चंडीगढ़ में आज से करीब दो साल पहले इलेक्ट्रिक बसें चलाने की पहल की गई थी. चंडीगढ़ की सड़कों पर आज 80 इलेक्ट्रिक बस दौड़ रही हैं और इस पहल के सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं. इलेक्ट्रिक बसों के चलने से 17 करोड रुपए से ज्यादा की बचत हुई है और लगभग साढे 20 लाख लीटर डीजल को भी बचाया गया है. इससे कार्बन डाई ऑक्साइड एमिशन (CO2) को रोकने मैं भी मदद मिली है.
2021 में शुरू की गईं इलेक्ट्रिक बसें
शहर में इलेक्ट्रिक बसें शुरू होने से यूटी परिवहन विभाग ने दो साल में 17.17 करोड़ रुपये का लगभग 20.38 लाख लीटर डीजल बचाया गया है. ये इलेक्ट्रिक बसें नवंबर 2021 में खरीदी गई थीं. पिछले 26 महीनों से ज्यादा समय में 1.51 करोड़ से ज्यादा यात्री इन बसों से यात्रा कर चुके हैं.
यूटी परिवहन निदेशक प्रद्यूम्न सिंह ने गुड न्यूज़ टुडे से बातचीत में कहा कि इलेक्ट्रिक बसें अब तक इंट्रा-सिटी मार्गों पर 1.01 करोड़ किमी की दूरी तय कर चुकी हैं, जिससे 20.38 लाख लीटर से ज्यादा डीजल की बचत हुई है. इलेक्ट्रिक बसों ने 5380.42 टन CO2 एमिशन को रोकने में भी मदद की है.
तय करती हैं 130 किमी की दूरी
सिंह ने बताया कि बस एक बार चार्ज करने पर लगभग 130 किमी की दूरी तय करती है और किसी वाहन को फुल चार्ज करने में लगभग दो घंटे का समय लगता है. प्रत्येक बस में बैठने की क्षमता 36 सीट है और एक समय में ज्यादातर 54 लोग ले जा सकती है. औसतन, इनमें से हर एक बस एक दिन में 200 किमी से 300 किमी तक की दूरी तय करती है.
परिवहन विभाग इस साल 100 और इलेक्ट्रिक बसें खरीदने की योजना बना रहा है. यह 2027-28 तक सीटीयू की 350 डीजल बसों के पूरे बेड़े को इलेक्ट्रिक बसों से बदलने की प्रशासन की योजना को बढ़ावा देगा. चंडीगढ़ शहर में देश की सबसे बड़ा पब्लिक बाइक शेयरिंग सिस्टम है, जिसमें 10 लाख सवारी 41 लाख किमी के क्षेत्र को कवर करती हैं. जिससे 1,010 टन से ज्यादा कार्बन उत्सर्जन में कटौती होती है.