Exclusive: एक्सीडेंट के बाद दो महीने रहे कोमा में, ठीक हुए तो वृक्षारोपण को बनाया मिशन, लगा चुके हैं 10 लाख से ज्यादा पौधे

जानिए कैसे यह शख्स फैला रहा है शहरों में हरियाली. लोग कहते हैं Tree Man of Gurugram. अब तक लगा चुके हैं लाखों पौधे.

Tree Man of Gurugram
निशा डागर तंवर
  • नई दिल्ली ,
  • 21 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 12:28 PM IST
  • एक्सीडेंट ने बदल दी जिंदगी
  • पेड़ को देखकर मिली फिर कुछ करने की प्रेरणा

आजकल लोग अपनी छोटी सी परेशानी से घबराकर जीना छोड़ देते हैं. लेकिन आज हम आपको बता रहे हैं एक ऐसे वॉरियर की कहानी जिन्होंने अपने जीवन में बहुत सी मुश्किलें झेलीं लेकिन कभी हार नहीं मानी. और तो और उन्होंने एक पहल शुरू की जिसका हिस्सा आज लाखों लोग बन चुके हैं. 

यह कहानी है गुरुग्राम के रहने वाले डॉ. दीपक रमेश गौड़ की, जिन्हें लोग Tree Man of Gurugram के नाम से भी जानते हैं. 21 मार्च को हर साल पूरी दिया में World Forest Day मनाया जाता है. इस मौके पर हम आपको बता रहे हैं इस ट्रीमैन के बारे में जो सालों से शहरों में पेड़-पौधे लगाकर हरियाली बिखेर रहा है. 

एक्सीडेंट ने बदल दी जिंदगी
GNT Digital से बात करते हुए दीपक ने बताया कि वह बचपन से ही बहुत मेधावी छात्र थे. पढ़ाई के साथ-साथ अन्य गतिविधियों में भी वह बहुत एक्टिव रहते थे. लेकिन जब दीपक 8-9 साल के थे तब एक बार खेलते हुए वह जल गए थे. उनके चेहरे पर बहुत से निशान भी आ गए थे और उनके आसपास के कुछ लोगों ने तो उन्हें भूत तक कह दिया. हालांकि, जीवन में बहुत से ने लोगों ने उन्हें आगे बढ़ने का हौसला दिया.

इसलिए उन्होंने कभी भी नकारात्मक बातों पर ध्यान नहीं दिया बल्कि खुद को इतना बड़ा बनाने की सोची कि हर कोई उनकी सफलता की बात करे. हालांकि, एक लंबे ट्रीटमेंट के बाद उनका चेहरा ठीक हो गया और वह स्कूल से पास आउट होने के बाद कॉलेज की पढ़ाई के साथ-साथ एडवरटाइजिंग इंडस्ट्री के साथ काम करने लगे. 

दीपक ने बताया कि उन्होंने कई सालों तक इस क्षेत्र में काम किया और अपनी एक अलग पहचान बनाई. उन्होंने देश-विदेश की फर्म्स के साथ इवेंट्स किए. लेकिन साल 2010 में एक एक्सीडेंट ने उनकी जिंदगी बदल दी क्योंकि इसके बाद वह दो महीने तक कोमा में रहे. 

Gift a Tree

पेड़ को देखकर मिली फिर कुछ करने की प्रेरणा
अपने सफर के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया कि जब वह कोमा से बाहर आए तो ज्यादा ठीक नहीं थे. वे दूसरों पर निर्भर हो गए थे. उनकी जिंदगी पर उनका अपना कोई कंट्रोल नहीं था. फिर एक दिन वह बाहर बैठे थे तो उन्होंने सामने एक पेड़ को देखा. उस पेड़ को देख उन्होंने सोचा कि पेड़-पौधे अपने लिए नहीं जीते बल्कि दूसरों के लिए जीते हैं. परिस्थिति भले ही बदल जाए पर पेड़-पौधों की फितरत नहीं बदलती है. वे सबको ठंड़ी छांव देते हैं. 

इसके बाद जब दीपक रिकवर करने लगे तो उन्होंने प्रकृति को अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया. हालांकि, एक्सीडेंट के बाद उन्हें ठीक से दिखता भी नहीं है और भी कई स्वास्थ्य संबंधी परेशानी उन्हें हैं. लेकिन उन्होंने खुद एक पेड़ की तरह जीने का फैसला किया ताकि वे लोगों के काम आ सकें. और इस अभियान में उन्हें पूर्व-राष्ट्रपति एपीजे कलाम से बहुत हौसला और साथ मिला. कलाम साहब ने उन्हें इस मिशन को शुरू करने की प्रेरणा दी. और साल 2012 में उन्होंने यह काम शुरू किया.

Gifted a tree to Kalam Sir

 

7 सीरिज में किया मिशन 
दीपक ने बताया कि उन्होंने सबसे पहले अपने कुछ साथियों के साथ जाकर कलाम सर को पौधा गिफ्ट किया था. और यहां से उनका Gift a tree network शुरू हुआ. और कलाम सर ने भी उन्हें एक पौधा गिफ्ट किया. उनका कहना है कि कलाम साहब उनके लिए गुरु, मार्गदर्शक और भगवान की तरह थे. इसके बाद दीपक ने अपना अभियान शुरू किया. 

उन्होंने बताया कि उन्होंने अपने अभियान को एक्टिव रखने के लिए इनोवेटिव आइडियाज लगाए. जैसे उन्होंने बच्चों के जन्मदिन, सालगिरह आदि पर पौधे गिफ्ट करना शुरू किया. इसके अलावा, उन्होंने 15 अगस्त, 2014 को 'फ्रीडम सीरीज़' लॉन्च की. जब उन्होंने लोगों को अपनी मातृभूमि (भारत माता) को पौधे लगाकर गिफ्ट देने के लिए बुलाया, क्योंकि यह वास्तव में उनकी आजादी का प्रतीक है. 

इसी तरह उन्होंने 'इंस्पिरेशनल सीरिज,' 'डिवोशन (Devotion) सीरिज,' और फिर 'भारत-विदेश सीरिज' शुरू की. इन सीरिज के तहत उन्होंने मंदिर, गुरुद्वारों जैसी डिवोशनल जगहों और दूसरे देशों की अम्बेसी आदि में पौधे गिफ्ट किए. 'सेलिब्रेशन सीरीज' के तहत त्योहारों पर पौधे गिफ्ट करने और लगवाने की मुहिम शुरू की. और तो और उन्होंने 'रोज प्लांट डे' भी लॉन्च किया है. 

दीपक को TREE MAN , MESSENGER OF NATURE , GREEN WORRIER और ECO- WORRIER के रूप में भी जाना गया. ट्री मैन ने गुरुग्राम के इलावा अब तक दिल्ली, नॉएडा, हिसार, अंबाला, पंचकुला,झज्जर, फरीदाबाद, जींद इत्यादि जगहों पर प्लांटेशन कराकर नाम कमाया है. उनका नाम कई बार Limca Book of Records में दर्ज हो चुका है. 

लगाए 10 लाख से ज्यादा पौधे

Planting 1 millionth plant


अपने इस अभियान के तहत, दीपक अबतक 10 लाख से ज्यादा पौधे गिफ्ट कर चुके हैं. और सबसे दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने सिर्फ पौधे लगवाए नहीं हैं बल्कि इनके रख-रखाव पर भी ध्यान दिया है. उन्होंने बताया, "मैनें पौधों का जन्मदिन मनाने की मुहिम शुरू की. इससे मैंने जहां भी पौधे लगाए हैं, वहां मैं पौधों का जन्मदिन मनाने पहुंच जाता था. इससे लोगों को पौधों का ध्यान रखना ही पड़ता क्योंकि उन्हें पता था कि मैं कभी भी आकर पौधों के बारे में पूछ सकता हूं."

आगे उनका कहना है कि अब वह प्रदुषण, रोड सेफ्टी और फायर सेफ्टी की दिशा में काम करेंगे. उनका कहना है कि हम प्रदुषण को एकदम खत्म नहीं कर सकते लेकिन यह जहां पहुच गया है वहीं पर रोक सकते हैं और फिर धीरे-धीरे इसे कम करने के प्रयास कर सकते हैं. जैसे वह सुझाव देते हैं कि कुड़े के पहाड़ के पास रहने वाले लोगों के घरों में और आसपास एरेका पाम और रबर प्लांट जैसे पेड़ लगाने चाहिए ताकि वे हवा को शुद्ध करें. 

साथ ही, वह रोड एक्सीडेंट और फायर एक्सीडेंट के पीड़ित खासकर कि बच्चों के लिए काम करना चाहते हैं. वह उन बच्चों में भी वही आत्मविश्वास भरना चाहते हैं जो उनमें है. मुश्किल हालातों में भई उन्होंने कभी खुद पर अपना विश्वास नहीं खोया और अब यह हौसला वह बच्चों को देना चाहते हैं. 

इस बात में कोई दो राय नहीं है कि दीपक आज हम सबके लिए प्रेरणा हैं. और वह आने वाली पीढ़ी के लिए कुछ भी कर रहे हैं वह काबिल-ए-तारीफ है. 

 

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