जीएसटी काउंसिल की बैठक शुक्रवार यानी आज 17 सितंबर को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में होगी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में इस बैठक में पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी में शामिल करने की संभावना पर विचार होगा. जीएसटी के दायरे में आने से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में भारी कमी आ सकती है. यह मीटिंग मार्च 2020 के बाद (जब कोरोना का कहर शुरू हुआ था) सदस्यों की भौतिक रूप से मौजूदगी वाली पहली बैठक है. इसके पहले कई बैठकें ऑनलाइन आयोजित की गईं.
लखनऊ में आज GST काउंसिल की बैठक
काउंसिल की बैठक में पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के तहत लाने का मुद्दा सबसे बड़ा है. इसके अलावा इस मीटिंग में फूड डिलीवरी ऐजेंट जोमाटो और स्विग्गी को रेस्टोरेंट के रूप में मानने और उनकी डिलीवरी पर 5 प्रतिशत जीएसटी लगाने के प्रस्ताव पर भी विचार करेगी. बैठक में विचार के लिए एक प्रमुख मसला यह भी होगा कि जीएसटी लागू होने से राज्यों को हो रहे नुकसान की पूरी तरह से भरपाई कैसे हो.
पेट्रोल-डीजल पर टैक्स को लेकर हो सकता है बड़ा फैसला
असल में 1 जुलाई 2017 को लागू जीएसटी एक्ट में कहा गया था कि जीएसटी लागू होने के बाद यदि राज्यों के जीएसटी में 14 फीसदी से कम ग्रोथ होती है तो उन्हें अगले पांच साल तक इस नुकसान की भरपाई ऑटोमोबिल और टोबैको जैसे कई उत्पादों पर विशेष सेस लगाकर करने की इजाजत होगी. यह पांच साल की अवधि 2022 में पूरी हो रही है, लेकिन राज्य चाहते हैं कि इस इसके आगे का भी हर्जाना दिया जाए.
देश में ईंधन के दाम रिकॉर्ड ऊंचाई पर
इस बैठक में Covid 19 से जुड़ी आवश्यक सामग्री पर शुल्क राहत की समयसीमा को भी आगे बढ़ाया जा सकता है. देश में इस समय वाहन ईंधन के दाम रिकॉर्ड ऊंचाई पर हैं. वर्तमान में राज्यों द्वारा पेट्रोल, डीजल की उत्पादन लागत पर वैट नहीं लगता बल्कि इससे पहले केंद्र द्वारा इनके उत्पादन पर उत्पाद शुल्क लगाया जाता है, उसके बाद राज्य उस पर वैट वसूलते हैं.