India Today Conclave: संविधान से लेकर अल्पसंख्यक राजनीति तक, जानें क्या बोले आरिफ खान?

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने शनिवार को इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के 19वें संस्करण में हिस्सा लिया. उन्होंने कहा कि राजनीतिक पार्टियां संविधान की आत्मा को आगे बढ़ाने में बुरी तरह से फेल रही हैं.

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान. (फोटो-इंडिया टुडे)
अभिषेक शुक्ल
  • नई दिल्ली,
  • 09 अक्टूबर 2021,
  • अपडेटेड 1:43 PM IST
  • भारतीय संस्कृति के पक्षधर हैं आरिफ मोहम्मद खान
  • धार्मिक संकीर्णता के रहें हैं मुखर आलोचक
  • संविधान की सही व्याख्या की करते हैं वकालत

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2021 के दूसर दिन केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने शिरकत की. आरिफ मोहम्मद ने कहा कि राजनीतिक वर्ग संविधान की भावना को बढ़ावा देने में बुरी तरह विफल रहा है. राज्यपाल ने यह भी कहा कि भारतीय सभ्यता को कभी भी धर्म द्वारा परिभाषित नहीं किया गया था. आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट यह परिभाषित करने में सक्षम नहीं है कि भारत में अल्पसंख्यक कौन है.

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2021 के 19वें संस्करण में बोलते हुए, आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि राजनीतिक वर्ग बुरी तरह से विफल हो गया है. यह मीडिया का कर्तव्य है कि वह हमसे सवाल करे, अगर हम संविधान की भावना को बढ़ावा नहीं दे रहे हैं.

आरिफ मोहम्मद खान मुस्लिम समुदाय में सुधार लाने के एनडीए सरकार के प्रस्तावों के मुखर समर्थक रहे हैं. जब केंद्र सरकार ने कानून लाकर तीन तलाक को महिला के खिलाफ अपराध बना दिया था, तो उन्होंने केंद्र के फैसले का समर्थन किया था.

काल्पनिक सवालों पर देश का हुआ बंटवारा

केरल के राज्यपाल ने कहा कि विभाजन 'काल्पनिक मुस्लिम सवाल' की वजह से हुआ था. केरल के राज्यपाल ने कहा, 'क्या हमने विभाजन से कोई सबक सीखा है? दो चीजें हैं जिन्होंने भारत को जगाया है. पहली संविधान सभा ने अस्पृश्यता के उन्मूलन के लिए काम किया. दूसरी अलग निर्वाचक मंडल के उन्मूलन का निर्णय.'

आरिफ मोहम्मद खान ने यह भी कहा कि अल्पसंख्यक अधिकारों के संरक्षण पर संविधान में 'भाषाई अल्पसंख्यक' का जिक्र है और उन्हें शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने का अधिकार दिया गया है. 

धार्मिक सुधारों के पक्षधर हैं आरिफ मोहम्मद खान!

आरिफ खान ने 1986 में शाह बानो मामले में मतभेदों के बाद राजीव गांधी सरकार से किनारा कर लिया था. वे उस वक्त राजीव गांधी के नेतृत्व वाली सरकार में राज्य मंत्री थे. आरिफ मोहम्मद खान को इस्लामिक सुधारों का प्रमुख चेहरा माना जाता है. वे लगातार सुधारवाद की मांग करते रहे हैं.

आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि धार्मिक राष्ट्रों में अल्पसंख्यक अधिकारों की जरूरत है, न कि भारत में, जबकि भारतीय सभ्यता को कभी भी धर्म द्वारा परिभाषित नहीं किया गया था.

'धर्म से नहीं पारिभाषित है भारतीय सभ्यता'

केरल के राज्यपाल ने कहा, 'हिंदू राष्ट्र शब्द का प्रयोग हमारे किसी भी शास्त्र में नहीं किया गया है. भारतीय सभ्यता को कभी भी धर्म द्वारा परिभाषित नहीं किया गया था. अन्य सभ्यताओं को धर्म, जाति और भाषा द्वारा परिभाषित किया गया था. संविधान सभा में हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध शामिल थे. राजनीतिक तंत्र का यह कर्तव्य कि उसी पहुंच हर तबके तक हो. जब आप हिंदू राष्ट्र कहते हैं तब आप इसे मुस्लिम और ईसाई धर्म से भी जुड़ने की बात करते हैं.'

'भारत में धार्मिक आधार पर नहीं होते भेदभाव'

केरल के राज्यपाल मोहम्मद आरिफ खान ने कहा कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की जरूरत है क्योंकि अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव किया जाता है. भारत में संविधान समान अधिकार देता है. भारत में, धर्म के आधार पर भेदभाव की कोई अवधारणा नहीं है. आरिफ मोहम्मद खान ने यह भी कहा कि विभाजनकारी भाषा बोलने और अलगाववादी विचारधारा को बढ़ावा देने वालों को बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए.

'विभाजनकारी तत्वों को न मिले बढ़ावा'

आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि विभाजनकारी भाषा बोलने वालों और अलगाववादी विचारधारा को बढ़ावा देने वालों को बढ़ावा देना बंद करो. हमें यह भावना पैदा करने की जरूरत है कि हमारी पहचान भारतीय है. भारत में, एक ही परिवार में दो लोग अलग-अलग भगवानों की पूजा करते हैं और उन्हें खतरा महसूस नहीं होता है. जब तक हम खुद को केवल भारतीय नहीं मानेंगे, तब तक ये समस्याएं खत्म नहीं होंगी.

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