Inspirational Story: प्राइवेट कंपनी में एमडी ने नौकरी छोड़ शुरू की रसोई वाली वैन, आज मुफ्त में गरीबों को खिला रही हैं खाना

अहमदाबाद में चल रही मंजुबा की रसोई में हर दिन हजार लोगों का खाना तैयार होता है और मुफ्त में लोगों को खाना खिलाया जाता है. मकसद यही को कोई भूखा न सोए. लेकिन उससे बढ़कर खुशी तो खाने वाले को तब होती है, जब एक दिन पहले ही मंजुबा की रसोई की तरफ से निमंत्रण मिलता है. इसका आनंद उठाने वाले एक मेहमान की तरह वहां पहुंचते हैं.

प्राइवेट कंपनी में एमडी ने नौकरी छोड़ शुरू की रसोई वाली वैन
गोपी घांघर
  • अहमदाबाद,
  • 22 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 1:41 PM IST
  • मंजुबा रसोई वाली वैन पर लगती है लंबी लाइन
  • मुफ्त में खिलाया जाता है खाना

कहते हैं इंसान के दिल का रास्ता उसके पेट से होकर गुजरता है. खाना-पीना हर किसी को पसंद होता है. जरा सोचिए तवे पर तैयार होता गरमा गरम मसाला डोसा, सांभर बड़ा, लजीज उपमा और इडली के साथ नारियल वाली चटनी. आपके मुंह में जरूर से पानी आ गया होगा. दरअसल आज हम आपको मंजुबा रसोई वाली वैन के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके अंदर तैयार होने वाले डोसे, इडली और सांभर बड़ा की खुशबू दूर-दूर तक जा रही हैं.

मंजुबा रसोई वाली वैन पर लगती है लंबी लाइन
यहां पर लंबी-लंबी लाइनों में लगकर लोग अपनी बारी का इंतजार करते हैं. बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं तसल्ली के साथ परोसी जा रही थाली का भरपूर आनंद लेते हैं. इस रसोई में बुजुर्गों की पसंद के साथ बच्चों के पोषण का भी ख्याल रखा जाता है. बड़े चाव से ये बच्चे मंजुबा की रसोई में तैयार हुए डोसे का लुत्फ उठाते हैं, किसी को इडली के साथ सांभर चाहिए तो किसी को बड़ा के साथ चटपटा जायकेदार सांभर.

मुफ्त में खिलाया जाता है खाना
अहमदाबाद में चल रही मंजुबा की रसोई अनूठी है, जहां लोगों से इस थाली की कीमत नहीं ली जाती, बल्कि मुफ्त में खिलाया जाता है, एक दिन पहले ही लोगों को निमंत्रित किया जाता है, ताकि थाली का आनंद लेने वाला एक मेहमान की तरह मुफ्त जायके का आनंद उठा सकें. यहां एक दिन में तकरीबन हजार लोगों का खाना तैयार किया जाता है.

क्या था इसे खोलने का उद्देश्य
कोई भूखा न सोए इसी उद्देश्य के साथ मंजुबा रसोई की शुरुआत हुई थी, इस नेक काम को करने वाली प्रणेती कामदार ने अपने खाली वक्त में समाज की सेवा करने का बीड़ा उठाया, नेकी देख नेकी बरसती है. आज नेक लोगों की मदद भी इस अभियान को मिलने लगी है. खुद एक प्राइवेट कंपनी में बतौर MD काम करने वाली प्रणेती के अंदर ये जज्बा तब पैदा हुआ, जब इनकी सास ने गरीब-बेसहारा लोगों की सेवा की बात कही, तब से शुरू हुई ये सेवा अनवरत जारी है.

 

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