AI model: सिर्फ जीभ देखकर बीमारियों का पता लगाने में सक्षम है ये AI मॉडल, रिजल्ट 98% सही

अगर आप बीमार हैं तो AI की मदद से आपकी बीमारी का पता लगाया जा सकेगा. आम तौर पर डायबिटीज से पीड़ित लोगों की जीभ पीली होती है. कैंसर पेशेंट की जीभ बैंगनी रंग की होती है जिस पर मोटी चिकनी परत होती है.

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gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 13 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 6:35 PM IST
  • AI की मदद से चलेगा बीमारी का पता
  • जीभ के रंग से मिल सकता है बीमारी का संकेत

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की वजह से स्वास्थ्य के क्षेत्र में बड़े बदलाव आए हैं. AI के जरिए मेडिकल क्षेत्रों में बेहतरीन काम हो रहे हैं. इसका इस्तेमाल बीमारियों के डाग्नोसिस के लिए भी किया जा रहा है.

बीमारियों को आसानी से पहचान सकता है इमेजिंग सिस्टम
ऑस्ट्रेलिया में मिडिल टेक्निकल यूनिवर्सिटी (एमटीयू) और यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ ऑस्ट्रेलिया (यूनिएसए) के शोधकर्ताओं ने  AI की मदद से एक ऐसा इमेजिंग सिस्टम तैयार किया है जोकि डायबिटीज, स्ट्रोक, एनीमिया, अस्थमा, लिवर, गॉल ब्लैडर की समस्याओं और कोविड -19 को आसानी से पहचान सकता है. इसके लिए इस मशीन को कुछ ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ती और मरीज को भी तमाम तरह के टेस्ट से नहीं गुजरना पड़ता.

जर्नल टेक्नोलॉजी में प्रकाशित हुई है रिसर्च
कंप्यूटर एल्गोरिदम आपकी जीभ को देखकर ही बीमारियों का पता लगा सकता है. आम तौर पर डायबिटीज से पीड़ित लोगों की जीभ पीली होती है. कैंसर पेशेंट की जीभ बैंगनी रंग की होती है जिस पर मोटी चिकनी परत होती है. जिन मरीजों को स्ट्रोक की दिक्कत होती है उनकी जीभ लाल होती है. यह अध्ययन जर्नल टेक्नोलॉजी में प्रकाशित हुआ है.

ये तकनीक जीभ के रंग, जीभ का आकार, कोटिंग की गहराई, ओरल मॉइस्चर, चोट, लाल धब्बे और दांतों के निशान के जरिए बीमारी का पता लगाने में सक्षम है. किसी भी बीमारी का पता लगाने के लिए जीभ का रंग सबसे जरूरी है, एक हेल्दी जीभ आमतौर पर गुलाबी रंग और सफेद पतली परत वाली होती है.

जीभ के रंग से मिल सकता है बीमारी का संकेत
अगर जीभ सफेद हो तो ये शरीर में आयरन की कमी का संकेत हो सकता है. अगर किसी को गैसट्रिक प्रॉब्लम है तो उसकी जीभ इंडिगो कलर की होगी. कोविड के मामलों में जीभ हल्की गुलाबी, माइल्ड इंफेक्शन में लाल और गंभीर मामलों में गहरे लाल रंग (बरगंडी) की हो सकती है.

इस अध्ययन में MATLAB GUI सॉफ़्टवेयर के इस्तेमाल से जीभ की तस्वीरें ली गईं. बाद में रोगियों और स्वस्थ व्यक्तियों दोनों की 60 तस्वीरों का इस्तेमाल करके बीमारी का पता लगाया गया. इस सॉफ्टवेयर का एक्यूरेसी रेट 96.6% तक था. यानी बीमारियों का पता लगाने में ये उपकरण 96.6% सही पाया गया.
 

 

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