ऋचा चड्ढा ने टीवी सीरियलों को बताया नारकोस, कहा - हमें इंटेलिजेंट कंटेंट की जरूरत

ऋचा ने कहा, "मुझे नहीं पता. नेहरू ने गुटनिरपेक्ष आंदोलन (Non Alignment Movement,NAM)नामक इस अद्भुत चीज की शुरुआत की थी. मुझे लगता है कि यहीं मेरे स्टैंड है क्योंकि मुझे अपने करियर पर ध्यान केंद्रित करना है. तथ्य यह है कि इस देश में एक तरह की राजनीति के साथ पहचान करना बहुत मुश्किल हो जाता है क्योंकि राजनेता चुनाव से पहले और बाद में मछली की तरह जहाजों को उछल रहे होते हैं इसलिए, मुझे नहीं पता कि किसका समर्थन करना है। मुझे वो बिन पेंदी के लोटे की तरह लगते हैं. तो, हम किसी एक व्यक्ति पर विश्वास कैसे कर सकते हैं? मुझे लगता है कि दोनों तरफ से निश्चित रूप से दबाव है."

ऋचा चड्ढा
सुरभि शुक्ला
  • नई दिल्ली,
  • 09 अक्टूबर 2021,
  • अपडेटेड 4:15 PM IST
  • 'इनसाइड एज' जब उन्हें ऑफर हुई तो काफी उत्साहित थीं ऋचा
  • ऋचा ने राजनेताओं को बताया, बिन पेंदी का लोटा
  • OTT एक्सपेरिमेंट करने के लिए आपको बहुत फ्रीडम देता है: सान्या

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के दूसरे दिन एक सेशन रखा गया था, जिसका शीर्षक Serial Thrillers: The Stars who have Hijacked our Minds था. इस पर बात करने के लिए हमारे साथ जुड़े थे सिनेमा जगत के जाने माने कलाकार पंकज त्रिपाठी, ऋचा चड्ढा, सान्या मल्होत्रा और अमेजन प्राइम इंडिया की कमर्शियल हेड अपर्णा पुरोहित. कलाकारों ने डिजिटल प्लटफॉर्म की बढ़ती पहुंच पर अपने-अपने विचार रखे. ओटीटी प्लेटफॉर्म की सफलता को देखते हुए कलाकारों से पूछा गया कि वो खुद किस तरह की सामग्री देखना चाहते हैं और करंट अफेयर्स कैसे अभी और आने वाले समय में कला को प्रभावित करता रहेगा?

ऋचा चड्ढा वो पहली अभिनेत्री थीं, जिन्होंने फिल्मों से डिजिटल प्लेटफार्म की तरफ शिक्ट किया था. इस दौरान उनसे लोगों ने कई तरह के सवाल किए कि वो फिल्मों से होकर ओटीटी पर क्यों जा रही हैं. ये उनके लिए एक तरीके का डिमोशन होगा, लेकिन उन्होंने किसी बात पर ध्यान नहीं दिया. ऋचा कहती हैं कि अब जब उन्होंने खुद उन लोगों को वेब सीरीज करते देखा,तो उन्हें अपनी बात का जवाब मिल गया. ऋचा ने बताया कि अमेजन प्राइम की सीरीज 'इनसाइड एज' जब उन्हें ऑफर हुई तो वह काफी उत्साहित थीं. 

ऋचा ने टीवी सीरियलों को बताया नारकोस
फिल्मों से वेब सीरीज में शिफ्ट होने के रिस्क के सवाल पर ऋचा ने कहा, "जब मुझे 'इनसाइड एज' ऑफर की गई थी, तब इसे कोई और प्लेटफॉर्म प्रोड्यूस कर रहा था. बाद में ये फिर एक्सेल के पास आई. जब मैंने इनसाइड एज के लिए हां कहा मतलब कि मैं टीवी से रिलेट नहीं कर सकती. मुझे सास-बहू या नागिन (टीवी शो) जैसे सीरियल बिल्कुल अच्छे नहीं लगते. मैं उनसे खुद को जोड़ नहीं पाती हूं और जैसा की अपर्णा ने कहा कि इंटेलिजेंट कंटेंट की बहुत जरूरत है. हम कितनी देर तक नारकोस देखेंगे?"

बोर्डिंग पास पर लिखवा देंगे कालीन भैया
पंकज त्रिपाठी से जब पूछा गया कि क्या उन्होंने कभी सोचा था कि मिर्जापुर इतनी सफल होगी? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि उन्होंने ऐसा कभी नहीं सोचा था. उन्हें बस वो किरदार बहुत पसंद आया. उन्होंने कहा कि कालीन भैया इतने फेमस हुए कि लोग अब उन्हें पंकज की बजाए कालीन भैया कहकर बुलाते हैं और शायद बोर्डिंग पास पर भी यही लिखवा दें. एक वाक्या शेयर करते हुए पंकज ने बताया कि उनके घर पर लोग उनसे मिलने आते हैं तो कहते हैं कि उन्हें कालीन भैया से मिलना है तो गार्ड कहता है कि यहां कोई कालीन भैया नहीं है. वहीं ऋचा ने पंकज को समकालीन भैया का नाम दिया.

राजनीति के सवाल पर बोले पंकज, 'मैं एक्टर हूं'
वेब सीरीज मिर्जापुर में दिखाई गई राजनीति पर जब पंकज से सवाल किया गया कि क्या मिर्जापुर में जैसा पॉलिटिक्स दिखाया गया है, क्या आपको लगता है कि और शोज़ में ऐसा रॉ पॉलिटिक्स दिखाना चाहिए? इसके जवाब में पंकज ने हंसते हुए कहा,'पता नहीं, मैं एक एक्टर हूं.' उन्होंने आगे कहा कि होना चाहिए, जैसे मिर्जापुर में थोड़ा पॉलिटिकल बैकड्रॉप था तो ऐसा होता है कि करेक्टर किसी पार्टी से जुड़ा है तो ऐसा दिखाना पड़ता है. सिनेमा समाज का आइना है तो थोड़ा बहुत तो ये होता है.

राजनेता बिन पेंदी के लोटे की तरह 
वहीं जब ऋचा से यह पूछा गया कि क्या अभिनेताओं पर एक निश्चित प्रकार की राजनीति के साथ पहचान करने का दबाव है? इस पर ऋचा ने कहा, "मुझे नहीं पता. नेहरू ने गुटनिरपेक्ष आंदोलन (Non Alignment Movement,NAM)नामक इस अद्भुत चीज की शुरुआत की थी. मुझे लगता है कि यहीं मेरे स्टैंड है क्योंकि मुझे अपने करियर पर ध्यान केंद्रित करना है. तथ्य यह है कि इस देश में एक तरह की राजनीति के साथ पहचान करना बहुत मुश्किल हो जाता है क्योंकि राजनेता चुनाव से पहले और बाद में मछली की तरह जहाजों को उछल रहे होते हैं इसलिए, मुझे नहीं पता कि किसका समर्थन करना है. मुझे वो बिन पेंदी के लोटे की तरह लगते हैं. तो, हम किसी एक व्यक्ति पर विश्वास कैसे कर सकते हैं? मुझे लगता है कि दोनों तरफ से निश्चित रूप से दबाव है."

ओटीटी एक्सपेरिमेंट करने का मंच
वहीं सान्या मल्होत्रा ​​ने कहा कि ओटीटी ने एक्सपेरिमेंट करने के लिए आपको बहुत फ्रीडम देता है. एक अभिनेता के लिए अपनी निजी राजनीति को बनाए रखना और स्क्रीन पर निभाए जा रहे चरित्र के साथ सहानुभूति बनाए रखना काफी महत्वपूर्ण है. 

सान्या ने ओटीटी को गोल्डन एज ऑफ सिनेमा बताया. उन्होंने कहा कि फिल्मों में आपको करेक्टर डेवलेप करने का मौका नहीं मिलता, जबकि सीरीज में आपको इसका भरपूर मौका मिलता है. वहीं पंकज ने कहा कि यहां (ओटीटी) पर आपको दो घंटे में कहानी नहीं कहनी होती और आपको करैक्टर की लेयरिंग में जाने का मौका मिल जाता है.

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