56 वर्षीय मां ने किडनी फेल्योर से पीड़ित अपने 32 वर्षीय बेटे की जान बचाने के लिए अपनी किडनी दान कर दी. इसे रोबोट-असिस्टेड किडनी ट्रांसप्लांटेशन की मदद से किया गया, जिससे ऑपरेशन के बाद होने वाला दर्द कम होता है. साथ ही तेजी से रिकवरी होती है.
रोबोटिक सर्जरी करने के लिए हाई लेवल एक्सपर्टिस की जरूरत होती है. इसे आरएकेटी ट्रांसप्लांट सर्जनों द्वारा रोबोटिक्स और ट्रांसप्लांट सर्जरी में ट्रेनिंग होने पर ही किया जाता है. रोबोटिक सर्जरी किडनी ट्रांसप्लांट को कम से कम दर्द और मुश्किलों के साथ पूरा करने में मदद करती है.
कम हो जाती है हर्निया की संभावना
इसमें केवल एक छोटा सा कट लगाया जाता है, जो हर्निया की संभावना को भी कम करता है. इसमें बहुत कम दर्द होता है और मरीज को ओपन सर्जरी की तुलना में तेजी से ठीक होने में मदद मिलती है.
क्षेत्रीय मुख्य परिचालन अधिकारी डॉ. प्रभाकर पी ने कहा, "भारतीय आबादी में, गुर्दे की बीमारियां बढ़ रही हैं. ऑपरेशन को लेकर उन्होंने कहा कि सिटीजन स्पेशियलिटी हॉस्पिटल लेप्रोस्कोपिक-असिस्टेड नेफरेक्टोमी और रोबोट-असिस्टेड रीनल ट्रांसप्लांट सर्जरी कराता. रोबोट ट्रांसप्लांट से डोनर और मरीज दोनों तेजी से रिकवर होते हैं.
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