भारतीय रेलवे इन्फ्रास्ट्रक्चर के मामले में नए कारनामे करने के लिए जाना जाता रहा है. साल 2019 में रेलवे ने रामेश्वरम के समुद्र में एक ऐसे पुल का निर्माण शुरू कर दिया था, जो किसी जहाज के आने पर ऊपर उठ जाएगा. भारत का यह पहला चलता-फिरता 'वर्टिकल लिफ्ट स्पैन टेक्नोलॉजी' से बना पुल होगा. दो किलोमीटर लंबे इस पुल पर 8 नवंबर, 2019 को काम शुरू हुआ था उम्मीद की जा रही है यह पुल 2022 तक बनकर तैयार हो जाएगा.
(फोटो- सोशल मीडिया)
इस ब्रिज के बन जाने से राम भक्तों को रामेश्वरम तक पहुंचने में ज्यादा आसानी होगी. पंबन ब्रिज का निर्माण तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में चल रहा है. पंबन का पुराना ब्रिज साल 2014 में बना था और नया पुल बनने के साथ ही इस पुल का इस्तेमाल बंद कर दिया जाएगा.
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इस ब्रिज के बन जाने से राम भक्तों को रामेश्वरम तक पहुंचने में ज्यादा आसानी होगी. पंबन ब्रिज का निर्माण तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में चल रहा है. पंबन का पुराना ब्रिज साल 2014 में बना था और नया पुल बनने के साथ ही इस पुल का इस्तेमाल बंद कर दिया जाएगा.
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रामेश्वरम को भारत की मुख्यभूमि से जोड़ने के लिए रेलवे नए पुल का निर्माण कर रहा है जो 106 वर्ष पुराने मौजूदा पंबन पुल की जगह लेगा. नए पुल को इस तकनीक से बनाया जाएगा कि उसका एक हिस्सा बीच से लिफ्ट की भांती ऊपर उठ जाए और जहाजों के आने-जाने के लिए रास्ता दे सके. इसे वर्टिकल लिफ्ट ब्रिज कहते हैं. यह भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट ब्रिज होगा. जहाजों के गुजर जाने के बाद पुल का वह हिस्सा फिर से अपनी जगह पर आ जाएगा और ट्रेनें वहां से गुजर सकेंगी.
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पंबन ब्रिज को दुनिया की सबसे आधुनिक तकनीक से बनाया जा रहा है. इसमें जहाजों को पार कराने के लिए पहली बार वर्टीकल लिफ्ट स्पैन लगा होगा. साथ ही इसमें भविष्य के लिए दो रेल लाइन और इलेक्ट्रिफिकेशन को ध्यान में रखा जा रहा है. इस नए ब्रिज को पुराने ब्रिज से 3 मीटर ज्यादा ऊंचाई पर बनाया जा रहा है ताकि हाई टाइड के समय इस पर पानी न आ सके. इस ब्रिज पर स्टेनलेस स्टील की पटरियां भी बिछाई जाएंगी जो भारत में पहली बार होगा.
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पंबन ब्रिज को दुनिया की सबसे आधुनिक तकनीक से बनाया जा रहा है. इसमें जहाजों को पार कराने के लिए पहली बार वर्टीकल लिफ्ट स्पैन लगा होगा. साथ ही इसमें भविष्य के लिए दो रेल लाइन और इलेक्ट्रिफिकेशन को ध्यान में रखा जा रहा है. इस नए ब्रिज को पुराने ब्रिज से 3 मीटर ज्यादा ऊंचाई पर बनाया जा रहा है ताकि हाई टाइड के समय इस पर पानी न आ सके. इस ब्रिज पर स्टेनलेस स्टील की पटरियां भी बिछाई जाएंगी जो भारत में पहली बार होगा.
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पंबन का नया ब्रिज करीब 2 किलोमीटर (2.05 किलोमीटर) लंबा होगा. यह पुल मंडपम् से समुंदर के बीच मौजूद रामेश्वरम तक बनाया जा रहा है. मंडपम् भारतीय प्रायद्वीप में जमीनी सीमा में रेलवे का अंतिम स्टेशन है. जबकि रामेश्वरम मन्नार की ख़ाड़ी में मौजूद है. इस पुल के बन जाने से यहां ट्रेनों को ज़्यादा स्पीड से चलाया जा सकेगा. साथ ही इससे मालगाड़ियों की भी क्षमता बढ़ जाएगी. सबसे ख़ास बात ये है कि नये पुल से एक बार में बड़ी संख्या में श्रद्धालु रामेश्वरम् तक जा सकेंगे.
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पंबन ब्रिज का निर्माण करीब 250 करोड़ रुपये की लागत से हो रहा है. इसके लिए आधारशिला मार्च 2019 में रखी गई थी. लेकिन कोरोना और लॉकडाउन की वजह से ब्रिज बनाने के काम भी प्रभावित हुआ है. पंबन ब्रिज बनाने की जिम्मेदारी रेल विकास निगम लिमिटेड को दी गई है.
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पंबन में नए पुल के अलावा रेलवे की योजना रामेश्वरम् से धनुषकोडी तक एक बार फिर से रेल लाइन बनाने की है. यह रेल लाइन 18 किलोमीटर लंबी होगी. धनुषकोडी में ही रामसेतु ( एडम्स ब्रिज) का एक छोर मौजूद है. 1964 में आए साइक्लोन में यह रेल लाइन पूरी तरह तबाह हो गई थी. उस वक्त एक ट्रेन इसकी चपेट में भी आ गई थी जिसमें सवार सभी लोग मारे गए थे.
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