21 साल के प्रणव जब रैंप वॉक के लिए जब रैंप पर चलते हैं तो वो किसी सुपर मॉडल से कम नहीं लगते. चेहरे पर कॉन्फिडेंस और बिहेवियर में एटिट्यूड लेकर कैमरा के सामने कुछ इस तरह से जलवा बिखेरते हैं, जैसे वो सालों से इसी प्रोफेशन में हों. आपको जानकर हैरानी होगी कि स्पेशल ट्रेनिंग न होने के बाद भी वह बड़ी सहजता से रैंप पर वॉक करते हैं. लेकिन कहानी केवल यहीं पर खत्म नहीं होती, असली कहानी तो यहां से शुरू होती है.
दूसरे मॉडल्स की तरह रैंप पर हज़ारों कैमरे की फ्लैश लाइट के सामने अपना जलवा बिखेर रहे प्रणव दिखते तो सामान्य हैं, लेकिन वे बाकियों से ज़रा अलग हैं. आपको जानकर हैरान होगी कि प्रणव देश के ऐसे पहले मेल मॉडल हैं, जो ऑटिज़्म से ग्रसित हैं. वे हर रोज़ एक नई लड़ाई लड़ते हैं, हर रोज एक नए चुनौती का सामना करते हैं लेकिन कभी हार नहीं मानते हैं.
ऑटिज्म एक तरह का न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है. जिसमें बोलने और सामाजिक तौर पर व्यवहार करने में काफी दिक्कत होती है. इसमें इनकी क्षमता सीमित हो जाती है, वहीं इसमें ऐसे कुछ लोग होते हैं, जो बहुत ही जीनियस होते हैं. वह एक बार में किसी टॉपिक को पढ़ लें तो कभी नहीं भूलते हैं. वहीं कुछ का आईक्यू बहुत ही सामान्य होता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, दुनिया भर में प्रत्येक 160 बच्चों में से एक बच्चा ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार (एएसडी) से प्रभावित है.
दरअसल, जन्म के दो साल बाद तक प्रणव पूरी तरह स्वस्थ थे लेकिन इसके बाद उनमें ऑटिज़्म के शुरुआती लक्षण दिखाई देने लगे. पहले तो इस बात को सुनकर उनकी मां अनुपमा को यकीन नहीं हो पा रहा था कि उनका बच्चा सामान्य बच्चों से थोड़ा अलग है. लेकिन सबसे पहले उन्होंने इस चुनौती को स्वीकारा और फिर प्रणव को भी इस चुनौती से लड़ने के लिए तैयार किया. बस इसके बाद प्रणव ने हर चुनौती को चुनौती दी और आज वे देश के पहले ऑटिज़्म से ग्रसित पहले मॉडल हैं. प्रणव से जब ऑटिज़्म के बारे में पूछा गया तब उन्होंने बड़े ही सहजता से जवाब देते हुए कहा कि ऑटिज़्म इज माय सुपरपावर. वे कहते हैं कि यह कोई बीमारी नहीं बल्कि एक कंडिशन है और इस कंडिशन को वे अपनी ताकत मानते हैं.
'मॉडलिंग के प्रति प्रणव का आकर्षण 2016 में शुरू हुआ'
प्रणव की माँ अनुपमा बक्शी कहती हैं, "जिस सहजता से वह बिना किसी पूर्व अनुभव के और अपनी स्वास्थ्य स्थितियों का मुकाबला करते हुए रैंप पर कैटवॉक करता है और फोटो के लिए पोज देता है, यह देखकर मुझे हैरानी होती है." मॉडलिंग के प्रति प्रणव का आकर्षण 2016 में शुरू हुआ, जब उन्होंने डिफरेंटली एबल्ड के व्यक्तियों के लिए आयोजित थिएटर वर्कशॅाप में भाग लिया. बस तब से ही प्रणव को कैमरे की फ्लैशलाईट्स् और रैंप से जैसे प्यार ही हो गया. इसके बाद उन्होंने मॉडलिंग को ही अपना पैशन और प्रोफेशन बनाया. प्रणव बख्शी अपनी जिदंगी को जॉन कोर्टाजारेना को अपनी इंस्पिरेशन मानते हैं. प्रणव खुद को सुपर मॉडल बनते हुए देखना चाहते हैं.
'हर शूट में अपने हिसाब से अलग अलग पोज देते हैं'
शुरूआत में रैंप वॉक के दौरान प्रणव को कमांड रिसीव करने में तकलीफ होती थी. वे शब्दों को समझ नहीं पाते थे, लेकिन उन्होंने लगातार अपनी एकाग्रता बढ़ाने के लिए घंटो अभ्यास किया. वे दिन दिन भर किताब, लैपटॉप और म्यूजिक में ही लगे रहते थे. उन्होंने कड़ी मेहनत से शब्दों को जाना, समझा और अपनी मेमोरी को कुछ इस तरह से रिवाईव किया कि आज उन्हें देखकर कोई कह नहीं सकता कि वे ऑटिज़्म से जूझ रहे हैं. प्रणव के फोटोग्राफर तुषार बताते हैं कि उन्हें कभी लगा ही नहीं कि प्रणव दूसरे मॉडल्स से अलग हैं. वे एक प्रोफेशनल मॉडल की तरह हर शूट में अपने हिसाब से अलग अलग पोज देते हैं और हर बार कुछ नया सीखते और सीखाते हैं.
इसके अलावा वे अपनी सेहत का ख्याल रखने के लिए रोज़ जिम भी जाते हैं. प्रणव के जिम ट्रेनर बताते हैं कि शुरूआत में उन्हें जिम करने में दिक्कत होती थी लेकिन पिछले दो सालों में उन्होंने बहुत ही अच्छे से वर्कआउट किया और आज उनका वर्कआउट पैटर्न पूरी तरह से परफैक्ट है. इसके अलावा प्रणव को फोटोग्राफी का भी बड़ा शौक है. वे अपने नजरिए से हर तस्वीर को कैमरे में कैद करते हैं. उनके कमरे में भी उनकी पसंदीदा तस्वीरें लगी हुई हैं.
सामाजिक कलंक और चिकित्सकीय मुद्दों से लड़ने और मॉडलिंग के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करके प्रणव ने साबित कर दिया है कि हमें कोई भी बाधा नहीं रोक सकती है और यदि हम अपनी कमजोरी को ताकत बनाते हैं तो जिंदगी में कुछ भी मुश्किल नहीं है.