एमपी के रतलाम की वेद व्यास कॉलोनी में रहने वाली संगीता वर्मा की अंगुलियां जब ब्रश पकड़ती हैं, तो कैनवास पर नारी शक्ति के बिंब नए-नए रूपों में जीवंत होने लगते हैं. संगीता खास हैं, वो अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो सकती. गर्दन मोड़ नहीं पातीं... हरकत उनकी सिर्फ हथेली और उंगलियों में ही होती है, लेकिन उसका हौसला है कि आदर्श बन गया. बचपन के चित्रकारी के शौक को अपने हौसले और जुनून से परवान चढ़ाने वाला ये नाम अब एक उम्मीद बन गया है. जिंदादिली की जीती जागती मिसाल है. साथ ही दूसरों के लिए एक प्रेरणा भी है. देखें रतलाम से विजय मीणा की ये रिपोर्ट...
When the fingers of Sangeeta Verma, who lives in Ved Vyas Colony of Ratlam, MP, hold the brush, the images of female power on the canvas begin to come alive in new forms. Sangeeta cannot stand on her feet. The neck is not able to bend, the movement is only in his palm and fingers, but he dares to become the ideal. This name, which fueled the passion of childhood painting with his enthusiasm and passion, has now become a hope. Watch the video to know more.