उत्तराखंड के पौड़ी में सरकारी स्कूलों में चीनी भाषा मंदारिन की पढ़ाई शुरू की गई है. यह पहल राष्ट्रीय सुरक्षा और रोजगार के लिहाज से महत्वपूर्ण मानी जा रही है. इस कार्यक्रम की शुरुआत देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने की थी. अब डीएम आशीष चौहान इसे आगे बढ़ा रहे हैं.
पौड़ी में मंदारिन की पढ़ाई
यहां के सरकारी स्कूलों में सबसे कठिन मानी जाने वाली चीनी भाषा मंदारिन को एक विषय के रूप में पढ़ाया जा रहा है ताकि छात्रों को न सिर्फ बेहतर करियर के विकल्प मिले बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से भी यह भाषा उपयोगी साबित हो. इसी मकसद के साथ इसकी शुरुआत की थी देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने, जिसे आगे बढ़ा रहे हैं यहां के डीएम आशीष चौहान.
दून यूनिवर्सिटी का इनिशिएटिव
यह ग्राउंड ब्रेकिंग इनिशिएटिव दून यूनिवर्सिटी लेकर आई है. साल 2023 में पहले तो इसे डिस्ट्रिक्ट इन्स्टिट्यूट ऑफ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग प्रोग्राम के तहत पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया. इसमें 11 पीएम श्री स्कूलों में चीनी भाषा की पढ़ाई शुरू की गई.
बच्चों का अच्छा रिस्पांस मिला तो पिछले साल यहां के सरकारी इंटर कॉलेज और सरकारी गर्ल्स इंटर कॉलेज में ग्यारहवीं और बारहवीं के छात्रों के लिए यूनिवर्सिटी प्रोफेसर के सुपरविज़न में इसे शुरू किया गया. इसका लाभ अब सैकड़ों विद्यार्थी उठा रहे हैं.
दून विश्वविद्यालय में चीनी अध्ययन के विभागाध्यक्ष शैंकी चंद्रा बताते हैं, "यह पौड़ी गड़वाल के डीएम आशीष चौहान जी का पायलट प्रोजेक्ट था. डिस्ट्रिक्ट इन्स्टिट्यूट ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग (DIET) के तहत हमने 11 पीएमसी स्कूलों को चुना जहां पर हमने यह चाइनीज लैंगुएज टीचिंग प्रोग्राम स्टार्ट किया."
उन्होंने कहा, "हमने इसे पायलट बेसिस पर शुरू किया. क्योंकि जब तक हमें स्टूडेंट रिस्पांस नहीं पता चलेगा कि यह कितना इफेक्टिव है, तब तक हम इसे आगे नहीं बढ़ा सकते थे. हमें अच्छी प्रतिक्रिया मिली जिसके बाद हमने 2024 में 11वीं और 12वीं के बच्चों के लिए इस कोर्स को शुरू किया. अब गवर्नमेंट इंटर कॉलेज और गर्ल्स इंटर कॉलेज के जो स्टूडेंट्स हैं उन्हें हम ऑनलाइन चाइनीज़ भाषा पढ़ा रहे हैं."
राष्ट्रीय सुरक्षा और रोजगार के लिए जरूरी
पाकिस्तान, नेपाल जैसे हमारे पड़ोसी मुल्कों के साथ-साथ अमेरिका और यूरोप में भी मंदारिन को पढ़ाने सिखाने पर ज़ोर है. ऐसे में जब चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और भारत वैश्विक व्यापार के लिए बड़ा बाजार तो रोजगार और व्यापार के लिहाज से मंदारिन का महत्त्व समझा जा सकता है.
शैंकी चंद्रा कहते हैं, "हमारी चीनी भाषा की जो जरूरत है वह बहुत ज्यादा है. इसके हिसाब से हमें लोग नहीं मिल रहे हैं. अगर हमें उच्च कोटी के ट्रांसलेटर और इंटरप्रेटर चाहिए तो हमें यह भाषा स्कूल से ही पढ़ाना बहुत जरूरी है. रोजगार, राष्ट्रीय सुरक्षा और हमारे राष्ट्रहित को ध्यान में रखते हुए यह बेहद जरूरी है कि हमारे सिर्फ पौड़ी गढ़वाल में नहीं, पूरे प्रदेश में सभी सरकारी स्कूलों में चीनी भाषा को पढ़ाना चाहिए."
चीन हमारा पड़ोसी मुल्क है तो ज़ाहिर है कि भाषा सीखने से वहां के समाज और संस्कृति को समझने में भी बड़ी मदद मिलेगी. लिहाजा कोशिश यही है कि यह पहल पौड़ी गढ़वाल तक सीमित ना रहे बल्कि राज्य और देश के दूसरे हिस्सों तक भी इसका विस्तार हो.