Mechanical Elephant in Temple: केरल के इस मंदिर की खास पहल, धार्मिक कार्यक्रमों में अब इस्तेमाल किए जाएंगे मशीनी हाथी, जानिए क्यों है खास

केरल के मंदिरों में हाथियों के इस्तेमाल की परंपरा बहुत पुरानी रही है. लेकिन इनकी उपस्थिति कई लोगों की मृत्यु का कारण भी बनी. इसी समस्या से निपटने के लिए केरल के इस मंदिर ने मशीनी हाथी इस्तेमाल करने का फैसला किया.

mechanical elephant
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 11 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 11:11 AM IST
  • पेटा और अनुष्का शंकर ने गिफ्ट किया मंदिर को हाथी
  • जानलेवा रही है धार्मिक कार्यक्रमों में हाथियों की मौजूदगी

केरल के थ्रिसुर जिले में मौजूद प्राचीन कोम्बरा श्रीकृष्ण स्वामी मंदिर उन्हीं मंदिरों में से है जहां धार्मिक कार्यक्रमों में हाथी की मौजूदगी को अहम माना जाता है. लेकिन हाथियों की मौजूदगी बीते कुछ समय में प्राणहर रही है. हेरिटेज एनिमल टास्क फोर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2007 से 2024 के बीच, केरल के मंदिरों में हुए धार्मिक कार्यक्रमों में लाए गए हाथियों के हमलों से 540 लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि 742 लोग घायल हुए हैं. 

इसी समस्या से निपटने के लिए कोम्बरा मंदिर ने हाथियों से जुड़ी परंपरा में थोड़ा बदलाव किया है. अब इस मंदिर के कार्यक्रमों में असली हाथी नहीं बल्कि एक मशीनी हाथी का इस्तेमाल किया जाएगा. 

2015 से नहीं हुआ हाथी का प्रयोग
इस मंदिर ने साल 2015 से हाथियों का उपयोग करने से परहेज किया है. इसका पहला कारण तो यह है कि इसकी लागत बहुत ज्यादा है. और दूसरा कारण यह है कि बंदी हाथियों को कठिन हालातों से गुजरना पड़ता है. इन हाथियों को जंजीरों से बांधा जाता और अक्सर लंबे और थका देने वाले जुलूसों में भाग लेने के लिए मजबूर किया जाता है. 

ऐसे में जब पशु अधिकार संस्था पेटा (People for the Ethical Treatment of Animals/ PETA) और सितारवादक अनुष्का शंकर ने मंदिर को मशीनी हाथी गिफ्ट करने का प्रस्ताव दिया, तो वे मना नहीं कर सके.

मंदिर के अध्यक्ष रवि नंबूथिरी कहते हैं, “हमारे मंदिर के अनुष्ठानों और त्योहारों के लिए कभी भी जीवित हाथी को किराए पर नहीं लेने या न रखने के हमारे फैसले के सम्मान में हम एक यांत्रिक हाथी को स्वीकार करने के लिए बिल्कुल रोमांचित हैं. ईश्वर की सभी रचनाएं प्रेम और सम्मान की पात्र हैं.” 

धार्मिक कार्यक्रमों के लिए तैयार किया गया हाथी
यांत्रिक हाथी को चलाकुडी के प्रशांत पुथुवेलिल और उनके तीन सहयोगियों ने तैयार किया था. उनका सफर 2018 में शुरू हुआ जब उन्होंने दुबई पूरम उत्सव से पहले प्रवासी मलयाली लोगों के लिए मशीनी हाथी बनाए.

उन्होंने तब से अलग-अलग आकारों में 46 से ज्यादा हाथी बनाए हैं. ये अब केरल, कई अन्य भारतीय राज्यों और अमेरिका, कनाडा, स्पेन और इंग्लैंड जैसे देशों में पाए जाते हैं. वर्तमान में, प्रशांत केन्या के लिए एक अफ्रीकी हाथी मॉडल पर काम कर रहे हैं.

असली हाथी की नकल करती है मशीन
रबर, फाइबर, धातु, जाल, फोम और स्टील का उपयोग करके निर्मित ये हाथी पांच मोटरों से चलते हैं. बिजली से चलने वाली ये मशीनें बिल्कुल जिन्दा हाथियों की तरह बर्ताव करते हैं. ये बिल्कुल उन्हीं की तरह सिर हिलाते हैं. पूंछ हिलाते हैं. अपने कान फड़फड़ाते हैं और अपनी नाक से पानी छिड़कते हैं. ये हाथी एक व्हीलबेस पर खड़े होते हैं और इन्हें जुलूसों और अनुष्ठानों के दौरान या तो रिमोट कंट्रोल या मैन्युअल रूप से आसानी से संचालित किया जा सकता है.

कोम्बारा कन्नन की स्थापना से एक दिन पहले ही केरल में जीवित हाथियों के कारण तीन लोगों की मौत की खबरें भी आईं. हाल के अदालती हस्तक्षेपों ने त्योहारों में हाथियों के इस्तेमाल पर भी जांच तेज कर दी है. पशु अधिकार कार्यकर्ता लंबे समय से त्योहारों में इस्तेमाल किए जाने वाले बंदी हाथियों की पीड़ा को उजागर करते रहे हैं. 

भारत में हाथियों से संबंधित मौत के आंकड़े चिंताजनक हैं. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, साल 2019 से 2024 के बीच 2727 लोग हाथियों के हमलों में मारे जा चुके हैं. ओडिशा में हाथियों के हमलों में मरने वाले लोगों की संख्या सबसे ज्यादा है, जहां 604 लोगों ने अपनी जान गंवाई है.

Read more!

RECOMMENDED