बिहार के दो लाल ने दिल्ली में कमाल कर दिया है. सीवान जिले के रहने वाले अंकित तिवारी और उनके भाई अनुराग तिवारी दिल्ली में रहकर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करते थे. इस दौरान उन्होंने महसूस किया कि जो मिडिल क्लास या लोअर मिडिल क्लास फैमिली से ताल्लुक रखते हैं, उन्हें कोचिंग की फीस चुकाने में दिक्कत पेश आ रही है. उनके लिए दिल्ली जैसे शहर में रहना और महंगी फीस भरना काफी मुश्किल है. खुद इन दोनों भाइयों के लिए भी फीस देना मुश्किल हो रहा था. इस परेशानी को देखते हुए दोनों भाइयों के दिमाग में ऐसा आइडिया आया जिससे परेशानी दूर हो गयी. दोनों भाइयों ने ऑनलाइन कोचिंग चलाने का सोचा, फिर साल 2017 में एक वेबसाइट लॉन्च की और कोचिंग प्रोवाइड करना शुरू कर दिया. आज उनके साथ 12 हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स जुड़े हैं और ये भाई सालाना 30-35 लाख रुपए तक कमा रहे हैं.
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक 27 साल के अनुराग के पिता राजस्थान में प्राइवेट जॉब करते हैं. इस वजह से अनुराग की शुरुआती पढ़ाई-लिखाई राजस्थान में हुई. इसके बाद उन्होंने दिल्ली से ग्रेजुएशन और मास्टर्स की पढ़ाई की. जबकि, 29 साल के अंकित ने कंपनी सेक्रेटरी (CS) का कोर्स किया है.
ऑनलाइन पढ़ाने की तरकीब रंग लाई
अनुराग बताते हैं कि 2016-17 में तेजी से इंटरनेट टेक्नोलॉजी बढ़ रही थी. सस्ते इंटरनेट पैक तो थे ही साथ ही लगभग सबके हाथ में मोबाइल फोन था, बस फिर क्या था दोनों ने ऑनलाइन पढ़ाने का पक्का इरादा बना लिया, और जो सब्जेक्ट क्लॉस रूम में पढ़ाए जा रहे हैं, उसे ऑनलाइन पढ़ाना शुरू कर दिया. इसको लेकर अनुराग ने अपने भाई अंकित से बात की, वे भी खुद का कुछ करना चाहते थे। उन्हें अनुराग का आइडिया पसंद आया और दोनों ने काम करना शुरू कर दिया.
टीचर्स के रिकॉर्डेड वीडियो ऑनलाइन बेच कर की थी शुरुआत
साल 2017 में दोनों भाइयों ने मिलकर 'लेक्चर देखो' नाम से एक वेबसाइट तैयार की. इसके बाद दिल्ली के कुछ बड़े टीचर्स को अपने साथ जोड़ा और उनकी रिकॉर्डेड क्लासेज की वीडियो सेल करने लगे. कीमत कम रखने के कारण उनके पास मेडिकल, इंजीनियरिंग, CA सहित कई प्रोफेशनल कोर्सेज के वीडियो लेक्चर्स थे, जिसका खूब फायदा हुआ,और जल्द ही स्टूडेंट्स का बेहतर रिस्पॉन्स मिलने लगा.वे कहते हैं कि तब हम रेवेन्यू मॉडल पर काम कर रहे थे. यानी जितने वीडियो सेल होते थे, उनसे हुई कमाई का कुछ हिस्सा हमारा होता था और कुछ हिस्सा उन टीचर्स का होता था. करीब एक साल तक इस मॉडल पर हम लोग काम करते रहे. इससे हमें अच्छी-खासी आमदनी हुई.
फिर किया खुद का टीचिंग प्लेटफॉर्म लॉन्च
जब काम अच्छा-खासा जम गया तो तय हुआ कि दूसरे टीचर्स के कोर्स सेल करने की बजाय खुद का ही कोर्स डेवलप किया जाए, और तमाम कोर्स को अपने हिसाब से डिजाइन कर उसकी फीस खुद के हिसाब से रख सकें. इसके लिए थोड़ा बहुत रिसर्च करना पड़ा. अलग-अलग ऑनलाइन लर्निंग ऐप की एनालिसिस की गई , फिर कुछ टीचर्स को हायर किया. इसके बाद उनका फोकस कॉम्पिटिटिव एग्जाम्स के साथ ही क्लास 1 से 12वीं तक के बच्चों के एजुकेशन हुआ. दोनों उन्हें अपनी वेबसाइट के जरिए ऑनलाइन कोचिंग प्रोवाइड कराने लगे , अनुराग ने बताया कि हमारा फोकस मेट्रो सिटीज के बजाय छोटे शहरों के स्टूडेंट्स पर रहा. हमने कोर्स की फीस भी उतनी ही रखी कि कोई भी स्टूडेंट उसे आसानी से खरीद सके.
कोरोना काल में ऑनलाइन लर्निंग को मिला बढ़िया रिस्पॉन्स
बस फिर दोनों की सफलता की शुरुआत हो गयी, ठीक एक साल बाद यानी 2019 में अनुराग ने मोबाइल ऐप लॉन्च किया. इससे टीचिंग प्लेटफॉर्म पर मौजूदगी बनाने में उन्हें काफी सहूलियत हुई. अलग-अलग शहरों के स्टूडेंट्स उनसे जुड़ने लगे. दो साल के भीतर करीब 12 हजार स्टूडेंट्स जुड़ गए. वे कहते हैं कि कोरोना काल में भी हमारे बिजनेस को काफी बढ़िया रिस्पॉन्स मिला है. इससे लोगों के बीच ऑनलाइन प्लेटफॉर्म एक मजबूत विकल्प बनकर उभरा है.