मसीहा बना रेस्क्यू ऑफिसर, लिफ्ट डक्ट में फंसा चूजा तो 35 फीट नीचे उतरकर बचाई जान

चिड़िया और चूजा दोनों छत पर बैठे थे, चिड़िया जब खाना लाने के लिये उडी तो वो अपने चूजे से बिछड़ गयी और चूजा डक्ट में फंस गया. ये देखकर आशालक्ष्मी ने रेस्क्यू वालों को कॉल किया. पहले उन्हें लगा कि वे नहीं आएंगे, लेकिन ऑफिसर 30 मिनट में ही चूजे को बचाने के लिए पहुंच गए.

Baby Bird
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 23 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 7:12 PM IST
  • ऑफिसर ने 35 फीट नीचे उतरकर बचाई जान
  • डक्ट से आ रही थी पक्षी की आवाज

कहते हैं कोई भी जीवन छोटा या बड़ा नहीं होता. जितनी कीमत इंसान की जान की है उतनी ही धरती पर मौजूद किसी भी जीव-जंतु की है. बुधवार को ऐसे ही एक चूजे (चिड़िया का बच्चा) को बचाने के लिए कई देर तक मशक्क्त करनी पड़ी. चार फायर रेस्क्यू ऑफिसर ने केरल सेंट्रल यूनिवर्सिटी में 35 फुट की लिफ्ट डक्ट में गिरे एक चिड़िया के बच्चे को बचाया. बचाव कर्मियों को बुलाने वाली अस्सोसिएट प्रोफेसर बी एस आशालक्ष्मी ने बताया कि जब चिड़िया का बच्चा अपनी मां से मिला तो उसने से झपट्टा मारकर अपने पास बैठा लिया. यह एक ऐसा नजारा था जिसका वे कल से इंतजार कर रहीं थीं. 

दरअसल, चिड़िया और चूजा दोनों छत पर बैठे थे, चिड़िया जब खाना लाने के लिये उडी तो वो अपने चूजे से बिछड़ गयी और चूजा डक्ट में फंस गया. ये देखकर आशालक्ष्मी ने रेस्क्यू वालों को कॉल किया. पहले उन्हें लगा कि वे नहीं आएंगे, लेकिन ऑफिसर 30 मिनट में ही चूजे को बचाने के लिए पहुंच गए.

डक्ट से आ रही थी पक्षी की आवाज 

मंगलवार को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के दौरे के दौरान लोक प्रशासन भवन विभाग की रखवाली कर रहे एक पुलिस अधिकारी ने डॉ. आशालक्ष्मी को चूजे के गिरने की सूचना दी. जब होने एक पक्षी को उसके चारों ओर पंख फड़फड़ाते हुए देखा तब वे तीन मंजिला छत पर थे. पुलिस अधिकारी चिड़िया के पीछे-पीछे उस डक्ट तक गए. ये डक्ट बिल्डिंग की छत पर खुलती थी.

डॉ आशालक्ष्मी ने बताया कि "उस डक्ट के अंदर काफी अंधेरा था लेकिन वहां अंदर से एक पक्षी की आवाज आ रही थी. नीचे की मंजिल पर जब गए तो हमें डक्ट के अंदर फंसे पक्षी के बारे में पता चला.”

पुलिस अधिकारी ने यूनिवर्सिटी के सिक्योरिटी गार्ड से डक्ट नीचे उतारने के लिए रस्सी मांगी. लेकिन सभी दीक्षांत समारोह में व्यस्त थे. उन्होंने कहा, “मुझे याद है कि पुलिस अधिकारी ने कहा था कि अगर पक्षी को नहीं बचाया गया तो वह सो नहीं पाएगा.”  हालांकि डॉ. आशालक्ष्मी रात में घर चली गयी थीं.

लेकिन अगले दिन, सबसे पहले उन्होंने सिक्योरिटी गार्ड से पूछा कि क्या चूजे को बचा लिया गया है? जब पता चला कि नहीं, तो उन्होंने उसे कुछ अनाज और पानी देने की कोशिश की. वो चूजा उड़ने के लिए बहुत कमजोर था.

परेशान होकर किया फायर एंड रेस्क्यू स्टेशन को फोन 

बाद में, उन्होंने झिझकते हुए कान्हागढ़ में फायर एंड रेस्क्यू स्टेशन को फोन करने का फैसला किया.  रेसुए ऑफिसर लाइनेश वी, अतुल मोहन, किरण के, ड्राइवर सरथ लाल और होमगार्ड बाबू एनवी पल भर में यूनिवर्सिटी पहुंच गए. लिनेश ने 35 फुट के डक्ट से नीचे उतरकर चिड़िया को बाहर निकाला. वहां उन्हें दो दूसरे मरे हुए चूजे भी दिखे. 

बचाव अधिकारी अतुल मोहन ने कहा, “उन्हें आमतौर पर गायों और भैंसों को कुओं से बाहर निकालने के लिए फोन आते हैं. यह पहली बार है जब हमने एक पक्षी को लिफ्ट डक्ट से बचाया है.”

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