बुजुर्ग हमारे घर की नींव होते हैं, सम्मान होते हैं और सबसे जरूरी बात वे परिवार रूपी वटवृक्ष की जडें होते हैं. ये वो जडें होते हैं जो खुद हर कठिन से कठिन परिस्थिति से जूझकर हमें सींचते हैं ताकि हम उनकी छत्रछाया में फलस्वरूप अपने जीवन में सफल हो पाएं. लेकिन बीतते समय और परिस्थितियों के साथ ये जड़ें थोड़ी कमजोर पड़ जाती हैं, इन्हें मजबूत रखने के लिए चाहिए रहता है तो सिर्फ प्यार और अपनापन. लेकिन दुर्भाग्य से कई इनका साथ छोड़ देते हैं और उन्हें जिंदगी के सबसे अहम मोड पर बेसहारा और बेघर कर देते हैं.
पिछले दस वर्षों हैं बुजुर्गों का सहारा
लेकिन जिस शख्स की हम बात करे रहे हैं जिन्होंने कई बेसहारा जिंदगियों को न केवल सवारा है बल्कि उनका ख्याल भी रख रहे हैं. डॉ हर्ष कुमार नाम के ये व्यक्ति पिछले करीब दस वर्षों से सेंकेंड इनिंग होम्स में ऐसे बुजुर्गों को सहारा दे रहें जो जिंदगी के आखिरी पड़ाव में अकेले पड़ चुके हैं. आपको बता दें, यहां रहने वाले सीनियर सिटीजन में आम व्यक्ति नहीं हैं, यहां रहने वाला हर व्यक्ति अपने साथ एक लेगेसी कैरी करता है. यहां पर रहने वाले बुजुर्गों में कोई आईएएस अफसर है, कोई सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज, कोई पायलट, कोई आर्मी अफसर, कोई डॉक्टर तो कोई प्रोफेसर. इन सभी लोगों का ख्याल रख रहे हैं डॉ हर्ष कुमार.
यहां पर रहने वाले एम एन लाल बताते हैं कि वे इंडियन एयर फोर्स में पायलट रह चुके हैं. जोधपुर में उन्होंने अपनी पहली उड़ान भरी थी. उनकी पूरी जिंदगी इंडियन एयर फोर्स में ही बीती और अब वे यहां पर अपनी बची हुई पारी की शुरुआत कर चुके हैं. वे कहते हैं कि यह ओल्डेज होम उनके लिए किसी परिवार से कम नहीं है.
ऐसे ही आलुवालिया जो एक समय पर अपने दौर में बहुत बडे कलाकार रह चुके हैं बताते हैं कि उन्होंने 27 साल तक रामलीला में श्री राम की भूमिका निभाई. इसके बाद वे दशरथ की भूमिका निभाने लगे. वे अब भी दशरथ के डायलॉग उसी अंदाज में बोलते हैं जिस अंदाज में पहले बोला करते थे. ऐसे ही कई सारे लोग हैं जो अलग अलग बैकग्राउंड से आते हैं और अपनी लेगसी कैरी करते है.
अच्छी तनख्वाह और बड़ी कंपनी छोड़ शुरू किया ओल्ड एज होम
डॉ हर्ष आज से कुछ साल पहले एक बहुत बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी में एचआर का काम संभालते थे, जहां उन्हें काफी अच्छी तनख्वाह मिलती थी. लेकिन एक दिन जब दिल्ली की दिसंबर की कडकडाती ठंड में वे अपने दोस्तों के साथ हाईवे पर खाना खाने के लिए रुके तब उन्हें अचानक वहां पर एक बूढ़े व्यक्ति नजर आए, जो ठंड के कारण बुरी तरह से कांप रहे थे. पूछने पर उन्होंने बताया कि उनके बेटे ने उन्हें घर से निकाल दिया जिसके कारण अब उनका इस दुनिया में कोई नहीं है. यह सुनकर हर्ष के पैरों तले जमीन खिसक गई.
उन्होंने तुरंत अपना जैकेट उतारा और उस बुजुर्ग व्यक्ति को पहनाया. वह बिना सोचे उस व्यक्ति को अपने घर ले आए. उन्होंने सोच लिया कि अब वे किसी भी मल्टीनेशनल कंपनी में काम नहीं करेंगे और बुजुर्गों की देखभाल में ही अपना जीवन बिता देंगे.
ओल्ड एज होम में रखा जाता है सभी चीजों का ख्याल
हालांकि, शुरुआत में उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा, लेकिन आखिरकार यह सेकंड इनिंग होम खुल ही गया. दिल्ली के वसंत कुंज का द सेकंड इनिंग ओल्ड एज होम यहां रह रहे बुजुर्गों के लिए एक घर की ही तरह है क्योंकि घर की तरह ही यहां पर हर चीज की देखभाल होती है. उनकी सुबह की चाय से लेकर रात के खाने तक सभी देखभाल यहां पर की जाती है. यहां उनके लिए हर तरह की जरूरत का सामान है, इसके साथ एक किचन है जहां पर उनके स्वाद और उनकी डाइट के अनुसार खाना बनाया जाता है.
आपको बता दें कि डॉ हर्ष कुमार अभी तक 12 हजार से भी ज्यादा बुजुर्गों की मदद कर चुके हैं. उनके इसी तरह से तीन और ओल्डेज होम हैं जहां पर वे कई जरूरतमंद बुजुर्गों की सेवा करते हैं.