सिर में दर्द हुआ इंटरनेट पर वजह खोजने लगे...किसी ने कुछ सेहत से जुड़ी जानकारी शेयर की...उसे फॉलो करने लगे...हम में से ज्यादातर लोग जानकारी लेने के लिए इंटरनेट पर निर्भर हैं. बात जब सेहत की आती है तो ये नंबर्स और बढ़ जाते हैं.
हेल्थ संबंधी एडवाइज के लिए टिकटॉक
App Zing Coach के सर्वे से पता चला है कि 56 फीसदी Gen Z हेल्थ संबंधी एडवाइज के लिए टिकटॉक पर निर्भर है. हर तीन में से एक व्यक्ति सेहत से जुड़ी जानकारी टिकटॉक से ले रहा है. लोग ट्रेनर या डॉक्टर को फीस देने में कतराने लगे हैं क्योंकि उन्हें जानकारी फ्री में टिकटॉक पर मिल रही है. हालांकि लोगों को इस बात की चिंता नहीं है कि वो जानकारी कितनी सही है.
टिकटॉक पर चल रहे ट्रेंड फॉलो कर रहे Gen Z
ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी में ऑप्टोमेट्रिस्ट और क्लिनिकल ऑप्टोमेट्री के एसोसिएट प्रोफेसर आरोन बी. ज़िम्मरमैन ने हाल ही में एक ऐसे मरीज का इलाज किया जिसने सूरज को घंटों तक निहारने की बात स्वीकार की. जब मरीज से पूछा गया कि उसने ऐसा क्यों किया तो उसने टिकटॉक पर चल रहे ट्रेंड के बारे में बताया. इस ट्रेंड में दावा किया गया था कि सूरज को निहारने से सेहत से जुड़ी कई समस्याएं हल हो सकती हैं. मरीज ने लंबे समय तक सूर्य को देखा जब तक कि यह असहनीय नहीं हो गया और उसके बाद मरीज की आंखों में परेशानी आने लगी.
टिकटॉक से मिलने वाली सलाह की दोबारा जांच नहीं
ज़िंग कोच सर्वे में पाया गया कि 3 में से 1 व्यक्ति ने ये बात मानी कि वे टिकटॉक से मिलने वाली स्वास्थ्य सलाह की दोबारा जांच नहीं करते हैं, जबकि 10 में से 1 ने माना कि ज्यादा लाइक या फॉलोअर्स वाले व्यक्ति की वीडियो पर वो आंख बंद करके भरोसा करते हैं. अगर आप भी ऐसे लोगों में से हैं जो इंटरनेट पर मौजूद जानकारी या किसी इन्फ्लुएंसर की कही बात आंख बंद करके मान लेते हैं तो ऐसा करना आपके लिए भारी पड़ सकता है.
हर 5 में से 3 लोगों ने टिकटॉक पर गलत जानकारी देखी
शोध में ये भी सामने आया कि हर 5 में से 3 लोगों ने टिकटॉक पर स्वास्थ्य संबंधी गलत सूचना या सलाह देखी है, लेकिन 4 में से केवल 1 ने ही इसे रिपोर्ट किया. हालांकि 63% लोग ये जरूर चाहते हैं कि टिकटॉक क्रिएटर्स को उनकी स्वास्थ्य सलाह के लिए कानूनी रूप से जवाबदेह बनाया जाना चाहिए. इस बीच कुछ ऐसे लोग भी हैं जो केवल प्रोफेशनल्स की सलाह पर भरोसा करते हैं. सोशल मीडिया पर फ्री में मिल रही सलाह मानने से पहले ये जरूर गौर करें कि वो जानकारी देने वाला शख्स कितना योग्य है. एमडी या पीएचडी जैसी सम्मानित योग्यता वाले लोगों की बातें सुनें, और फिटनेस सलाह लेते समय अंतर्राष्ट्रीय खेल विज्ञान संघ (आईएसएसए) या नेशनल एकेडमी ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन जैसे सर्टिफाइड लोगों की जानकारी का ही इस्तेमाल करें.