इंसानियत की मिसाल! 23 महीने की बच्ची को बचाने के लिए इस फार्मा कंपनी ने फ्री में दिया 16 करोड़ का इंजेक्शन

इस बीमारी की दवा का खर्च ये इंजेक्शन बनाने वाली स्विट्जरलैंड स्थित फार्मास्युटिकल फर्म नोवार्टिस ने ही फ्री में एलेन के लिए दिया है. भद्राद्री कोठागुडेम जिले के रेगुबली गांव के निवासी रायपुडी प्रवीण और स्टेला की बेटी एलेन के लिए कंपनी में फ्री में ये दवा उपलब्ध कराई.

इंसानियत की मिसाल! 23 महीने की बच्ची को बचाने के लिए इस फार्मा कंपनी ने फ्री में दिया 16 करोड़ का इंजेक्शन
gnttv.com
  • हैदराबाद,
  • 09 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 2:25 PM IST
  • दवा कंपनी ने मुफ्त में दिया इंजेक्शन

अक्सर आपने बड़े-बड़े अस्पतालों के महंगे बिल के बारे में सुना होगा. कई बार लोग ज्यादा बिल या महंगी फीस से परेशान होकर इलाज भी नहीं करवा पाते हैं. लेकिन हैदराबाद में एक बच्ची को अस्पताल की तरफ से मुफ्त में 16 करोड़ का इलाज मिला है.

बच्ची को मुफ्त में मिला इलाज
दरअसल 23 महीने की एक बच्ची रायपुडी एलेन एक दुर्लभ आनुवंशिक बीमारी स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी -1 (SMA-1) से पीड़ित थी. इस बीमारी का केवल एक ही इलाज है, जोलगेन्स्मा जीन थेरेपी (Zolgensma Gene Therapy), ये ट्रीटमेंट केवल इंजेक्शन के रूप में उपलब्ध है, जिसकी कीमत 16 करोड़ रुपए है. लेकिन हैदराबाद के रेनबो चिल्ड्रन हॉस्पिटल ने इस बच्ची को मुफ्त में इंजेक्शन लगाया है.

दवा कंपनी ने मुफ्त में दिया इंजेक्शन
दरअसल इस दवा का खर्च ये इंजेक्शन बनाने वाली स्विट्जरलैंड स्थित फार्मास्युटिकल फर्म नोवार्टिस ने ही फ्री में एलेन के लिए दिया है. भद्राद्री कोठागुडेम जिले के रेगुबली गांव के निवासी रायपुडी प्रवीण और स्टेला की बेटी एलेन के लिए कंपनी में फ्री में ये दवा उपलब्ध कराई. द न्यू इंडियन एक्सप्रेस को बाल रोग न्यूरोलॉजिस्ट डॉ रमेश कोनांकी ने बताया कि एसएमए-1 से प्रभावित बच्चों का विकास आसानी से नहीं हो पाता है.

बीमारी के कारण बैठ तक नहीं सकती थी एलेन
इस बीमारी के कारण एलेन अपने शरीर में कोई गतिविधि नहीं कर पा रही है. बीमारी के कारण उसका अपनी शारीरिक गतिविधियों पर नियंत्रण नहीं है. विशेष रूप से वो सिर, गर्दन, हाथ और पैरों में गति, और निगलने में असमर्थ थी. उसे सांस लेने में कठिनाई और मांसपेशियों में गंभीर कमजोरी भी हो गई, जिसके कारण वह बैठ भी नहीं सकती थी.

डॉ रमेश ने बताया कि अगर इस बीमारी को बच्चे के दो साल की उम्र से पहले इलाज नहीं किया जाता है, तो ये जानलेवा साबित हो सकती है. 2019 तक इसका कोई इलाज नहीं था. लेकिन उसके बाद नोवार्टिस ने एक उपचार विकसित किया जो दोषपूर्ण जीन को बदलकर काम करता है. इस अस्पताल में ये इस बीमारी का चौथा ऐसा मामला था, जिसमें मरीज को इलाज मिला हो. 

क्या है स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी -1 (SMA-1)?
असल में इंसानों के शरीर में प्रोटीन बनाने वाला एक जीन होता है. जिससे मांसपेशियां और तंत्रिकाएं जीवित रहती हैं. लेकिन जिसे एसएमए यानी स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी की बीमारी होती है उसके शरीर में यह जीन नहीं होता. सबसे दुख की बात तो ये है कि इसका पता गर्भ में नहीं लग पाता. ये ज्यादातर बच्चों को होता है. जैसा की एलेन को हुआ.


 

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