'मां का पहला दूध ही शिशु के लिए सही'. कहने को तो यह केवल एक बात है, लेकिन इसमें काफी सच्चाई है. शिशु के लिए मां के दूध में भरपूर मात्रा में पोषण होता है. इस बात को डॉक्टर तक मानते है. लेकिन फिर भी कई शिशुओं को मां का दूध नहीं मिल पाता है. लेकिन इस काम में रोटरी ह्यूमन मिल्क बैंक ने काफी अहम भूमिका निभाई है. इसके जरिए कई शिशुओं को मां का दूध मुहैया हुआ है, जिससे उन्हें पोषण मिला है.
पूरा हुआ एक साल
तिरुपति के सरकारी मैटरनिती हॉस्पिटल में रोटरी ह्यूमन मिल्क बैंक को एक साल पूरा हो गया है. इस एक साल के अंदर मिल्क बैंक ने कई ऐसे शिशुओं को मां का दूध मुहैया करवाया है, जिससे उनकी जान बच पाई है. इस मिल्क बैंक में महिलाएं अपनी इच्छा से दूध डोनेट करती हैं, क्योंकि वह जानती है इसकी बच्चे के लिए अहमियत को.
बता दें कि इस एक साल में मिल्क बैंक में करीब 247 लीटर दूध डोनेट किया गया. जिसमें से 243 लीटर शिशुओं को दिया गया. यानी करीब 98 फीसद दूध का इस्तेमाल कर लिया गया. इस बैंक में करीब 1800 महिलाओं ने अपनी इच्छा से दूध का दान किया जिससे 3475 के करीब बच्चों को फायदा मिल पाया.
रखा जाता है दूध दान का पूरा ध्यान
आमतौर पर होता है कि कई बार मां का दूध पीने से किसी बीमारी मां से बच्चे को भी हो जाती है. इस बात को ध्यान में रखते हुए मिल्क बैंक जिन महिलाओं से दूध का दान करवाता है. वह पहले उनकी अच्छी तरह कई प्रकार की जांच भी करवाता है, जिसमें एचआईवी जैसी जांच भी शामिल है. यानी देखा जा सकता है कि दूध दान की प्रक्रिया को किस प्रकार से सुरक्षित रखा जाता है ताकि बच्चे स्वस्थ रहें.
दूध दान करने वाली मां का भी पूरा ख्याल
हर उस मां का मिल्क बैंक पूरी तरह ख्याल रखता है जो दूध दान करने का फैसला लेती है. मिल्क बैंक इस बात को अपनी जिम्मेदारी समझता है कि मां का भी स्वास्थय ठीक रहे. इसके लिए वह उन माओं को पोषण के लिए सूखे मेवे देता है.