अब अजन्मे बच्चे में होने वाले समस्याओं के लिए भी बीमा करवाया जा सकेगा. जी हां, आप अपने अजन्मे बच्चे का बीमा करवा सकेंगे. इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक सर्जन (IAPS) के 47वें वार्षिक सम्मेलन में अध्यक्ष डॉ रवींद्र रामद्वार ने इसकी घोषणा की है। स्टार हेल्थ एंड एलाइड इंश्योरेंस (Star Health and Allied Insurance) बीमा कंपनी अब अजन्मे बच्चे को भी कवर करेंगी.
डॉ रामद्वार ने उद्घाटन के दौरान बताया कि IAPS की कार्यकारी समिति ने बीमा कंपनियों के साथ लंबे समय तक विचार-विमर्श किया और तब जाकर यह फैसला लिया है. स्टार हेल्थ एंड एलाइड इंश्योरेंस (Star Health and Allied Insurance), निजी बीमा कंपनी अजन्मे बच्चे का बीमा करने में मदद करने के लिए सहमत हो गई है.
आर्थिक रूप से सशक्त न होने कारण चुनना पड़ता है गर्भपात
परिवारों के सामने आने वाली मौजूदा समस्याओं पर, डॉ रामद्वार ने कहा, “देश में मौजूद बीमा कंपनियां बच्चे में होने वाले जन्म दोष (Birth Defects) या सर्जिकल समस्याओं (surgical problems) के लिए बीमा कवर नहीं देती हैं. यह कई बार परिवारों और माता-पिता के लिए काफी महंगा पड़ता है. जिन माता-पिता की अभी-अभी नौकरी लगी है, उनके पास अपनी पसंद के अस्पतालों में अपने बच्चे का इलाज कराने के लिए वित्तीय स्वतंत्रता नहीं होती है. ऐसे लोगों को आर्थिक रूप से सशक्त न होने के कारण छोटी सी समस्या होने पर भी कई बार बच्चे के गर्भपात (Abortion) का विकल्प चुनना पड़ता है.”
प्रक्रिया को गति देने के लिए खुद भी करूंगा प्रयास: वित्त राज्यमंत्री
ऑनलाइन कांफ्रेंस में, वित्त राज्य मंत्री डॉ भागवत कराड, जो खुद एक बाल रोग विशेषज्ञ हैं, ने कहा कि उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि बीमा कंपनियां अब अजन्मे बच्चे और शिशुओं के लिए बीमा के बारे में सोच रही है. उन्होंने आश्वस्त किया कि वह भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) में प्रक्रिया को गति देने के लिए खुद भी प्रयास करेंगे.
पीडियाट्रिक सर्जरी में हो चुकी है खासी प्रगति
इस कार्यक्रम में आयी विशिष्ट अतिथि डॉ. स्नेहलता देशमुख ने कहा कि पीडियाट्रिक सर्जरी में अब खासी प्रगति हो चुकी है. नए यंत्रों और तकनीक के आ जाने से जटिल पीडियाट्रिक सर्जिकल के नतीजों में पहले की तुलना में खासा सुधार हुआ है. बच्चों में इनवैसिव सर्जरी (Minimally invasive surgery) और रोबोटिक सर्जरी (Robotic surgery) अब हकीकत बन गई है. ये सर्जरी पहले नहीं होती थी, लेकिन अब बड़ी संख्या में बच्चे इन नई तकनीकों का लाभ लेने में सक्षम हो गए हैं. इसके चलते नवजातों की मृत्यु दर में खासी कमी आई है.