मॉडर्ना की कोरोना वैक्सीन से जगी HIV के भी इलाज की उम्मीद

अमेरिका की फार्मास्युटिकल और बायोटेक कंपनी मॉडर्ना ने दुनिया का पहले प्रमाणित कोरोना वैक्सीन इजाद किया था. अब इसी कंपनी ने एचआईवी टीकों के लिए ह्युमन टेस्ट का ऐलान किया है.

एचआईवी मरीजों के लिए जल्द शुरू होगा वैक्सीन ट्रायल.
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 07 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 5:13 PM IST
  • HIV मरीजों के लिए जगी उम्मीद
  • अमेरिकी कंपनी बना रही है वैक्सीन
  • जल्द शुरू होगा वैक्सीन का ह्युमन ट्रायल

एचआईवी अब भी दुनियाभर में संकट बना हुआ है. लाखों की लोगों की जान हर साल, इस वैश्विक महामारी से जाती है. बीमारी के अस्तित्व में आने के 40 साल बाद एक ऐसे टीके की उम्मीद जगी है, जो एचआईवी को बेअसर कर सकता है. दुनिया के लिए पहला कोविड वैक्सीन बनाने वाली अमेरिकन फार्मास्युटिकल और बायोटेक कंपनी मॉडर्ना ने एचआईवी के लिए अलग टीके के ह्युमन टेस्ट का ऐलान किया है.

एचआईवी संक्रमितों के लिए तैयार की जा रही यह वैक्सीन भी mRNA तकनीक पर आधारित होगा, जिस पर मॉडर्ना का कोविड वैक्सीन है. मॉडर्ना अपने वैक्सीन का परीक्षण दो फेज में करेगी. यह एचआईवी के खिलाफ ह्युमन ट्रायल करने वाला पहले mRNA टीका होगा.

यूएस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच) के क्लिनिकल ट्रायल रजिस्ट्री के मुताबिक, पहले चरण में होने वाले परीक्षण के लिए 18 से 50 वर्ष की आयु के बीच के 56 एचआईवी-निगेटिव लोगों को चुना गया है. पहले चरण के ट्रायल के लिए 4 ग्रुप बनाए जाएंगे.

2 समूहों को दी जाएगी मिक्स वैक्सीन!

दो समूहों को एमआरएनए टीके के मिश्रित संस्करण दिए जाएंगे, वहीं ऐसे सी अलग-अलग समूहों का निर्धारण किया जाएगा, जिस पर वैज्ञानिकों की नजर होगी. जिन पर ट्रायल किया जाएगा, उन्हें पूरी प्रक्रिया के बारे में समझाया जाएगा.

बी-सेल को निष्प्रभावी करेगा टीका

अंत में दो एमआरएनए टीकों का उपयोग इंटरनेशनल एड्स वैक्सीन इनिशिएटिव (आईएवीआई) और स्क्रिप्स रिसर्च द्वारा विकसित एक अन्य टीके के साथ किया जाएगा. माना जा रहा है कि दो मॉडर्ना टीकों में एक विशिष्ट प्रकार के बी-सेल को प्रभावी रूप से बेअसर करने वाले एंटीबॉडी का उत्पादन करने की क्षमता है, और दूसरा टीका उन्हें ऐसा करने के लिए उत्प्रेरित करेगा.
 

2023 तक चलेगी स्टडी

IAVI और अन्य संस्थानों की ओर से प्रायोजित यह स्टडी मई 2023 तक चलने की उम्मीद है, पहला चरण के तहत होने वाला ट्रायल लगभग 10 महीने तक चलेगा. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक अब तक एचआईवी की वजह से तक 36.3 मिलियन लोग ने जान गंवा चुके हैं. वहीं 2020 के अंत तक एचआईवी संक्रमित मरीजों की संख्या 37.7 मिलियन से ज्यादा थी. 

अब तक लाइलाज बीमारी है एचआईवी

एचआईवी अब तक एक लाइलाज बीमारी है. हालांकि कई तरह की दवाइयों के सामने आने के बाद अब एचआईवी को एड्स में तब्दील होने से अस्थाई रूप से रोका जा सकता है. ये दवाइयां लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती हैं, जिससे एचआईवी संक्रमित लोग भी सामान्य जीवन जी सकते हैं.

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