धनबाद में रेलगाड़ियों की धुलाई अब ऑटोमैटिक तरीके से होगी. 2.25 करोड़ के खर्च से कोचिंग डीपो में ऑटोमैटिक कोच वॉशिंग प्लांट बनकर तैयार हो गया है. इससे न सिर्फ काफी कम समय में ट्रेनें वाशिंग हो रही हैं, बल्कि पानी की भी बचत हो रही है.
300 लीटर पानी से धुल जाती है पूरी ट्रेन
नए प्लांट से पूरी ट्रेन 300 लीटर पानी से धुल जाती है. इसका भी 80% रिसाइकल कर फिर से इस्तेमाल हो जाता है. इस तरह साल में करीब 1.28 करोड़ लीटर पानी की बचत होगी और यह धनबाद रेल मंडल का पहला ऑटोमैटिक कोच वॉशिंग प्लांट है. इसे इंस्टॉल करने में करीब एक महीने लगे हैं.
धुलाई-सफाई के बाद तेजी से सुखाने का इंतजाम भी
ऑटोमैटिक कोच वॉशिंग प्लांट में ट्रैक की दोनों तरफ पोल की तरह कई स्प्रिंकलर लगाए गए हैं. उनसे हाय प्रेशर व लो प्रेशर में पानी के साथ आरओ वॉटर, वैगन क्लीनर केमिकल आदि फव्वारे के रूप में निकलकर कोच पर पड़ते हैं. ट्रैक के दोनों तरफ 4-4 यानी कुल 8 बड़े ब्रश हैं, जो कोच को रगड़कर साफ करते हैं. धुलाई-सफाई के बाद कोच को तेजी से सुखाने का इंतजाम है.
सिर्फ 15 मिनटों में हो जाती है सफाई
डीपो के अधिकारी अभय मेहता ने बताया कि पहले रोज 13-14 रैक की धुलाई यहां मैनुअल तरीके से की जाती थी. एक रेक की धुलाई में 4-5 घंटे लग जाते थे. ऑटोमैटिक प्लांट से यह काम सिर्फ 15 मिनटों में हो जाता है. साथ ही, एक रेक को साफ करने में पहले करीब 1500 लीटर पानी लगता था.
ऑटोमेटिक कोच वास प्लांट है. ऑटोमेटिक भी चलता है और मैनुअल भी चलता है. यह कोच की धुलाई ब्रश के द्वारा होती है. ब्रश रगड़ने का काम करता है. जो नोजल लगाया गया है इसमें अलग-अलग पानी इस्तेमाल होता है. जो पानी धोने के बाद वेस्ट होता है, उस पानी को रिसाइकल कर दोबारा इस्तेमाल किया जाता है. इस ऑटोमेटिक कोच प्लांट की वजह से ट्रेन अच्छे से साफ होती है, पानी की बर्बादी नहीं होती.