केरल हाईकोर्ट की एक पीठ इस संभावना पर विचार करेगी की कि क्या विशेष विवाह कानून के तहत शादी वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से ऑनलाइन कराई जा सकती है या नहीं. न्यायमूर्ति पी बी सुरेश कुमार की एकल पीठ ने सारे मामले पर दलीलें सुनने के बाद इसे विचार के लिए वृहद पीठ को भेज दिया था. यह आदेश कई याचिकाकर्ताओं की दलीलों पर आया है, जिन्होंने तर्क दिया है कि कानून के तहत विवाह के लिए दूल्हा और दुल्हन की व्यक्तिगत शारीरिक उपस्थिति आवश्यक नहीं है.
विदेश में रहने वाले दो व्यक्तियों का ऑनलाइन शादी
वहीं दूसरी तरफ राज्य सरकार इस कानून के तहत विवाहों को आनलाइन संपन्न करने के पक्ष में नहीं है. यह तर्क दिया गया है कि एसएमए के तहत विवाह पंजीकरण से पहले विवाह होना अनिवार्य है और इसलिए, विवाह अधिकारी के समक्ष दोनों पक्षों और गवाहों की उपस्थिति आवश्यक है.
फैसले के पक्ष में नहीं राज्य सरकार
इसके अलावा राज्य सरकार ने तर्क दिया है कि दोनों पक्षों में से कम से कम एक को विवाह अधिकारी की क्षेत्रीय सीमा के भीतर के क्षेत्र का, विवाह की सूचना जारी करने से पहले न्यूनतम 30 दिनों के लिए निवासी होना चाहिए. इसलिए, विदेश में रहने वाले दो व्यक्तियों का विवाह ऑनलाइन नहीं हो सकता है.
विशेष विवाह कानून के तहत ऑनलाइन शादियां
याचिकाकर्ताओं का पक्ष रख रहे अधिवक्ता ए अहजर, जवाहर जोस और वी अजित नारायणन ने तर्क दिया है कि जब एसएमए के तहत विवाह ऑनलाइन पंजीकृत किए जा सकते हैं तो समारोह में भी शामिल पक्षों की प्रत्यक्ष उपस्थिति की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए.