आपने जो दवा मेडिकल स्टोर से खरीदी है, वो नकली है या असली? अब इसकी टेंशन खत्म हो गई है. अब आप खुद ये पता लगा सकते हैं कि आपकी खरीदी हुई दवा असली है या नहीं. एक अगस्त 2023 से केंद्र सरकार ने 300 दवाओं पर क्यूआर कोड लगाने का आदेश दिया है.
दवा पर QR कोड होना अनिवार्य-
सरकार ने नकली दवाओं के कारोबार पर नकेल कसने के लिए बड़ा फैसला लिया है. केंद्र सरकार ने ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 में बदलाव किया है और फार्मा कंपनियों को अपने ब्रांड पर H2/QR लगाना अनिवार्य कर दिया है. डीसीजीआई ने फार्मा कंपनियों को क्यूआर कोड लगाने के नियम को पालन करने को कहा है. इसके जरिए नकली दवा की पहचान की जा सकती है और उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है. केंद्र सरकार ने इसके लिए साल 2022 में ही फार्मा कंपनियों को निर्देश जारी किया था. अब इस नियम को लागू कर दिया गया है. सरकार का ये कदम नकली दवाओं की बिक्री पर रोक लगाने और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए ट्रैक एंड ट्रेस पॉलिसी का हिस्सा है.
किन दवाओं पर होगा क्यूआर कोड-
आपने जो दवा खरीदी है, वो नकली है या असली. इसकी जानकारी के लिए अब हर दवा पर क्यूआर कोड मिलेगा. जिसमें दवा के बारे में सारी जानकारी होगी. बार कोड या क्यूआर कोड स्कैन करके दवा के बारे में सबकुछ जान सकते हैं. एलिग्रा, शेलकेल, डोलो, काल्पोल और मेफ्टेल जैसी 300 दवाओं पर आज से क्यूआर कोड मिलेगा. जिनका फार्मा रिटेल बाजार में 50 हजार करोड़ का योगदान है.
क्यूआर कोड के जरिए लोगों को दवा का प्रॉपर और जेनरिक नाम, ब्रांड का नाम, मैन्युफैक्चरिंग की जानकारी, एक्सपायरी डेट, लाइसेंस नंबर जैसी जानकारी मिलेगी.
उल्लंघन पर लगेगा जुर्माना-
केंद्र सरकार ने नकली दवाओं पर रोक लगाने के लिए ये दिशा-निर्देश जारी किया था. अब इसे लागू कर दिया गया है. अगर कोई फार्मा कंपनी इस नियम का उल्लंघन करती है तो उसके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है. कंपनी पर बड़ा जुर्माना लगाया जा सकता है.
सरकार नकली दवाओं के कारोबार को लेकर काफी सख्ती है. लगातार कार्रवाई हो रही है. भारत में बनने वाले कफ सीरप से मौत के मामले में 18 फार्मा कंपनियों का लाइसेंस रद्द कर दिया गया.
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