रांची की निकिता बनी औरतों की मसीहा , 629 महिलाओं की कराई शादी

समाज सेवी निकिता सिन्हा 2016 से लेकर अब तक 629 महिलाओं की शादी करा चुकी है. ये ऐसी महिलाओं की शादी थी, जिन्हें ढुकू प्रथा का शिकार होना पड़ा था. इस प्रथा में बिना शादी किए महिला- पुरुष एक साथ रह सकते हैं. ऐसे माता-पिता, जो अपनी बेटी की शादी धूमधाम से कराने में असमर्थ हैं, वे लोग अपनी बेटी को बिना शादी के ही विदा कर देते हैं, और इस प्रथा की शिकार महिलाओं को ना तो उनका हक मिलता है ना ही जीवन की खुशियां. ऐसे में निकिता ये नेक काम कर इन महिलाओं को उनके हक की खुशियां दिला रही हैं.

शादियां करवाकर लोगों की मदद कर रही हैं निकिता
नाज़िया नाज़
  • नई दिल्ली,
  • 11 अक्टूबर 2021,
  • अपडेटेड 3:36 PM IST
  • औरतों के मान सम्मान और उन्हें उनका हक दिलाने का काम
  • 4000 शादियां कराने का है लक्ष्य
  • ऐसा कर गरीबों की कर रही हैं मदद

रांची की रहने वाली निकिता ने औरतों के मान सम्मान और उन्हें उनका हक दिलाने के लिए ऐसा काम किया है जो अपने आप में मिसाल है. बचपन में शर्मिली और सहमी-सहमी सी रहने वाली निकिता आज औरतों के लिए एक ताकत बन गई हैं. समाज सेवी निकिता सिन्हा  2016 से लेकर अब तक 629 महिलाओं की शादी करा चुकी है. ये ऐसी महिलाओं की शादी थी, जिन्हें ढुकू प्रथा का शिकार होना पड़ा था. इस प्रथा में बिना शादी किए महिला-पुरुष एक साथ रह सकते हैं. ऐसे माता-पिता, जो अपनी बेटी की शादी धूमधाम से कराने में असमर्थ हैं, वे लोग अपनी बेटी को बिना शादी के ही विदा कर देते हैं, और इस प्रथा की शिकार महिलाओं को ना तो उनका हक मिलता है ना ही जीवन की खुशियां.

ढुकू शब्द पहली बार सुना

दैनिक जागरण की रिपोर्ट के मुताब‍िक निकिता साल 2014 में वह मरंग्हडा में एक कार्यक्रम में गई थीं. कार्यक्रम में निकिता की मुलाकात एक अधेड़ व्यक्ति से हुई. वह अधेड़ व्यक्ति निकिता के पास आया और कहने लगा कि मैडम मेरी शादी करा दीजिए. उसकी बात सुन कर अजीब लगा. सोचने लगी कि आखिर उसने ऐसा क्यों कहा. अपने साथ काम करने वाली एक महिला से पूछा कि वह व्यक्ति, जो उस दिन कार्यक्रम में आया था, कहां रहता है. उसने जवाब दिया कि अच्छा ढुकू की बात कर रही हो. तब उसने कहा कि यहां तुम्हें हर जगह ढुकू मिलेंगे. निकिता ने बताया कि उन्होंने पहली बार ढुकू का नाम सुना.

2016 में पहली बार में कराई 25 लोगों की शादी

निकिता गांव में कई ऐसी महिलाओं से मिलीं, जो बिना शादी किए किसी पुरुष के साथ रह रही थीं. इनमें कुछ अधेड़ भी थीं, उनके बच्चे बड़े हो चुके थे. इन महिलाओं को उनके आदिवासी समाज में उपेक्षा का सामना करना पड़ता है. लोग अच्छी नजर से नहीं देखते थे. यह जानकार दुख हुआ. तभी ठान लिया था कि इन महिलाओं को समाज में इज्जत दिलाकर ही रहेंगी. निकिता के रास्ते में कई रोड़े भी आए . वहां के लोगों ने, पंडित ने निकिता के इस कदम का विरोध किया, लेकिन निकिता अपने संकल्प पर डटी रही. निकिता ने बताया कि इस सब के बावजूद वहां के डीसी ने मेरा साथ दिया और इस तरह मैंने पहली बार 25 लोगों की शादियां करवाई. इनमें एक पोता व उसके दादा की भी शादी करवाई.

समाज ने की बगावत, फिर भी नहीं टूटा हौसला

निकिता बताती हैं कि उनका सफर 25 महिलाओं की शादियां करा कर खत्म नहीं हुआ है, बल्कि इसकी शुरुआत हुई. निकिता ने रांची, गुमला, खूंटी, सिमडेगा व अन्य जिलों की कुल 629 महिलाओं की शादियां करवाईं. ये शादियां करवाने के लिए उन्हें समाज से कई जंग लड़नी पड़ी. लेकिन वह कभी डगमगाई नही. निकिता के मुताबिक, जब वह बड़े अधिकारियों के पास सहयोग के लिए गईं तो उन्हें निराशा के अलावा और कुछ हाथ नहीं लगा.

4000 महिलाओं की शादी कराने का है लक्ष्य

कई बार लोगों ने यह भी कहा कि मैडम आप क्यों पैसे खर्च करना चाहती हैं, क्यों झमेला ले रही हैं. निकिता बताती हैं कि यह सुनकर काफी बुरा लगा. फिर उन्होंने सोचा कि वह इन लोगों की सोच नहीं बदल सकतीं. लेकिन अपने कार्य से उन महिलाओं को इज्जत जरूर दे सकती है. इस बार 4000 महिलाओं की शादी कराने का निश्चय किया है और इस लक्ष्य को पूरा करके ही दम लेना है.

क्या है ढुकू प्रथा 

कई राज्यों में ढुकू प्रथा अलग-अलग नाम से प्रचलन में आज भी है.  झारखंड के आदिवासी बहुल इलाकों में इस प्रथा का प्रचलन देखा जाता है.  इसमें एक साथ रहते हुए बच्चे भी हो जाते हैं. इसमें सामाजिक मान्यता तो मिलती है, लेकिन वैधानिक अड़चनें आती हैं.


 

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