अमेरिका में बसने की इच्छा रखने वाले लोगों के लिए अच्छी खबर है. अमेरिका का स्थायी निवासी कार्ड माने जाना वाला ग्रीन कार्ड, अब लोग फीस देकर ले सकते हैं. यानी अमेरिका में फीस देकर भी नागरिकता ली जा सकती है. अमेरिकी संसद एक नए बिल को पास करने की तैयारी कर रहा है.
अमेरिका में नौकरी की तलाश में जाने वाले कई लोग, वहां ग्रीन कार्ड लेकर बस जाना चाहते हैं. अब अमेरिका में जॉब बेस्ड ग्रीन कार्ड को कीमत चुकाकर हासिल किया जा सकता है. ग्रीनकार्ड के बैकलॉग में लाखों लोगों का भविष्य अधर में लटका हुआ है, ऐसे में अमेरिकी संसद में एक बिल लाने जाने की तैयारी की जा रही है, जिसके पास होते ही एक तय फीस चुकाकर वैध तरीके से अमेरिका का स्थाई निवासी बना जा सकता है.
जिन लोगों का भविष्य अधर में लटका है, उनमें कई भारतीय भी शामिल हैं. अगर यह बिल अमेरिकी संसद से पास होकर कानून बन जाता है तो बड़ी संख्या में भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स को राह मिलेगी, जो फिलहाल ग्रीन कार्ड बैकलॉग में फंसे हुए हैं.
कैसे हासिल कर सकते हैं ग्रीन कार्ड?
ग्रीन कार्ड को अमेरिका में आधिकारिक तौर पर स्थायी निवासी कार्ड के रूप में जाना जाता है. यह अप्रवासियों को जारी किया गया एक दस्तावेज है जो ग्रीन कार्ड होल्डर को यह अधिकार देता है कि वह अमेरिका में स्थाई रूप से रह सकता है. यूएस हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव ज्यूडिशियरी कमेटी द्वारा जारी कमेटी प्रिंट के मुताबिक 5000 अमेरिकी डॉलर चुकाकर ग्रीन कार्ड हासिल किया जा सकता है.
क्या रखी गई हैं शर्तें?
ग्रीन कार्ड के लिए कुछ शर्तें भी रखी गई हैं. इसमें 2 साल से ज्यादा समय अवधि भी रखी गई है. फोर्ब्स मैग्जीन के मुताबिक EB-5 श्रेणी (आप्रवासी निवेशक) के लिए 5 हजार डॉलर शुल्क है, यह प्रावधान 2031 में समाप्त हो रहा है. परिवार सहित रहने वाले प्रवासी जो किसी अमेरिकी कंपनी में काम कर रहे हैं, या किसी अमेरिकी ने उन्हें स्पॉन्सर किया है, जिनकी प्राथमिकता 2 साल से ज्यादा है, उन्हें ग्रीन कार्ड पाने के लिए 2,500 अमेरिकी डॉलर चुकाने होंगे.
बिल के पास होने में तमाम अड़चनें
हालांकि, बिल में कानूनी आव्रजन प्रणाली में स्थायी संरचनात्मक परिवर्तन शामिल नहीं हैं, जिसमें ग्रीन कार्ड के लिए देश की सीमा को समाप्त करना या एच -1 बी वीजा के वार्षिक कोटा को बढ़ाना शामिल है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कानून बनने से पहले, प्रावधानों को न्यायपालिका समिति, प्रतिनिधि सभा और सीनेट को पारित करना होगा और राष्ट्रपति की भी मंजूरी मिलनी अनिवार्य होगी.