Suraiya Birth Anniversary: सुरों की इस मल्लिका के लिए मरीन ड्राइव पर लगता था ट्रैफिक, मंदिर में तस्वीर रख पूजा करते थे फैंस

Suraiya Birth Anniversary: सुरैया जमाल शेख, हिंदी सिनेमा की पहली ग्लैमर गर्ल थीं और साथ ही, मशहूर गायिका. वह फिल्मों में 1936 से 1963 तक सक्रिय थीं, और 1940 के दशक के मध्य तक सबसे प्रसिद्ध अभिनेत्री थीं.

Suraiya (Photo: Pinterest)
निशा डागर तंवर
  • नई दिल्ली ,
  • 15 जून 2022,
  • अपडेटेड 8:49 AM IST
  • 15 जून 1929 को पंजाब के एक मुस्लिम परिवार में जन्मी सुरैया जमाल शेख अपने आप में हिंदी सिनेमा का एक दौर थीं
  • 12 साल की उम्र में उन्होंने इशारा फिल्म में नायिका की भूमिका की

सुरैया का नाम सुनते ही बहुत से लोग उनके गाए गाने गुनगुनाने लगते हैं. पूरी बॉलीवुड इंडस्ट्री में आज भी ऐसी कोई अभिनेत्री या गायिका नहीं है जो सुरैया की बराबरी कर सकें. एक जमाना था जब मरीन ड्राइव, बॉम्बे (मुंबई) में ट्रैफिक जाम कारों की लंबी लाइन के कारण नहीं, बल्कि सुरैया के लिए लगता था. जिनकी सुरीली आवाज ने भारतीयों पर जादू कर दिया था. 

15 जून 1929 को पंजाब के एक मुस्लिम परिवार में जन्मी सुरैया जमाल शेख अपने आप में हिंदी सिनेमा का एक दौर थीं. सुरैया ने बहुत ही कम उम्र में सिंगिंग और एक्टिंग की शुरुआत की थी. साल 1941 में सुरैया की फिल्म इंडस्ट्री में एंट्री उनके मामा, जहूर के जरिए हुई. जो उस समय लोकप्रिय खलनायक का रोल किया करते थे. 

12 साल की उम्र में बनी लीड हिरोइन 

जहूर सुरौया को प्रकाश पिक्चर्स के ताजमहल की शूटिंग देखने के लिए साथ ले गए. फिल्म के निर्माता, नानूभाई वकील ने उन्हें जब देखा तो उन्हें लगा कि वह फिल्म में युवा मुमताज महल का किरदार कर सकती हैं. और सुरैया ने अपनी मां और नानी की इच्छा के लिए कम करना शुरू कर दिया.  

यह बस शुरुआत थी और इसके बाद, उन्हें लगातार ऑफर मिलते रहे. लोगों को उनकी एक्टिंग इस कदर पसंद थी कि 12 साल की उम्र में उन्होंने इशारा फिल्म में नायिका की भूमिका की. इस फिल्म में उन्हें 'भारतीय स्क्रीन के ग्रैंड ओल्ड मैन' पृथ्वीराज कपूर के साथ कास्ट किया गया था. पृथ्वीराज के लिए भी अपनी बेटी जैसी सुरैया के साथ स्क्रीन पर रोमांस करना मुश्किल था. 

गायकी से जीत लिया सबका दिल 

सुरैया रेडियो पर गाती थी. उन्होंने संगीत की ट्रेनिंग नहीं ली थी पर फिर भी वह धुन को पकड़ लेती थीं. संगीत निर्देशक नौशाद ने रेडियो पर उनकी आवाज़ सुनी और सुरैया से 'पंछी जा, पीछे रहा है बचपन मेरा...' गाना गवाया. इसके बाद वह सिनेमा की दुनिया में छा गई क्योंकि वह जमाना सिंगिग स्टार्स का था.  

नौशाद के लिए उन्होंने दिल्लगी, दास्तान, दिल-ए-नादान, अनमोल घड़ी आदि फिल्मों में गाना गाया. प्यार की जीत के गाने इतने लोकप्रिय थे कि सुरैया के घर के बाहर भीड़ जमा हो जाती थी. इसने मरीन ड्राइव के निवासियों को परेशानी होती थी और की बार उन्होंने मुख्यमंत्री से भीड़ के कारण ट्रैफिक जाम की शिकायत की. इसलिए सुरैया के घर के बाहर एक इंस्पेक्टर और चार कांस्टेबल तैनात थे. 

फैंस ने बना लिया था सुरैया का मंदिर 

द ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के मुताबिक, लोग सुबह-सुबह सुरैया के बंगले, कृष्णा महल के बाहर कतार में लगना शुरू हो जाते थे. ज्यादातर उनसे शादी करना चाहते थे. एक फैन ने तो उनके घर के बाहर अनशन भी कर दिया था ताकि सुरैया उससे शादी कर लें. उनका एक फैन तो बारात लेकर उनके घर पहुंच गया था तो एक ने घर में मंदिर में सुरैया की तस्वीर रखी हुई थी. 

मिर्ज़ा ग़ालिब फिल्म ने सुरैया को और बुलंदी पर पहुंचा दिया. यह राष्ट्रपति के स्वर्ण पदक से सम्मानित होने वाली पहली फीचर फिल्म थी. पंडित जवाहरलाल नेहरू अवार्ड नाइट के लिए आए और वह सोहराब मोदी और सुरैया के बीच बैठे. उन्होंने पूरी फिल्म देखी और सुरैया सो कहा कि उन्होंने इतनी अच्छी ग़ज़लें गाई हैं कि 'मिर्ज़ा ग़ालिब की रूह को ज़िंदा कर दिया' है. सुरैया ने इस तारीफ को ऑस्कर से बड़ा अवॉर्ड माना था. 

साल 1936 से लेकर साल 1963 तक, सुरैया ने 67 फ़िल्मों में काम किया और लगभग 338 गानों में अपनी आवाज़ दी. वह अपने जमाने की सबसे महंगी एक्ट्रेस थीं. 

पर अधूरी रही प्रेम-कहानी 

सुरैया की कोई भी बात देव आनंद और उनकी प्रेम कहानी के जिक्र के बिना पूरी नहीं होती. विद्या फिल्म की शूटिंग के दौरान सुरैया की मुलाकात देव से हुई थी. वह तब एक स्टार बन चुकी थीं और देव इंडस्ट्री में बस आए थे. एक फिल्म की शुटिंग के दौरान सुरैया तालाब में गिर गई थीं और देव ने तुरंत छलांग लगाकर उनकी जान बचाई. देव तो पहले ही सुरों की देवी पर दिल हार चुके थे और इस घटना के बाद सुरैया भी उनकी दीवानी हो गईं. 

लेकिन सुरैया की नानी के कारण उनका अपने काम के बाहर कोई अस्तित्व नहीं था. इतना ही नहीं, साथ काम करने के बावजूद लगभग डेढ़ साल बाद तक भी सुरैया और देव एक-दूसरे से अकेले नहीं मिल पाए थे. ऐसे में, देव उन्हें खत लिखने लगे. देव ने जीत के सेट पर सुरैया को प्रपोज किया और हीरे की अंगूठी पहनाई. लेकिन उनकी नानी ने देव की अंगूठी को समुद्र में फेंक दिया. 

सुरैया की नानी और मामा ने देव को गिरफ्तार या मार डालने की धमकी दी. और तो और सुरैया से कहा गया कि अगर उनकी शादी देव आनंद से हुई, तो हिंदू-मुस्लिम दंगे भड़क जाएंगे. और देव की जान की परवाह में सुरैया ने उन्हें इंकार कर दिया. उस समय वह सिर्फ 22 साल की थी. लेकिन इसके बाद सुरैया ने कभी किसी से शादी नहीं की. साल 2004 में अपनी आखिरी सांस लेने तक भी उनके दिल में सिर्फ देव थे. 

 

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