टूरिज्म को प्रमोट करने के लिए उत्तराखंड सरकार ने बड़ा फैसला किया है. टूरिज्म डिपार्टमेंट ने भारतीय पर्वतारोहियों से किसी तरह का शुल्क नहीं लेने का फैसला किया है. पहले जो फीस पर्वतारोहियों से ली जाती थी, उसका एक हिस्सा वन विभाग और दूसरा हिस्सा इंडियन माउंटेनियरिंग फाउंडेशन को जाता था. जिसकी वजह से सूबे में पर्वतारोहण के लिए आने वाले पर्यटकों की संख्या में कमी आई गई थी. लेकिन उम्मीद है कि इस बदलाव से पर्यटकों की संख्या में इजाफा होगा. हालांकि विदेशी पर्यटकों से पहले की तरह से ही फीस ली जाएगी.
हर साल हजारों की संख्या में देश-दुनिया से पर्यटक उत्तराखंड आते हैं. जिसमें से कुछ पर्यटक चोटियों पर चढ़ाई करना पसंद करते हैं. इसमें नंदा देवी, पंचाचूली पर्वत, त्रिशूल III, मुकुट पर्वत, भागीरथी और गंगोत्री शामिल हैं. कई पयर्टक सतोपंथ, शिवलिंग, श्रीकांत, वासुकी पर्वत, कामेट जैसी चोटियों को भी पसंद करते हैं.
वन विभाग नहीं लेगा अपने हिस्से की फीस-
वन विभाग ने भारतीय पर्यटकों से वसूले जाने वाले अपने हिस्से की फीस को माफ कर दिया है. जबकि आईएमएफ की फीस को टूरिज्म डिपार्टमेंट भुगतान करेगा. इसको लेकर एक आधिकारिक ऑर्डर जारी किया गया था.
पर्वत की ऊंचाई के हिसाब से लगती है फीस-
अभी तक विदेशी और भारतीय पर्वतारोहियों के लिए अलग-अलग फीस देनी पड़ती थी. 6500 मीटर की ऊंचाई की चोटियों पर चढ़ने के लिए भारतीय पर्वतारोहियों को 3000 रुपए फीस देनी पड़ती थी, जबकि विदेशी पर्वतारोही को 20 हजार रुपए चुकाने पड़ते हैं. हालांकि टूरिज्म डिपार्टमेंट ने विदेशी पर्यटकों के लिए फीस में कोई बदलाव नहीं किया है.
7000 मीटर से ज्यादा की ऊंचाई के लिए कितनी है फीस-
6500 मीटर से 7000 मीटर की ऊंचाई की चोटियों पर चढ़ने के लिए भारतीय पर्वतारोहियों के लिए 4 हजार रुपए फीस लगती है. जबकि विदेश पर्वातरोही को 25 हजार रुपए फीस देनी पड़ती है. इसके अलावा 7001 मीटर से ज्यादा ऊंचाई की चोटियों पर चढ़ने के लिए भारतीयों को 6 हजार रुपए फीस देनी पड़ती है, बजकि विदेशियों को फीस के तौर पर 40 हजार रुपए चुकाना पड़ता है.
फीस माफी के बाद भी भारतीय पर्वतारोहियों को एक आवेदन जमा करना होगा और टूरिज्म डिपार्टमेंट से इजाजत लेनी पड़ेगी. जबकि पहले वन विभाग से इजाजत लेनी पड़ती थी.
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