नेत्रहीन लोग भी छूकर देख सकेंगे पेंटिंग, 3D मॉडल में बदला गया 207 साल पुराना म्यूजियम

म्यूजियम में पर्यटकों को कलाकृतियों को छूने नहीं देते हैं. कलाकृतियों और पेंटिंग के आगे हमेशा “डू नॉट टच” का साइन बोर्ड लगा रहता है, लेकिन कोलकाता में शुरू हुए इस नए तरह के प्रयोग में नेत्रहीन विजिटर इन्हें छू सकेंगे. उन्हें उस पेंटिंग के मॉडल को छूने की अनुमति दी गयी है.

Photo: India Today
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 07 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 4:31 PM IST
  • इस प्रोजेक्ट का नाम ‘द मेलोडी ऑफ टच’ रखा गया है
  • 3D मॉडल में बदला गया 207 साल पुराना म्यूजियम
  • इसकी शुरुआत 3 दिसंबर, 2021 को विश्व विकलांगता दिवस पर की गयी है

आपको मशहूर लेखिका हेलेन केलर याद है? जो नेत्रहीन होने के बावजूद भी प्रकृति की चीजों को छूकर और सुनकर पहचान लेती थीं. नेत्रहीन व्यक्ति अक्सर छूकर और महसूस करके चीजों की पहचान कर पाते हैं. अब एक ऐसी ही पहल के चलते कोलकाता में 200 साल पुराने म्यूजियम में नेत्रहीन भी पेंटिंग्स और कलाकृतियों को महसूस कर पाएंगे. कोलकाता के एक म्यूजियम में नेत्रहीन लोगों के लिए कलाकृतियों को 3डी इंप्रेशन में बदला जा रहा है. इसकी शुरुआत 3 दिसंबर, 2021 को विश्व विकलांगता दिवस पर की गयी है. इस प्रोजेक्ट का नाम ‘द मेलोडी ऑफ टच’ रखा गया है.

सामान्य तौर पर, म्यूजियम में पर्यटकों को कलाकृतियों को छूने नहीं देते हैं. कलाकृतियों और पेंटिंग के आगे हमेशा “डू नॉट टच” का साइन बोर्ड लगा रहता है, लेकिन कोलकाता में शुरू हुए इस नए तरह के प्रयोग में नेत्रहीन विजिटर इन्हें छू सकेंगे. उन्हें उस पेंटिंग के मॉडल को छूने की अनुमति दी गयी है. 

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30 साल पहले की मेमोरी ने दी 

इंडिया टुडे से बात करते हुए, पेंटिंग गैलरी के क्यूरेटर, अर्णब बसु कहते हैं कि एक मेमोरी जो उनके साथ 30 साल से थी, ने उन्हें नेत्रहीन लोगों के लिए ऐसा मॉडल तैयार करने की प्रेरणा दी. इस प्रोजेक्ट का नाम उन्होंने  'मेलोडी ऑफ टच’ रखा है. वे कहते हैं, "30 साल पहले, मैंने एक छोटे बच्चे को देखा था जो एक फूल को छू रहा था. उस वक्त मैंने सोचा कि यह कैसा होगा अगर हम पेंटिंग के 3डी मॉडल बनाएं, ताकि नेत्रहीन विजिटर आकर उन्हें छू सकें और उन्हें महसूस कर सकें. एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में अब तक हमने 2 पेंटिंग और 1 कलाकृतियों बनाई है.

पूरे म्यूजियम में किया जाएगा विस्तारित 

म्यूजियम में पेंटिंग्स और मूर्तिकला को छूने लायक कलाकृति में बदल दिया है, अब इन्हे विजिटर आसानी से देख सकेंगे. म्यूजियम के अधिकारियों के अनुसार, वे इस तरह की और भी कलाकृतियों को बदलने की योजना बना रहे हैं.

वहीं, कोलकाता स्थित 200 साल पुराने म्यूजियम में शिक्षा अधिकारी डॉ सयान भट्टाचार्जी ने इन प्रोजेक्ट के बारे में बताया. उन्होंने कहा, "हम कुछ समय से इस तरह के सोशल प्रोजेक्ट्स कर रहे हैं. हमने अभी 3 कलाकृतियों के साथ शुरुआत की है और अब हम इसे अपने म्यूजियम की हर गैलरी में लगाने की योजना बना रहे हैं. 

सूर्याग्नि रॉय की रिपोर्ट)

 

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