राजस्थान के अलवर जिले की रहने वील सलोनी सचेती ने दो साल पहले आदिवासी महिलाओं के साथ मिलकर स्टार्टअप शुरू किया था, आज वो रंग ला रहा है. आदिवासी महिलाओं बांस की मदद से ज्वेलरी और होमडेकोर आइटम्स बनाए और सलोनी ने उनकी मार्केटिंग शुरू की.
सलोनी अब अपने इस स्टार्टअप से लाखों कमा रही हैं और साथ ही आदिवासी महिलाओं की भी खूब आमदानी हो रही है. वो अब तक 35 से ज्यादा महिलाओं को रोजगार दे चुकी हैं. हाल ही में फोर्ब्स अंडर 30 की लिस्ट में भी उन्हें जगह मिली है
साल 2019 में उन्होंने बांसुली नाम से स्टार्टअप की शुरुआत की फिर इन महिलाओं की मदद से न सिर्फ ज्वेलरी बल्कि होमडेकोर के आइटम्स भी बनाना शुरू कर दिए. जैसे-जैसे समय बीता इनके काम में निखार आता गया. ये महिलाएं अब खुद से ही क्रिएटिव प्रोडक्ट तैयार करने लगीं.
जब प्रोडक्ट्स की अच्छी खासी लिस्ट हो गई, तब उन्होंने इसकी मार्केटिंग करने का प्लान तैयार किया. इसके लिए उन्हें सोशल मीडिया सबसे बेहतर प्लेटफॉर्म लगा. फिर फेसबुक और इंस्टाग्राम पर पेज बनाए और अपने प्रोडक्ट की फोटो-वीडियो अपलोड करने लगी.
सोनाली का कहना है कि हमारी टीम का पूरा फोकस क्रिएटिविटी और क्वालिटी पर था, इसलिए लोगों का बेहतर रिस्पॉन्स भी मिलने लगा. देश के अलग-अलग हिस्सों से हमें ऑर्डर मिलने लगे. इसके बाद हमने अलग-अलग शहरों में प्रदर्शनी में अपना स्टॉल लगाना भी शुरू कर दिया. कुछ ही महीनों में अच्छी खासी आमदनी होने लगी.
इतना ही नहीं इस साल फोर्ब्स अंडर 30 की लिस्ट में भी हमारे काम को जगह मिली है, मेरा नाम छपा है. सलोनी ने जयपुर में अपना ऑफिस खोल लिया है. जहां से मार्केटिंग का सारा काम देखती हैं. जबकि मैन्युफैक्चरिंग डांग जिले में होती है.
सोनाली का कहना है कि उनके साथ अब 35 से ज्यादा महिलाएं जुड़ी हैं, जो 200 से ज्यादा अलग-अलग वैराइटी के बांस से बने प्रोडक्ट बना रही हैं. इसमें हर इवेंट और ओकेजन के हिसाब से ज्वेलरी के साथ ही लैपटॉप स्टैंड, लाइट स्टैंड, राखी, दीए, किचन और होमडेकोर के ढेर सारे आइटम्स शामिल हैं.