दुनिया का पहला केस, 25 साल के लड़के की सीने में था 14 किलो का ट्यूमर, डॉक्टरों ने सर्जरी कर रचा इतिहास

कैंसर 1 लाख में से केवल 1 शख्स को दोबारा होता है. बता दें, नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020 में भारत में करीब 14 लाख कैंसर के मामलों का अनुमान लगाया गया था.

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वरुण सिन्हा
  • नई दिल्ली,
  • 23 अक्टूबर 2021,
  • अपडेटेड 4:53 PM IST
  • 8 घंटे तक चली सर्जरी 
  • ऑपरेशन करना था बेहद मुश्किल
  • कैंसर के इलाज में दुनिया के लिए ये एक बड़ी उपलब्धि

डॉक्टर्स को भगवान का दूत माना जाता है. कोरोनाकाल में भी डॉक्टर्स ने अपनी जान को खतरे में डालकर लोगों की जिंदगियां बचाई है. डॉक्टरों की सूझबूझ ने कई बार असंभव को भी संभव कर दिखाया है. इस बार भी डॉक्टर्स ने कुछ ऐसा चमत्कार कर दिखाया है. गुड़गांव के फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट के डॉक्टर्स की एक टीम ने एक ऐसा कारनामा कर दिखाया जिसकी कल्पना करना भी शायद मुश्किल था. डॉक्टर्स की टीम ने 25 वर्षीय पेशेंट देवेश शर्मा के शरीर में से 14 किलो का ट्यूमर सफलतापूर्वक निकाल कर इतिहास रच दिया है. 

8 घंटे तक चली सर्जरी 

डॉक्टर्स का कहना है कि उन्होंने इतना बड़ा ट्यूमर न तो कभी देखा था और न ही इसके बारे में सुना था. ऐसे में लगभग 50 दिनों के इलाज और करीब 8 घंटों की सर्जरी के बाद देवेश के शरीर से ट्यूमर निकाला जा सका. इस तरह के केस में सफल होने की गारंटी न के बराबर होती है क्योंकि इस तरह के ट्यूमर मरीज की हृदय धमनियों के साथ कनेक्टेड होते हैं. इस कारण ट्यूमर निकालना कई बार नामुमकिन हो जाता है.

ऑपरेशन करना था बेहद मुश्किल

 

सीटीवीएस के हेड और संचालक, उद्गीथ धीर ने बताया, “ये ऑपरेशन करना बेहद मुश्किल था. हम कई बार नहीं समझ पा रहे थे कि आखिर ये ट्यूमर कहां तक है और इसको निकालने में सबसे ज्यादा डर इस बात का था कि अगर ब्लड बहना शुरू हो गया तो उसको रोकने के लिए बेहद कम ऑप्शन होते हैं और फिर शायद हालात भी काबू में नही आ पाते. 

कैंसर के इलाज में दुनिया के लिए एक बड़ी उपलब्धि 

 देवेश के इलाज के समय उनके साथ-साथ उनके परिवार वालों ने भी काफी हिम्मत दिखाई. दरअसल इस केस के कॉम्प्लीकेशन्स ज्यादा थे, लेकिन फिर भी ये काम सफलतापूर्वक पूरा हो गया. कैंसर के इलाज में दुनिया के लिए ये एक बड़ी उपलब्धि  है. क्योंकि इस तरह का कैंसर एक बार शरीर से निकल जाए फिर उसके दोबारा होने की संभावना लगभग खत्म हो जाती है. 1 लाख में से केवल 1 शख्स को ये दोबारा होता है. बता दें, नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल  2020 में भारत में करीब 14 लाख कैंसर के मामलों का अनुमान लगाया गया था.


 

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