पर्दे पर कभी 'बा' तो 'दादी' का किरदार निभाने वाली एक्ट्रेस सुधा शिवपुरी की आज बर्थ एनिवर्सरी है. 14 जुलाई 1937 को मध्यप्रदेश के इंदौर में पैदा हुईं सुधा शिवपुरी ने टीवी सीरियल्स के अलावा कई हिंदी फिल्मों में भी काम किया. राजस्थान में पली-बढ़ी, सुधा शिवपुरी ने अपने करियर की शुरुआत तब की जब आठवीं में पढ़ रही थीं. उसी दौरान उनके पिता की मृत्यु हो गई और उनकी माँ बीमार पड़ गईं, इस तरह पैसे कमाने के लिए सुधा को कम उम्र में ही काम करना पड़ा.
पति रहे हिंदी सिनेमा के मसहूर विलेन
NSD में पढ़ाई के दौरान ही सुधा और ओम पुरी ने शादी कर ली. ओम शिवपुरी अपने जमाने के मशहूर विलेन रहे. सुधा के दो बच्चे हैं बेटी रितु शिवपुरी और बेटा विनीत शिवपुरी. सुधा ने शुरुआती दौर में रेडियो और नाटकों में काम किया. वह राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की छात्रा रही हैं. उन्होंने अपनी खुद की थिएटर कंपनी दिशांतर बनाई, जिसने कई नाटकों का निर्माण किया, जिनमें आधे अधूरे, तुगलक और विजय तेंदुलकर की खामोश अदालत जारी है शामिल हैं. एक्ट्रेस ने टीवी धारावाहिकों से लेकर फिल्मों तक में अपने अभिनय के दम पर दर्शकों का दिल जीता.
दिल्ली से किया मुंबई का रुख
1974 में, वह मुंबई शिफ्ट हो गईं, क्योंकि उनके पति को हिंदी फिल्मों के लिए कई प्रस्ताव मिलने लगे थे. फिल्म 'स्वामी' से उन्होंने सिनेमा में डेब्यू किया. बासु चटर्जी की यह फिल्म 1977 में आई थी. उन्होंने 'इंसाफ का तराजू', 'सावन को आने दो', 'विधाता', 'पिंजर', और 'माया मेमसाब' जैसी शानदार फिल्मों में अभिनय किया.
पति की मौत के बाद टूट गईं
सुधा ने कुछ समय के लिए फिल्मों से ब्रेक लिया. लेकिन फिर ऐसा वक्त आया जिसने उन्हें अंदर से तोड़ दिया. 1990 में पति की मृत्यु के बाद खुद को बिजी रखने के लिए उन्होंने एक बार फिर अभिनय करना शुरू किया.
बा बनकर लोकप्रिय हुईं
टेलीविजन में उन्हें बड़ा ब्रेक मिला साल 2000 में. एकता कपूर का धारावाहिक क्योंकि सास भी कभी बहू थी में उन्होंने 'बा' की भूमिका निभाई. ये वो किरदार था जिसने उन्हें हर घर में लोकप्रिय कर दिया. सुधा शिवपुरी ने कई धारावाहिकों में काम किया, जिसमें 'आ बैल मुझे मार', 'शीशे के घर', 'वक्त का दरिया', 'दामन', 'संतोषी मां', 'ये घर', 'कसम से' और 'किस देश में है मेरा दिल' है. 78 साल की उम्र में 2015 में सुधा शिवपुरी का हार्ट अटैक से निधन हो गया था. सुधा अब भले ही हमारे बीच में नहीं है लेकिन उन्हें आज भी बा के रोल के लिए याद किया जाता है.