यानी नंबी नारायण का किरदार निभाते दिखेंगे. इस फिल्म में शाहरुख खान ने भी गेस्ट रोल किया है.

Nambi Narayanan/FB
अपूर्वा राय
  • नई दिल्ली,
  • 28 जून 2022,
  • अपडेटेड 11:01 AM IST
  • 1 जुलाई को छह भाषाओं में रिलीज होगी रॉकेट्री: द नांबी इफेक्ट
  • कौन हैं नंबी नारायणन जिनपर बन रही फिल्म
  • नंबी नारायणन का जन्म 12 दिसंबर 1941 को तमिल फैमिली में हुआ.

रॉकेट्री द नंबी इफेक्ट 1 जुलाई को सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है. इस फिल्म में अभिनय और निर्देशन आर माधवन ने किया है. हाल ही में सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने इस फिल्म की विशेष स्क्रीनिंग का आयोजन किया था. फिल्म हिंदी, अंग्रेजी, तमिल, तेलुगु, मलयालम और कन्नड़ सहित दुनिया भर में छह भाषाओं में रिलीज हो रही है.

बायोग्राफिकल ड्रामा है रॉकेट्री: द नंबी इफेक्ट

फिल्म रॉकेट्री इसरो के वैज्ञानिक नंबी नारायणन के जीवन पर आधारित एक बायोग्राफिकल ड्रामा है. तो चलिए फिल्म की रिलीज से पहले हम आपको उस शख्स की कहानी बताते हैं, जिसकी जिंदगी पर यह फिल्म बनाई गई है.

पढ़ाई के लिए अमेरिका गए

एस. नंबी नारायणन का जन्म 12 दिसंबर 1941 को तमिल फैमिली में हुआ. अपनी पांच बहनों के बाद जन्मे नंबी माता-पिता की छठी संतान थे. नागरकोल के डीवीडी स्कूल ने उन्होंने शिक्षा ली. वह मेधावी छात्रों में से एक थे, उनका ज्यादातर समय पढ़ने में ही गुजरता था. उन्होंने तिरुवनंतपुरम इंजीनियरिंग कॉलेज से एमटेक की डिग्री ली. वो रॉकेट से जुड़ी तकनीक की पढ़ाई अमेरिका के प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी भी गए. 

देश के बेहतरीन वैज्ञानिकों के साथ किया काम

नारायणन पहली बार इसरो के तत्कालीन अध्यक्ष विक्रम साराभाई से 1966 में थुम्बा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन पर मिले थे. इसके बाद से वह इसरो का हिस्सा बन गए. इसरो में उन्होंने विक्रम साराभाई, सतीश धवन और एपीजे अब्दुल कलाम के साथ मिलकर काम किया. नारायणन ने 1970 के दशक में भारत में तरल ईंधन रॉकेट प्रौद्योगिकी की शुरुआत की थी.

वैज्ञानिक से जासूस बना दिए गए नंबी

कल्पना कीजिए आपके अंदर देश के लिए कुछ कर दिखाने का जज्बा हो और एक दिन अचानक आपके सपने चकनाचूर हो जाएं. आप पर ऐसे जुर्म का आरोप लगा दिया जाए जिसे आपने किया ही न हो. इसरो के शीर्ष वैज्ञानिक नंबी नारायणन की जिंदगी में ये पल 27 साल पहले तब आया जब एक दिन केरल पुलिस के अधिकारी उन्हें जासूसी को आरोप में पकड़कर ले गए. जेल में उनके साथ खूब अत्याचार हुए.

सीबीआई की जांच में निर्दोष साबित हुए नंबी नारायणन

1994 में नंबी पर आरोप लगा कि वह रॉकेट व उपग्रह से संबंधित गोपनीय जानकारी पाकिस्तान को भेजते हैं. नंबी उन महान लोगों में रहे जिन्होंने देश के लिए लिए पैसों को ठुकरा दिया. कहा जाता है उन दिनों नंबी नारायणन को अमेरिकी स्पेस एजेंसी में अच्छा ऑफर मिला था लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया. लेकिन अपने ही देश की सरकार ने उन्हें पाकिस्तान का जासूस कह डाला. साल 1996 में सीबीआई ने इस मामले में नंबी नारायणन को क्लीन चिट दी. केरल सरकार ने फिर इस केस को उठाया तब देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा कि नंबी को गलत तरीके से फंसाया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार को नारायणन को 50 लाख मुआवजा देने का आदेश दिया.

लंबी लड़ाई के बाद पाया सम्मान

साल 2019 में नंबी नारायणन को भारत सरकार के प्रतिष्ठित पद्म भूषण पुरस्कार से भी नवाजा गया. नंबी की कहानी उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा है, जो जीवन में देश के लिए कुछ करना चाहते हैं. कई साल की लंबी लड़ाई के बाद नंबी ने अपना सम्मान वापस पाया. उम्मीद है रॉकेट्री फिल्म के जरिए उनकी कहानी देश के हर घर तक पहुंचेगी.

 

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