जासूस रविंद्र कौशिक की कहानी जानिए, जिनपर फिल्म बनाने जा रहे हैं अनुराग बसु

बॉलीवुड फिल्ममेकर अनुराग बासु रॉ एजेंट रविंद्र कौशिक पर फिल्म बनाना चाहता है. रविद्र कौशिक की बायोपिक उनके साहस की कहानी होगी जो उन्होंने 20 की उम्र से ही देश की सुरक्षा के लिए किए.

Anurag Basu biopic on Ravindra Kaushik
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 10 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 12:14 PM IST

फिल्ममेकर अनुराग बसु ने घोषणा की है कि वो भारतीय जासूस रवींद्र कौशिक के जीवन पर एक फिल्म बनाएंगे जिसका नाम 'द ब्लैक टाइगर' होगा.'लाइफ इन ए... मेट्रो', 'गैंगस्टर', 'बर्फी' और 'लूडो' जैसी फिल्मों के लिए पहचाने जाने वाले निर्देशक ने कहा कि कौशिक जैसे गुमनाम नायकों की कहानियां लोगों तक पहुंचाना जरूरी है. आजकल बॉलीवुड में थोड़ा लीग से हटकर और बायोपिक बनाने का दौर सा चल रहा है. अभी कुछ दिनों पहले फिल्म आई थी पठान जिसमें शाहरुख खान ने एक जासूस का किरदार निभााया था. इससे पहले 'मिशन मजनू' में सिद्धार्थ मल्होत्रा एक जासूस की भूमिका में नजर आए थे.

अब बात रविंद्र कौशिक की जिस पर अनुराग बायोपिक बनाने वाले हैं. आइए जानते हैं उनके बारे में. कौशिक के परिवार ने भी बायोपिक के लिए अपनी सहमति दे दी है और वे रवींद्र कौशिक से जुड़ी सभी जानकारी मेकर्स को देने के लिए तैयार हैं. जल्द ही इस फ़िल्म के लिए कास्टिंग भी शुरू हो जाएगी.

कौन थे रविंद्र कौशिक?
रविंद्र ने महज 20 साल की उम्र में राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े कई मिशन पूरे किए थे. 70 और 80 के दशक के इन मिशन ने न सिर्फ भारत बल्कि समूचे दक्षिण एशिया की राजनीति की दशा-दिशा बदल दिए थे. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने रवींद्र कौशिक को ‘द ब्लैक टाइगर’नाम दिया था.रवींद्र कौशिक भारत के रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) के एजेंट थे, जिन्होंने 1975 से 1983 तक पाकिस्तान में देश के लिए जासूसी की थी. रविंद्र को बचपन से थिएटर में दिलचस्पी थी. इसी दौरान रॉ की नजर उनपर पड़ी. मिशन पूरा करने के लिए उन्होंने इस्लाम धर्म भी अपना लिया। 1975 में बतौर जासूस उन्हें पाकिस्तान भेजा गया. वो पाकिस्तान में नबी अहमद शेख बनकर गए थे.

उन्होंने पाकिस्तान में जाकर एक पाकिस्तानी आर्मी ऑफिसर के रूप में रॉ के लिए काम किया. वे पाकिस्तानी आर्मी में रहते हुए भारत को खुफिया जानकारी भेजते थे. लेकिन साल 1983 में उनकी पहचान का पता होने के बाद उन्हें पाकिस्तान की आर्मी ने अपने कब्जे में कर लिया था. उन्हें पाकिस्तान में ही उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. उनकी मौत पाकिस्तान की जेल में हो गई थी. वे टीबी से पीड़ित थे. 

 

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