एम्स भेपाल के डॉक्टरों का कमाल! 10 महीने से मुंह से खाना नहीं खा पा रही थी महिला...डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर लागाई नई भोजन नली

एम्स भोपाल के डॉक्टरों ने एक सफल ऑपरेशन कर एक महिला के मुंह में नया फूड पाइप लगाया है. महिला ने टॉयलेट क्लीनर पी लिया था जिसकी वजह से उसकी भोजन नली पूरी तरह से जल गई थी. वो 10 महीनों से फीडिंग ट्यूब के जरिए खाना खा रही थी.

AIIMS Bhopal
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 22 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 12:09 PM IST

मेडिकल साइंस काफी आगे बढ़ चुका है. सालों पहले कुछ चीजें जो लगभग असंभव सी नजर आती थीं आज मेडिकल साइंस ने उन्हें संभव कर दिखाया है. ऐसा ही एक चमत्कार हुआ है एम्स, भोपाल में, जहां डॉक्टरों की एक टीम ने नई भोजन नली बनाने का सफल, दुर्लभ और जटिल ऑपरेशन किया. यह जटिल ऑपरेशन एक महिला पर था जिसने घर पर कुछ हानिकारक पदार्थ का सेवन कर लिया था जिसने उसकी भोजन नली (oesophagus)को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया था. इस वजह से महिला की नली बुरी तरह से जल गई थी.

एम्स-भोपाल ने ट्विटर पर शेयर किया, "एम्स, भोपाल के डॉक्टरों की एक टीम ने हाल ही में एक दुर्लभ और कठिन ऑपरेशन करके एक नई भोजन नली बनाने में चमत्कारिक रूप से सफलता प्राप्त की है. कुछ समय पहले, एक महिला ने अपने घर में टॉयलेट क्लीनर का सेवन किया था, जिसके कारण उसकी खाने की नली (इसोफेगस) गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गई थी."

मुंह से नहीं खाया था खाना
सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और ईएनटी विभागों के डॉक्टरों की एक टीम ने उसका इलाज किया. रोगी और परिवार के सदस्यों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद नई भोजन नली बनाने के लिए सर्जरी की योजना बनाई गई. 10 महीने बाद उसकी भोजन नली फिर से चालू हो गई है. ऑपरेशन का नेतृत्व करने वाले अतिरिक्त प्रोफेसर और सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. विशाल गुप्ता ने बताया कि मरीज ने पिछले 10 महीनों से मुंह से कुछ भी नहीं खाया या पिया नहीं था वह एक फीडिंग ट्यूब के माध्यम से भोजन खाकर जीवित थी. 

क्या रही चुनौती?
डॉ. विकास गुप्ता ने कहा, "उसकी आवाज को बचाए रखना एक वास्तविक चुनौती थी क्योंकि हमें गले में वॉयस बॉक्स के पास एक नई खाद्य नली और एक महत्वपूर्ण तंत्रिका से जोड़ना था जो उसकी आवाज को नियंत्रित करती है और इस क्षेत्र से गुजरने वाले वायुमार्ग की सुरक्षा भी करती है." लंबे समय तक चले नौ घंटे के ऑपरेशन को डॉक्टरों की एक टीम ने अंजाम दिया जिसमें सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के डॉ. विशाल गुप्ता, डॉ. लोकेश अरोड़ा और डॉ. सजय राज और ईएनटी विभाग से डॉ विकास गुप्ता, डॉ गणकल्याण, डॉ राहुल और एनेस्थीसिया विभाग की डॉ. शिखा जैन इस ऑपरेशन में शामिल थे. 

 

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