बॉलीवुड अभिनेता सैफ अली खान पर 16 जनवरी की रात उन्हीं के घर में जानलेवा हमला हुआ. हमले के बाद उन्हें मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती करवाया गया. अच्छी बात यह रही कि सैफ को कुछ ही घंटों में खतरे से निकाल लिया गया. और वह अब अपने घर भी लौट आए हैं.
एक और अच्छी बात यह रही कि सैफ का मेडिकल इंश्योरेंस उनके काम आया. सैफ अली खान को इंश्योरेंस कंपनी की ओर से कुल 25 लाख रुपए मिले. हालांकि जब सैफ का मेडिक्लेम कुछ ही घंटों में अप्रूव हो गया तो चिकित्सा सलाहकार संघ (Association of Medical Consultants) ने इसपर ऐतराज़ जताया.
संघ ने बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (Insurance Regulatory and Development Authority / IRDA) को खत लिखकर कहा कि वह इंश्योरेंस क्लेम के निपटान के मामले में सितारों को तरजीह दिए जाने के चलन को लेकर चिंतित है.
ऐसे में सवाल उठता है कि एक इंश्योरेंस के निपटान की क्या सीमा है. किसी व्यक्ति का क्लेम कब रिजेक्ट होता है. और भारत में कितने प्रतिशत लोगों के इंश्योरेंस क्लेम पास हो पाते हैं. आइए डालते हैं इन सभी सवालों के जवाब पर नज़र.
कैसे करते हैं मेडिकल इंश्योरेंस क्लेम?
आईआरडीए के नियमों के अनुसार आप दो तरीकों से मेडिकल इंश्योरेंस क्लेम कर सकते हैं. पहला, कैशलेस तरीके से. यानी आप उसी अस्पताल में इलाज करवाएं जो आपकी इंश्योरेंस कंपनी के नेटवर्क में शामिल है. दूसरा तरीका यह है कि आप किसी भी अस्पताल में इलाज करवा कर कंपनी से इंश्योरेंस क्लेम कर दें.
दोनों ही सूरतों में बेहतर है कि आप इंश्योरेंस लेते ही क्लेम से जुड़ी शर्तें और तरीका पढ़ लें. आपको क्लेम करते समय अपनी पॉलिसी की एक कॉपी के अलावा आधार कार्ड, पैन कार्ड और बिजली बिल जैसे दस्तावेजों की जरूरत पड़ सकती है.
कितने समय में मंजूर होता है क्लेम?
एक मेडिकल क्लेम कितने समय में मंजूर होता है और इसे कैसे रिजेक्ट किया जा सकता है, इसके लिए बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण ने कुछ नियम निर्धारित किए हैं. इन नियमों के अनुसार, इंश्योरेंस कंपनी को मेडिक्लेम से जुड़े जरूरी डॉक्युमेंट मिलने के 30 दिन के अंदर क्लेम मंज़ूर या नामंज़ूर करना होता है.
अगर इंश्योरेंस कंपनी देर से क्लेम को मंज़ूर करती है तो उसे इंश्योरेंस की राशि पर बैंक की ब्याज दर से दो प्रतिशत ज्यादा ब्याज देना होगा. अगर कंपनी किसी तरह के 'फ्रॉड' की जांच करती है तो उसे यह भी 30 दिन के अंदर पूरी करनी होती है. इस सूरत में भी कंपनी के लिए 45 दिन के अंदर क्लेम सेटल करना अनिवार्य होता है. वरना दो प्रतिशत ब्याज की शर्त लागू होती है.
कब रिजेक्ट हो सकता है क्लेम?
कंपनियां कब किसी क्लेम को रिजेक्ट करेंगी, यह वे खुद निर्णय लेती हैं. पॉलिसी में अधूरी या गलत जानकारी होने से लेकर डुप्लिकेट क्लेम होने तक, कंपनियां कई कारणों से आपका क्लेम रिजेक्ट कर सकती हैं. हालांकि आईआरडीए ने बीमा कंपनियों को सलाह दी है कि कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों के कारण उन्हें क्लेम रिजेक्ट करने से बचना चाहिए.
भारत में कितने क्लेम होते हैं रिजेक्ट?
आईआरडीए की ओर से जारी हालिया आंकड़ों के अनुसार, 2024 में कुल 11 प्रतिशत मेडिकल इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्ट हुए. इनकी कीमत करीब 26,000 करोड़ रुपए थी. लोकल सर्किल्स नाम के एक प्लेटफॉर्म के सर्वे के अनुसार, पिछले तीन सालों में हर 10 में से पांच लोगों के इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्ट किए गए. जून-दिसंबर 2024 तक किए गए इस अध्ययन में 327 जिलों के एक लाख से ज्यादा पॉलिसीधारकों से प्रतिक्रियाएं ली गई थीं.