Meena Kumari: हिंदी सिनेमा की ट्रेजडी क्वीन! जिन्हें देखकर डायलॉग भूल जाते थे बड़े-बड़े एक्टर, डकैत भी थे इनके दीवाने

मीना कुमारी अब हमारे बीच नहीं रहीं. उन्हें आज भी फिल्म प्रेमी याद करते हैं. मीना कुमारी का असली नाम महजबीं बानो था. उनका जन्म 1 अगस्त 1932 को मुंबई में हुआ था. मीना कुमारी के पिता मास्टर अली बख्श पाकिस्तान से भारत आए थे.

Meena Kumari
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 02 जून 2023,
  • अपडेटेड 1:57 PM IST

बॉलीवुड की 'ट्रेजेडी क्वीन' कही जाने वाली मीना कुमारी अब हमारे बीच नहीं रहीं. उन्हें आज भी फिल्म प्रेमी याद करते हैं. उनकी जिंदगी में तमाम दर्द और गम़ आए लेकिन इसका असर उन्होंने अपे अभिनय पर नहीं पड़ने दिया. मीना ने अपने अभिनय और सुंदरता से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया था. मीना कुमारी अपने जमाने की सबसे पसंदीदा अभिनेत्रियों में सबसे टॉप पर थीं.

उस दौरान वह कई सफल फिल्मों में नजर आईं. लेकिन मीना कुमारी का जीवन काफी विवादास्पद रहा. एक तरफ पर्सनल लाइफ में उनको लगातार दुःख मिल रहा था तो वहीं उनका एक्टिंग करियर दिनों दिन नई ऊंचाईयों को छू रहा था. वैसे तो मीना कुमारी की जिंदगी से जुड़े कई सारे किस्से हैं. उनके अफेयर से लेकर उनके शराब पीने तक सबकुछ पर खबर बनीं. आज हम बात मीना कुमारी के उन किस्सों पर करेंगे जो उन्हें औरों से अलग बनाते हैं.

बेहद गरीब था परिवार
मीना कुमारी का असली नाम महजबीं बानो था. उनका जन्म 1 अगस्त 1932 को मुंबई में हुआ था. मीना कुमारी के पिता मास्टर अली बख्श पाकिस्तान से भारत आए थे. वे हारमोनियम बजाते थे और उर्दू कवि थे. इसके अलावा वो थोड़ा बहुत थिएटर से भी जुड़े थे. इसके साथ ही फिल्मों में छोटी-मोटी भूमिकाएं भी किया करते थे. अली बख्श (मीना कुमारी के पिता) से शादी के पहले प्रभावती देवी (मीना कुमारी की मां) रंगमंच में नृत्य किया करती थीं. प्रभावती का नाम अली बख्श से शादी के बाद इकबाल बेगम हो गया. अली बख्श से शादी के बाद उनके परिवार की स्थति और भी खराब होती चली गई. इकबाल बेगम को गरीबी के दिन देखने पड़े. वो इतनी गरीबी थीं कि मीना कुमारी के जन्म के समय उनके पास अस्पताल में डिलीवरी तक के पैसे भी नहीं थे. अली बख्श मीना कुमारी को सीढ़ियों पर छोड़कर आ गए कि कोई उन्हें ले जाएगा लेकिन बच्चे को मोह ने उन्हें वापस बुला लिया. अलीबख्श वापस मुड़कर गए और बच्ची को गोद में उठाकर उसका माथा चूमा.

मीना कुमारी चलाती थीं घर-खर्च
मीना को पैसा कमाने के लिए इतनी छोटी सी उम्र में ही फिल्मों में काम करना पड़ा. जिस उम्र में बच्चे मस्ती और पढ़ाई करते हैं, उस उम्र में मासूम मीना फिल्मों में काम करके अपने घर का पालन पोषण कर रहीं थीं. महज 7 साल की मीना घर के खर्चे संभालने लगीं. उन्हें चाइल्ड आर्टिस्ट के रूप में फिल्मों में काम मिलने लगा. उन्हें सभी चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर 'बेबी मीना' पुकारते थे. मीना ही अपने घर का पूरा खर्चा संभालती थीं.

शूटिंग के दौरान हुआ हादसा
वैसे तो मीना कुमारी ने अपने फिल्मी करियर में एक से बढ़कर एक बेहतरीन फिल्में कीं लेकिन फिल्म बैजू बावरा से उनकी किस्मत चमक उठी.  बैजू बावरा साल 1952 में रिलीज हुई थी. इस फिल्म के दौरान एक बहुत बड़ा हादसा हुआ था. दरअसल, फिल्म का एक सीन था, जिसमें मीना कुमारी को नाव में एक सीन करना था. सीन के दौरान मीना पानी में गिर गईं और लगभग डूब ही गई थीं, लेकिन वो कहते हैं ना जाको राखे साइयां मार सके ना कोई. ऐसा ही चमत्कार कुछ मीना के साथ भी हुआ. मीना को आखिरकार उनकी फिल्म की कास्ट ने मिलकर पानी से निकाला. उस दिन मीना बाल-बाल बचीं थीं. इस फिल्म में मीना को उनके अभिनय के लिए फिल्मफेयर बेस्ट एक्ट्रेस का अवॉर्ड भी मिला था. मीना कुमारी वो पहली एक्ट्रेस थीं जिन्हें ये अवार्ड मिला.

डाकू निकला फैन
मीना कुमारी की सबसे चर्चित फिल्मों में से एक थी पाकीज़ा. कहा जाता है कि 1960 और 1970 के दशक में कमाल अमरोही और मीना कुमारी अपने कुछ क्रू मेंबर्स के साथ पाकीज़ा की शूटिंग के लिए मध्य प्रदेश के शिवपुरी पहुंचे थे. चंबल के जंगल के बीच में उनकी कार का पेट्रोल खत्म हो गया. चंबल के डाकुओं का गिरोह आनन-फानन में पहुंचा और उनके वाहनों को घेर लिया. उस रात दर्जनों हथियारबंद डाकुओं को देखकर कमल और मीना डर ​​से कांपने लगे. इस दौरान कमाल अमरोही ने एक लुटेरे से कहा, ''तुम अपने सरदार से कहो कि वह आकर हमसे कार में मिलें. नाम कमाल अमरोही है और मैं शूटिंग के लिए चंबल आया हूं." जब डकैत ने 'शूटिंग' शब्द सुना, तो वह क्रोधित हो गया और सभी से गुस्से में बोलने लगा, यह विश्वास करते हुए कि वे सभी पुलिस वाले थे जो 'गोलीबारी' या मुठभेड़ के लिए यहां आए थे. इसी गलतफहमी के चलते कमाल अमरोही और मीना कुमारी का डाकुओं ने अपहरण कर लिया था. लेकिन जब उसे पता चला कि वो अभिनेत्री मीना कुमारी हैं तो वो उनसे ऑटोग्राफ मांगने के लिए झुक गया.

डुपट्टे में क्यों लपेटती थीं हाथ
फिल्म बैजू बावरा के बाद मीना की लाइफ में कई हादसे हुए. एक बार की बात है जब मीना मुंबई और महाबलेश्वर के रास्ते में कहीं जा रही थीं तो उनका एक्सीडेंट हो गया था. ये एक्सीडेंट इतना खतरनाक था कि इस एक्सीडेंट में मीना की बाएं हाथ की उंगली तक टूट गई थी, यही कारण है कि मीना ज्यादातर फिल्मों के दौरान अपनी बाएं हाथ की उंगली को दुपट्टे में लपेटे नजर आती थीं. पाकीजा के दौरान अक्सर मीना की खूबसूरती को देखकर अपने डायलॉग भूल जाया करते थे. जब ये बात कमाल अमरोही को पता चली तो उन्होंने इस बात के लिए राज कुमार को समझाया की मीना केवल उनकी है.

कोई नहीं तोड़ पाया ये रिकॉर्ड
1960 के दशक में मीना कुमारी कमर्शियली भी एक सक्सेफुल स्टार थीं. परिणीता, दिल अपना और प्रीत पराई, श्रद्धा, आजाद, दिल एक मंदिर और कोहिनूर उनकी बेहतरीन फिल्मों में से एक हैं. साल 1962 में एक रिकॉर्ड बन गया. बेस्ट एक्ट्रेस की कैटेगरी में तीन फिल्में थीं. 'आरती', 'मैं चुप रहूंगी' और 'साहब बीबी और गुलाम' और बेस्ट एक्ट्रेस की तीनों कैटेगरी में नाम मीना कुमारी के थे. ये रिकॉर्ड आज तक कभी नहीं टूटा. 

 

Read more!

RECOMMENDED