कालका बिंदादीन परंपरा के अगुआ पंडित बिरजू महाराज ने संगीत में केवल देना सीखा था. उन्होंने कला का दान अपनी ताउम्र किया. दुनिया का आज कोई कोना ऐसा नहीं है जहां आज उनकी कला के मुरीद नहीं हैं. कथक की कला में भाव की अदायगी. हो या फिर मुद्रा की स्पष्टता, लयकारी की गति हो या फिर जुगलबंदी की तासीर. पंडित जी ने हर जगह वो छाप छोड़ी है जो सदियों तक अमिट रहेगी. लोकगायिका मालिनी अवस्थी ने भी पंडित जी से जुड़ी अपनी यादें गुड न्यूज टुडे से साझा की...