Artificial Intelligence in Farming: महिला किसान का कमाल! एआई से की गन्ने की खेती, लागत में 30 फीसदी की कमी, 40 फीसदी ज्यादा उत्पादन

महाराष्ट्र की किसान सीमा चौहान ने AI की मदद से गन्ने की खेती कर रही है. इससे फसल की लागत 30 फीसदी कम हो गई है. जबकि उत्पादकता में 30 से 40 फीसदी की बढ़ोरी हुई है.

Seema Chauhan
gnttv.com
  • पुणे, महाराष्ट्र,
  • 21 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 4:01 PM IST

महाराष्ट्र के बारामती की 56 साल की किसान सीमा चौहान ने AI के इस्तेमाल से गन्ने की खेती में क्रांति ला दी है. माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नडेला ने हाल ही में सीमा चौहान का एक वीडियो शेयर किया, जिसमें उन्होंने एआई के उपयोग से खेती में हुए फायदों के बारे में बताया. सीमा के मुताबिक एआई के इस्तेमाल से उनकी खेती की लागत में 30 फीसदी की कमी आई है और उत्पादकता में 30-40 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.

AI से खेती में क्रांति-
किसान सीमा चौहान ने अपने खेत के डेढ़ एकड़ हिस्से में एआई की मदद से गन्ने की खेती की है. उनका खेत उनके घर से 30 किलोमीटर दूर है, लेकिन एआई की मदद से वे घर बैठे ही अपनी खेती को मैनेज कर लेती हैं. मोबाइल ऐप के जरिए उन्हें रियल टाइम में रियल डेटा मिल जाता है, जिससे वे सही समय पर खेती को लेकर सही कदम उठा पाती हैं.

कैसे काम करता है एआई-
खेती में एआई के इस्तेमाल के लिए खेत में एक टावर लगाया जाता है, जिसमें एआई पावर सेंसर फिट होते हैं. ये सेंसर मौसम की जानकारी, मिट्टी की स्थिति, पानी की जरूरत, फर्टिलाइज़र और पेस्टिसाइड की आवश्यकता जैसी सभी जानकारियां मोबाइल ऐप पर भेजते हैं. इससे किसान को घर बैठे ही अपने खेत की पूरी जानकारी मिल जाती है और वे समय रहते सही कदम उठा सकते हैं.

किसानों के लिए फायदेमंद-
सीमा चौहान का कहना है कि एआई की मदद से उन्हें खेती की लागत में 30 फीसदी की कमी आई है और उपज 30-40 फीसदी तक बढ़ गई है. वे कहती हैं कि एआई की मदद से मुझे घर बैठे ही पता चल जाता है कि गन्ने की अच्छी फसल के लिए कब क्या उपाय करने हैं? इससे खेती घाटे का सौदा नहीं बनती और किसान को सही समय पर सही जानकारी मिलती है.

भविष्य की उम्मीदें-
अभी देश के ज्यादातर हिस्सों में खेती पारंपरिक तरीके से ही की जाती है, लेकिन जिस तरह से एआई खेती को आसान बना रही है. उम्मीद की जा सकती है कि बहुत जल्द इसका इस्तेमाल बढ़ेगा. किसान चाहते हैं कि इसकी कीमत ऐसी हो कि छोटा से छोटा किसान भी इसे खरीद सके.

(पुणे से ओमकार की रिपोर्ट)

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